Vijaya Ekadashi Vrat 2024 | भगवान श्री कृष्ण ने विजया एकादशी व्रत को मोक्ष प्राप्ति के लिए एक उत्तम साधन बताया है । जाने तिथि, शुभ मुहूर्त, महत्व एवं कथा

विजया एकादशी व्रत करके पा सकते हैं, अपने दुश्मनों पर विजय ।

एकादशी व्रत कि तिथि समस्त संसार के पालन करता भगवान श्रीहरि विष्णु को समर्पित किया गया है । श्रीहरि के शरीर से एकादशी का जन्म हुआ है, यही वजह है कि एकादशी व्रत साल में आने वाले सभी व्रतों में सर्वश्रेष्ठ और उत्तम फल देने वाला माना गया है । हिंदू पंचांग के अनुसार फागुन माह की कृष्ण पक्ष की एकादशी को विजया एकादशी (Vijaya Ekadashi Vrat) के नाम से जाना जाता है । इस एकादशी व्रत का वर्णन पद्म पुराण और स्कन्द पुराण में किया गया है ।

विजया एकादशी (Vijaya Ekadashi Vrat) के व्रत को सच्चे मन एवं विधि पूर्वक करने से प्रत्येक कार्य में सफलता प्राप्त होती है । यह एकादशी विजया प्रदान करने वाली है अर्थात विजया एकादशी करने से मनुष्य को जीवन में विजया की प्राप्ति होती है । पुराणों में कहा गया है कि विजय एकादशी (Vijaya Ekadashi Vrat) का व्रत करने से दुश्मनों से छुटकारा मिल जाता है और कितने भी कठिन परिस्थिति में भी जीत हासिल हो जाती है ।

इस एकादशी के व्रत को करने वाला व्यक्ति हर कार्य में सफलता प्राप्त करता है तथा पूर्व जन्म के पापों से छुटकारा हासिल कर लेता है । इस दिन भगवान विष्णु की पूजा अर्चना की जाती है और धार्मिक कार्य पूरे किए जाते हैं ।

विजया एकादशी व्रत का शुभ मुहूर्त (Vijaya Ekadashi Vrat Ka Shubh Muhurat)

Ekadashi Event
एकादशी तिथि
Date and Timing
तिथि और समय
Kab hai Vijaya Ekadashi Vrat 2024
कब हैं विजया एकादशी व्रत 2024 मे
06 March, 2024, Wednesday
06 मार्च, 2024, बुधवार
Vijaya Ekadashi Vrat starts on
विजया एकादशी व्रत तिथि आरंभ
06:30 AM on 06 March, 2024
06 मार्च, 2024 को प्रातः 06:30 बजे
Vijaya Ekadashi Vrat ends on
विजया एकादशी व्रत तिथि समाप्त
04:13 AM on 07 March, 2024
07 मार्च, 2024 को प्रातः 04:13 बजे
Parana time (Fasting)
पारण (व्रत तोड़ने का) समय
1:43 PM, 07 March, 2024
07 मार्च, 2024 को 1:43 PM
Parana Tithi ends on
पारण तिथि के दिन समाप्त होने का समय
04:04 PM
04:04 PM

विजया एकादशी व्रत का महत्व (Vijaya Ekadashi Vrat ka Mahatva)

विजया एकादशी के व्रत करने से भगवान श्रीहरि विष्णु प्रसन्न होते हैं और भक्तों के सभी कष्टों को दूर करते है । शत्रुओं पर विजय की प्राप्ति होती है और सभी पाप नष्ट हो जाते हैं । यदि आपको किसी कार्य में विशेष सफलता प्राप्त करनी है तो आपको विजया एकादशी का व्रत करना चाहिए । यह व्रत सफलता प्राप्ति का सबसे उत्तम साधन है । 

महाभारत काल में भगवान श्री कृष्ण ने स्वयं इस व्रत के बारे में युधिष्ठिर को बताया था, उन्होंने विजया एकादशी के व्रत को मोक्ष प्राप्ति के लिए एक उत्तम साधन बताया है । पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान श्रीराम ने भी विजया एकादशी का व्रत रखा था ताकि वो युद्ध में रावण को परास्त कर सके ।

विजया एकादशी व्रत पूजा की विधि (Vijaya Ekadashi Vrat Puja Vidhi)

