अधिकमास या मलमास में शुक्ल पक्ष की एकादशी को पद्मिनी एकादशी (Padmini Ekadashi) या कमला एकादशी (Kamala Ekadashi) का पावन व्रत रखा जाता है । पद्मिनी एकादशी (Padmini Ekadashi) का व्रत मनुष्य के लिए दुर्लभ माना जाता है भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को इस व्रत का महत्व बताया था ।
पद्म पुराण के अनुसार कमला एकादशी का व्रत करने से मनुष्य के सभी पापों का नाश हो जाता है । इस व्रत के प्रभाव से मां लक्ष्मी की कृपा परिवार पर बनी रहती है । व्रत करने वाले को बैकुंठ की प्राप्ति होती है ।
कमला एकादशी (Kamala Ekadashi) को पुरुषोत्तम एकादशी (Purushottam Ekadashi) के नाम से भी जाना जाता है । इस साल यह व्रत शनिवार, 29 जुलाई 2023 को है ।
Kamala Ekadashi 2023 Date:-
Kamala Ekadashi 2023 शुरु होने कि तिथि :- 28 जुलाई 2023 को 02:51 pm पर है ।
Kamala Ekadashi 2023 समाप्त होने कि तिथि :- 29 जुलाई 2023 को 01:05 pm पर है ।
- पद्मिनी एकादशी पूजा का समय- सुबह 09:04 है ।
- पद्मिनी एकादशी व्रत पारण 30 जुलाई 2023 का समय- सुबह 05:41 से सुबह 8:24 तक है ।
एकादशी व्रत में भगवान का पूजा कर ब्राह्मण को भोजन और दान देने का विधान है । पूजा के समय पद्मिनी एकादशी (Padmini Ekadashi) की व्रत कथा अवश्य सुनी जाती है । इसके बिना व्रत को अधूरा माना जाता है । कमला एकादशी (Kamala Ekadashi) के दिन भगवान श्री हरि विष्णु की पूजा एवं व्रत करने का विशेष महत्व है । कमला एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर शुद्ध होना चाहिए । भगवान श्री हरी विष्णु की धूप, तुलसी के पत्ते, कपूर, दीप, पंचामृत, फूल आदि से पूजा करनी चाहिए ।
किन- किन चीजों को करने से परहेज करना चाहिए ।
- हिंदू शास्त्र के अनुसार कमला पुरुषोत्तम एकादशी के दिन कांसे के पात्र में भोजन नहीं करना चाहिए
- इन दिनों मसूर दाल चना शहद शाह एवं लहसुन प्याज का सेवन नहीं करते हैं
- इस दिन किसी और का दिया हुआ भोजन भी नहीं करना चाहिए व्रत धारी अपना भोजन स्वयं बनाएं ।
- एकादशी के दिन पर मीठा हो जाए या केवल फल खाकर में रहना चाहिए ।
दशमी से लेकर द्वादशी तिथि तक गेहूं, उड़द, मूंग, चना, जै, चावल तथा मशहूर नहीं खानी चाहिए । एकादशी के दिन में सोना वर्जित है । अमला एकादशी व्रत को रात को सोने के बजाय भगवान श्री हरि विष्णु का भजन कीर्तन करना चाहिए ।
एकादशी व्रत का पारण मीठे खाद्य पदार्थ का सेवन कर करना चाहिए । व्रत के अगले दिन द्वादशी तिथि पर भगवान श्री हरि विष्णु का पूजन कर ब्राह्मण को भोजन और दान देने का विधान बताया गया है । ब्राह्मण को विदा करने के बाद स्वयं भोजन ग्रहण कर व्रत का पालन करना चाहिए ।
कमला (Kamala Ekadashi) (पद्मिनी) एकादशी पूजा विधि ।
इस दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर साफ कपड़े पहन कर पूजा अस्थल को अच्छी तरह साफ कर गंगाजल से उसे शुद्धीकरण करें । फिर श्री हरि विष्णु जी की मूर्ति या तस्वीर को पीला कपड़ा बिछाकर स्थापित करें । घी का दीपक प्रज्वलित करें, टीका लगाए, सफेद फूल चढ़ाएं, भगवान को भोग लगाएं और तुलसी के पत्ता को अर्पित करें ।
इसके बाद भगवान श्री हरि विष्णु जी के स्तोत, सहस्त्रनाम और मंत्रों का उच्चारण करें । प्रेम पूर्वक आरती उतारे और अपनी भूल के लिए क्षमा मांगते हुए अपनी मनोकामना व्यक्त करें । गरीब व जरूरतमंद लोगों को दान दे । रात्रि को भजन कीर्तन करें और दूसरे दिन द्वादशी तिथि को गरीबों को भोजन करवाएं ।
कमला (Kamala Ekadashi) (पद्मिनी) एकादशी व्रत कथा :
