Soma Pradosh Vrat | सावन माह में 4 प्रदोष व्रत के बन रहे है संयोग-

अलग-अलग दिनों पर पड़ने वाली प्रदोष व्रत की महिमा भी अलग-अलग होती है । यदि यह व्रत सोमवार के दिन आता है तो उसे सोम प्रदोषम 2023 (soma Pradosh Vrat 2023) कहा जाता है । वही यह मंगलवार के दिन आता है तो इसे भौम प्रदोषम (bhauma Pradosh Vrat 2023) कहा जाता है और यदि शनिवार के दिन आता है तो इसे शनि प्रदोषम (Shani Pradosh Vrat 2023) कहा जाता है । 

प्रत्येक महीने की शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष कि त्रयोदशी के दिन आने वाले व्रत को प्रदोष व्रत कहा जाता है । सूर्य अस्त के बाद और रात्रि आने के पहले के समय प्रदोष काल कहा जाता है । इस व्रत में माॅ पार्वती और भगवान शिव की पूजा अर्चना की जाती है । 

शास्त्रों के अनुसार महीने के दोनों पक्षों के त्रयोदशी तिथि में शाम के समय को प्रदोष कहा गया है । मान्यता है कि भगवान शिव प्रदोष समय में कैलाश पर्वत पर स्थित अपने रजत भवन में नृत्य करते हैं । इसीलिए भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए श्रद्धालु इस दिन प्रदोष व्रत रखते हैं । कलयुग में प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat) करना अत्यंत ही मंगलकारी होता है और इसे करने से सारे कष्ट एवं हर प्रकार के दोष मिट जाते हैं ।

सावन माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 28 अगस्त 2023 प्रदोष व्रत सोमवार को पड़ रहा है । अत यह सोम प्रदोष व्रत 2023 कहलाएगा । सोम प्रदोष व्रत करने से सभी व्यक्ति की मनोकामनाएं भगवान शिव पूर्ण करते हैं।

हिंदी पंचांग के अनुसार, हर माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को प्रदोष व्रत मनाया जाता है । इस दिन महादेव और मां पार्वती की पूजा- उपासना की जाती है । सप्ताह के सातों दिनों को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को नाम से पुकारा जाता है । शास्त्रों और पुराणों में कहा गया है कि सोमवार का प्रदोष व्रत करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं । सोमवार का दिन महादेव को समर्पित है । सोम प्रदोष व्रत करने से साधक को दोगुना फल मिलता है । अतः व्यक्ति विशेष को भगवान शिव और मां पार्वती की श्रद्धा पूर्वक भक्ति कर प्रदोष व्रत करना चाहिए ।

सोम प्रदोष व्रत 2023 शुभ मुहूर्त (Soma Pradosh Vrat 2023 Shubh Muhurt)

Table of Contents

सावन सोम प्रदोष व्रत 2023सोमवार, 28 अगस्त 2023
समय28 अगस्त 2023 दोपहर 06:23 बजे – 29 अगस्त 2023 दोपहर 02:48 बजे
शिव पूजा समयशाम 06:48 – रात 09:02
अवधि2 घंटे 14 मिनट

अलग-अलग दिन के अनुसार प्रदोष व्रत और उनसे मिलने वाले लाभ

अलग-अलग दिनों के अनुसार प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat) का भी अलग अलग महत्व है । ऐसी मान्यता है कि जिस दिन को यह व्रत आता है उसी के अनुसार इसका नाम और इससे मिलने वाले महत्व भी बदल जाते हैं । जैसे:-

  • रविवार को प्रदोष व्रत (Ravi Pradosh Vrat 2023) रखने से, आयु में वृद्धि होती है और अच्छा स्वास्थ्य का लाभ प्राप्त होता है ।
  • सोमवार के दिन प्रदोष व्रत को सोम प्रदोषम (Soma Pradosh Vrat 2023) या चंद्र प्रदोषम कहा जाता है । और इससे सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है । 
  • मंगलवार के दिन को आने वाली प्रदोष व्रत को भौम प्रदोषम (Bhauma Pradosh Vrat 2023) कहा जाता है । इस दिन व्रत करने से हर तरह के रोगों से मुक्ति मिल जाती है और स्वास्थ्य संबंधित समस्याएं भी समाप्त हो जाती है ।
  • बुधवार के दिन प्रदोष व्रत (Budh Pradosh Vrat 2023) रखने से हर तरह की कामना सिद्ध होती है ।
  • वही बृहस्पतिवार (Guru Pradosh Vrat 2023) के दिन इस व्रत को करने से शत्रुओं का नाश हो जाता है ।
  • यदि शुक्रवार (Sukar Pradosh Vrat 2023) के दिन इस व्रत को करते हैं तो जीवन में सौभाग्य की वृद्धि होती है और दांपत्य जीवन में सुख एवं शांति रहती है ।
  • शनिवार के दिन इस व्रत को शनि प्रदोषम (Shani Pradosh Vrat 2023) कहा जाता है । इस दिन व्रत रखने से संतान की प्राप्ति होती है ।

अपनी इच्छाओं को ध्यान में रखकर जो भी प्रदोष व्रत रखता है, उसे उस दिन के फल की प्राप्ति निश्चित ही होती है ।

सोम प्रदोष व्रत 2023 व्रत विधि (Vrat vidhi)