  • विजया एकादशी व्रत से 1 दिन पहले व्रत करने वाले को सात्विक भोजन ग्रहण करना चाहिए और ब्रम्हचर्य का भी पालन करना चाहिए ।
  • विजय एकादशी व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि कर अपने व्रत पूजा का संकल्प ले ।
  • पूजा करने के लिए स्वच्छ स्थान पर भगवान विष्णु की प्रतिमा या फोटो को स्थापित करें और भगवान विष्णु के समक्ष घी का दीपक जलाएं ।
  • चंदन फूल अबीर और रोली आदि को अर्पित करें तथा फलों और पकवानों का भोग लगाएं । भगवान विष्णु को कुमकुम का तिलक लगाएं और पूजा अर्चना करें ।
  • भगवान श्री हरि विष्णु के भोग में तुलसी पत्ता का भोग लगाएं । तुलसी पत्ता के बिना भगवान विष्णु का भोग स्वीकार नहीं होता है ।
  • पूजा विधि संपन्न करने के बाद भगवान की कथा करें और फिर आरती करें उसके पश्चात प्रसाद वितरण करें । जिन्होंने भी व्रत रखा है वह फलाहार कर सकते हैं ।
  • इस दिन रात को भोजन और मंत्रों का जाप करना चाहिए । अगले दिन सुबह फिर भगवान विष्णु की पूजा करें और ब्राह्मणों को भोजन कराएं और उन्हें दान आदि देकर विदा करें ।
  • इस दिन अपने आचरण पर खास नियंत्रण रखें, हो सके तो क्रोध करने से बचें और घर में किसी भी सदस्य ने अगर एकादशी का व्रत किया है तो इस दिन अन्य सदस्यों को भी चावल का सेवन नहीं करना चाहिए ।

Vijaya Ekadashi Vrat के दिन ध्यान रखने वाली बातें:-

  • विजया एकादशी व्रत के दिन शाम के समय भगवान श्रीहरि विष्णु जी की आरती उतार कर ही फलाहार करना चाहिए।
  • इस दिन भगवान श्रीहरि विष्णु के नाम का भजन कीर्तन करके रात्रि को जागरण करना चाहिए ।
  • द्वादशी के दिन पारण मुहूर्त में व्रत खोलना आवश्यक है ।
  • इस दौरान भगवान श्रीहरि विष्णु जी से व्रत में हुइ कोई भी भूल चूक के लिए क्षमा मांगनी चाहिए ।
  • ब्राह्मणों को भोजन कराकर उन्हें सामर्थ्य के अनुसार दान दक्षिणा अवश्य देनी चाहिए ।
  • इसके पश्चात ही स्वयं भोजन ग्रहण करना चाहिए ।

विजया एकादशी के दिन करें यह खास उपाय:-

पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान श्रीराम ने समस्त वानर सेना के साथ मिलकर विजया एकादशी का व्रत किया था ताकि वह और समस्त वानर सेना विशालकाय समुद्र को पार करके लंका पर विजय प्राप्त कर सके । यह भी कहा जाता है कि भगवान ब्रह्मा जी ने नारद मुनि को विजय एकादशी व्रत के महत्व के बारे में समझाया था । भगवान श्री कृष्ण ने भी धर्मराज युधिष्ठिर को विजय एकादशी व्रत की महिमा के बारे में समझाया था ।

विजय एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा करते समय कुछ उपाय भी अवश्य करने चाहिए जैसे कि :-
  • किसी विशेष काम या क्षेत्र में सफलता प्राप्त करनी हो, तो श्री राम परिवार की पूजा करनी चाहिए। इस पूजा में 11 केले, लाल फूल एवं लड्डू अर्पित किए जाते हैं । इसके उपरांत 11 दीपक और 11 अगरबत्ती जलानी होती है तथा 11 खजूर और बदाम राम परिवार को चढ़ाए जाते हैं । यह सब करने के पश्चात ॐ सियापति राम रामाय नमः मंत्र का जाप करना चाहिए । यह उपाय करने से विशेष काम या क्षेत्र में सफलता अवश्य प्राप्त होती है ।
  • यदि कोई व्यक्ति नौकरी प्राप्त करना चाहता है, तो उस व्यक्ति को इस दिन एक कलश पर आम का पल्लव रखकर उस पर एक पात्र रखना चाहिए । इस पात्र में जौ भरने के बाद दीया जलाना होता है । दीया जलाने के पश्चात 11 फूल, 11 फल एवं मिठाई भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी जी को अर्पित करके उनकी पूजा-अर्चना करनी होती है । पूजा करने के बाद ॐ नारायणम लक्ष्म्यै नमः मंत्र का जाप करना चाहिए । यदि इस दिन यह उपाय किया जाए तो, उस व्यक्ति को नौकरी अवश्य प्राप्त होती है ।
  • यदि कोई व्यक्ति अपनी अधूरी इच्छा को पूरा करना चाहता है, तो उस व्यक्ति को इस दिन भगवान विष्णु की प्रतिमा का अभिषेक दूध में केसर डालकर करना चाहिए, अभिषेक करने के पश्चात विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करके अपनी इच्छा को भगवान विष्णु के सामने रखना चाहिए, इस उपाय से व्यक्ति को अवश्य फायदा होता है ।
  • यदि कोई व्यक्ति अपने कर्ज से मुक्ति पाना चाहता है, तो उस व्यक्ति को विजया एकादशी के दिन पीपल के पेड़ की पूजा करनी चाहिए । ऐसा माना जाता है कि यदि विजया एकादशी के दिन यह उपाय किया जाए, तो उस व्यक्ति को कर्ज से मुक्ति मिल जाती है ।
  • यह भी एक मान्यता है कि यदि विजया एकादशी के दिन शाम के समय तुलसी के पास गाय के घी का दीपक जलाया जाए, तो घर में सुख शांति बनी रहती है ।