कुंती पुत्र धर्मराज युधिष्ठिर भगवान श्रीकृष्ण से कहते हैं – हे जनार्दन! अधिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी का क्या नाम है? तथा उसकी विधि क्या है? कृपा कर आप मुझे बताइए ।
श्रीकृष्ण भगवान बोले हे राजन्- अधिक मास में शुक्ल पक्ष में जो एकादशी आती है वह पद्मिनी (कमला) एकादशी कहलाती है । वैसे तो प्रत्येक वर्ष 24 एकादशियाँ ही होती हैं । किन्तु जब अधिकमास या मलमास आता है तब इनकी संख्या बढ़कर 26 हो जाती है ।
अधिकमास में दो एकादशी होती है, जो कि पद्मिनी एकादशी (शुक्ल पक्ष) और परमा एकादशी (कृष्ण पक्ष) के नाम से जानी जाती है । भगवान श्रीकृष्ण ने इस व्रत की नियम बताते हुए कहा :
मलमास में अनेकों पुण्यों को देने वाली एकादशी का नाम पद्मिनी (कमला) है । इसका व्रत करने पर मनुष्य कीर्ति प्राप्त कर के बैकुंठ को जाता है । जो मनुष्यों के लिए भी दुर्लभ है ।
ये एकादशी करने के लिए दशमी के दिन व्रत का आरंभ कर के काँसी के पात्र में जौं-चावल आदि का भोजन करें तथा नमक न खावें । भूमि पर ही सोएं और ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करें । एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में शौच आदि से निवृत्त होकर दन्तधावन करें और जल के बारह कुल्ले करके शुद्ध हो जाए ।
सूर्य उदय होने के पूर्व उत्तम तीर्थ में स्नान करने को जाए । इसमें गोबर, मिट्टी, तिल तथा कुशा व आँवले के चूर्ण से विधिपूर्वक स्नान करें । श्वेत वस्त्र धारण कर के भगवान श्री हरि विष्णु जी के मंदिर में जाकर पूजा-अर्चना करें ।
भगवान श्रीकृष्ण ने इस व्रत की कथा बताते हुए कहा :
भगवान कृष्ण बोले- पूर्वकाल में त्रेया युग में हैहय नामक राजा के वंश में कृतवीर्य नाम का राजा महिष्मती पुरी में राज्य करता था । उस राजा की एक हजार परम प्रिय स्त्रियाँ थीं, परंतु उनमें से किसी को भी पुत्र नहीं था, जो उनके राज्य भार को संभाल सकें । देवता, पितृ, सिद्ध तथा अनेक चिकित्सकों आदि से राजा ने पुत्र प्राप्ति के लिए काफी प्रयत्न किए लेकिन सब असफल रहे ।
एक दिन राजा को वन में तपस्या के लिए जाते थे उनकी परम प्रिय रानी इक्ष्वाकु वंश में उत्पन्न हुए राजा हरिश्चंद्र की पद्मिनी नाम वाली कन्या राजा के साथ वन जाने को तैयार हो गई । दोनों ने अपने अंग के सब सुंदर वस्त्र और आभूषणों का त्याग कर वल्कल वस्त्र धारण कर गन्धमादन पर्वत पर गए ।
राजा ने उस पर्वत पर दस हजार वर्ष तक तप किया परंतु फिर भी पुत्र प्राप्ति नहीं हुई । तब पतिव्रता रानी कमलनयनी पद्मिनी से अनुसूया ने कहा- बारह मास से अधिक महत्वपूर्ण मलमास होता है, जो बत्तीस मास पश्चात ही आता है । उसमें द्वादशीयुक्त पद्मिनी शुक्ल पक्ष की एकादशी का जागरण समेत व्रत करने से तुम्हारी सारी मनोकामना पूर्ण हो जाएगी । इस व्रत करने से पुत्र देने वाले भगवान तुम पर प्रसन्न होकर तुम्हें शीघ्र ही एक सुन्दर पुत्र देंगे ।
रानी पद्मिनी ने पुत्र प्राप्ति की इच्छा से एकादशी का व्रत किया । वह एकादशी को निराहार रह कर रात्रि जागरण कर इस व्रत को किया । उसकी निष्ठा और इस व्रत से प्रसन्न होकर भगवान श्री हरि विष्णु ने उन्हें पुत्र प्राप्ति का वरदान दे दिया । इसी के प्रभाव से पद्मिनी के घर कार्तिवीर्य उत्पन्न हुए । जो बलवान थे और उनके समान तीनों लोकों में कोई बलवान नहीं था । तीनों लोकों में भगवान के सिवा उनको जीतने का सामर्थ्य किसी में भी नहीं था ।
सो हे कुंती पुत्र धर्मराज युधिष्ठिर ! जिन मनुष्यों ने मलमास शुक्ल पक्ष एकादशी का व्रत किया है, जो संपूर्ण कथा को पढ़ते या सुनते हैं, वे भी यश के भागी होकर बैकुंठ लोक को प्राप्त होते है ।
कमला (पद्मिनी) एकादशी व्रत कथा PDF:-

धन्यवाद
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