विजय एकादशी व्रत कथा (Vijaya Ekadashi Vrat Katha)

यह बात तब की है जब महाभारत के समय श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को यह कथा सुनाया था । जब युधिष्ठिर भगवान श्रीकृष्ण से जया एकादशी का महत्व सुनकर आनंद विभोर हो रहे थे । तभी युधिष्ठिर ने कहा “हे माधव” फागुन मास में कृष्ण पक्ष की एकादशी का क्या महत्व है आपसे मैं जानना चाहता हूं अतः कृपया करके इस विषय में जो कथा है वह सुनाइए ।

युधिष्ठिर द्वारा अनुनय पूर्वक प्रश्न किए जाने पर श्री कृष्ण जी कहते हैं “हे युधिष्ठिर” फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी विजया एकादशी के नाम से जानी जाती है । इस एकादशी का व्रत करने वाला सदैव विजय रहता है । मैं तुम्हें इस व्रत का कथा सुनाता हूं । आज तक इस व्रत की कथा मैंने किसी को भी नहीं सुनाई है । तुम से पूर्व केवल देवर्षि नारद ही इस कथा को ब्रह्मा जी से सुन पाए हैं ।

त्रेतायुग की बात है, श्री रामचंद्र जी जो विष्णु के अंश अवतार थे अपनी पत्नी सीता के हरण के पश्चात उन्हें ढूंढते हुए सागर तट पर जा पहुंचे । सागर के तट पर भगवान का परम भक्त जटायु नामक पक्षी रहता था । उस पक्षी ने बताया कि सीता माता को सागर पार लंका नगरी का राजा रावण हरण कर ले गया है और माता सीता इस समय अशोक वाटिका में है । पक्षीराज जटायु के द्वारा माता सीता का पता जानकर श्री रामचंद्र जी अपनी वानर सेना के साथ लंका पर आक्रमण की तैयारी करने लगे, परंतु सागर के जल जीवो से भरे दुर्गम मार्ग से होकर लंका पहुंचना संभव नहीं था ।

क्योंकि भगवान श्री राम इस अवतार में मर्यादा पुरुषोत्तम मानव रूप में दुनिया के समक्ष उदाहरण प्रस्तुत करना चाहते थे । अतः वे इस समस्या का समाधान भी मानव के रूप में है ढूंढना चाहते थे । जब उन्हें सागर पार करने का कोई भी मार्ग नहीं मिल रहा था, तब उन्होंने लक्ष्मण जी से पूछा कि हे लक्ष्मण इस सागर को पार करने का कोई उपाय मुझे सूझ नहीं रहा अगर तुम्हारे पास कोई उपाय है तो बताओ ।

श्री रामचंद्र की बात सुनकर लक्ष्मण जी बोले प्रभु आपसे तो कोई भी बात शिपिंग नहीं है, आप तू स्वयं ही सर्वज्ञाता है फिर भी आपने पूछा है तो मैं कहूंगा कि यहां से आधा योजन दूर परम ज्ञानी वकदाल्भ्य मुनि का निवास है हमें उनसे ही इसका हल पूछना लेना चाहिए ।

भगवान श्री राम लक्ष्मण जी की बात से सहमत होकर बकदाल्भ्य मुनि के आश्रम में पहुंचे और उन्हें प्रणाम करके अपना प्रश्न उनके सामने रख दिया । मुनिवर ने कहा हे राम आप अपनी समस्त सेना के साथ फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी का व्रत रखें, इस एकादशी के व्रत के करने से आप निश्चय ही समुद्र को पार कर रावण को पराजित कर देंगे । मुनिवर के बताए विधि के अनुसार श्री रामचंद्र जी ने उस तिथि के आने पर अपनी सेना समेत एकादशी का व्रत रखा और सागर पर पुल का निर्माण किया भीर लंका पर चढ़ाई की राम और रावण का भीषण युद्ध हुआ जिसके उपरांत रावण मारा गया ।


परानाम

धन्यवाद !


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