  • सोम प्रदोष व्रत के दिन सभी व्रतधारी को सुबह स्नान करने के बाद भगवान शिव जी की पूजा करनी चाहिए ।
  •  त्रयोदशी के दिन प्रदोष काल में यानी सूर्यास्त से 3 घड़ी पूर्व शिवजी का पूजा करना चाहिए ।
  • पूजन के समय भगवान शिव, मां पार्वती और नंदी को पंचामृत व गंगा जल से स्नान करा कर बेल्वपत्र, गंध, चावल, फूल, धूप, दीप, नैवेद्य, फल, पान, सुपारी, लौंग और इलायची चढ़ाएं ।
  • सायंकाल प्रदोष के समय पुन: स्नान कर के भगवान शिव जी की पूजा करें । 
  • भगवान शिव जी को घी और शकर मे बने मिष्ठान्न अथवा मिठाई का भोग लगाएं । 
  • फिर आठ दीपक आठों दिशाओं में जलाएं । भगवान शिव जी की आरती गाये ।
  • रात्रि जागरण करें ।

इस प्रकार से व्रत करने वालों की हर इच्छा पूरी हो सकती है ।

भगवान शिव के मंत्र-

  • ॥ ॐ शिवाय नम: ॥
  • ॥ ॐ सों सोमाय नम: ॥
  • ॥ ॐ नम: शिवाय ॥
  • ॐ तत्पुरुषाय विद्महे, महादेवाय धीमहि, तन्नो रूद्र प्रचोदयात्
  • ॐ ह्रीं नमः शिवाय ह्रीं ॐ
  • ॐ ऐं ह्रीं शिव गौरीमय ह्रीं ऐं ऊं

सोम प्रदोष व्रत 2023 महत्व

धार्मिक ग्रंथों में प्रदोष व्रत की आपार महिमा बताई गई है । इस दिन सच्चे मन से प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा करने से सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है, और मोक्ष की भी प्राप्ति होती है । अत: इस दिन भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए ये प्रदोष व्रत को पूरे मन से करना चाहिए ।

मान्यताओं के अनुसार एक प्रदोष व्रत करने का फल दो गायों का दान करने के बराबर मिलता है । प्रदोष में बिना कुछ भी खाए ही व्रत रखने का विधान है । किन्तु ऐसा करना यदि संभव न हो तो एक बार फल खाकर उपवास कर सकते हैं । सोम प्रदोष व्रत रखने से जीवन में सुख- समृद्धि तो आती ही है तथा चंद्र ग्रह के दोष भी दूर हो जाते है । जिन जातकों के कुंडली में चंद्रमा कमजोर हो, उन्हें सोम प्रदोष व्रत अवश्य ही करना चाहिए । 

प्रदोष व्रत कथा (Pradosh Vrat 2023 Katha)

सोम प्रदोष व्रत के पौराणिक कथाओं के अनुसार एक नगर में एक ब्राह्मणी रहती थी । उसके पति का स्वर्गवास हो गया था । प्रात: होते ही वह अपने पुत्र के साथ भीख मांगने को निकल पड़ती थी और संध्या से पहले लौट आती थी ।

इसी प्रकार से वह स्वयं व पुत्र का पेट पालती थी । एक दिन ब्राह्मणी घर लौट रही थी तो उसे नदी के किनारे एक लड़का घायल अवस्था में मिला । ब्राह्मणी दयावश उसे अपने घर ले आई । वह लड़का विदर्भ का राजकुमार था । 

शत्रु सैनिकों ने उसके राज्य पर आक्रमण कर राजा को बंदी बना लिया था और राज्य पर नियंत्रण कर लिया था । किन्तु ये ब्राह्मणी नहीं जानती थी । राजकुमार ब्राह्मण-पुत्र के साथ ब्राह्मणी के घर रहने लगा ।

कुछ दिनों के बाद ब्राह्मणी ने दोनों बालकों को लेकर देवयोग के देव मंदिर गई, जहाँ उसकी भेंट ऋषि शाण्डिल्य से हुई । ऋषि शाण्डिल्य बहुत ही विख्यात ऋषि थे, जिनकी बुद्धिमत्ता और विवेक की हर एक जगह चर्चा थी ।

ऋषि शाण्डिल्य ने ब्राह्मणी को बालक धर्मगुप्त के माता-पिता के मौत के बारे में बताया, जिसे सुनकर ब्राह्मणी बहुत उदास हुई । ऋषि शाण्डिल्य ने ब्राह्मणी और उसके दोनों बेटों को प्रदोष व्रत करने की सलाह दी और उस व्रत से जुड़े पूरे वधि-विधान के बारे में बताया । ऋषि के बताये गए सभी नियमों के अनुसार ब्राह्मणी और दोनों बालकों ने व्रत सम्पन्न किया, लेकिन उन्हें यह पता ही नहीं था कि इस व्रत को करने से क्या फल मिल सकता है ।

कुछ दिनों के बाद दोनों बालक वन विहार कर रहे थे, तभी उन्हें वहां कुछ गंधर्व कन्याओं को देखा जो कि बहुत ही सुन्दर थी । राजकुमार धर्मगुप्त एक गंधर्व कन्या अंशुमतई की ओर आकर्षित हो गए । कुछ समय पश्चात् राजकुमार और अंशुमती दोनों ही एक दूसरे को पसंद करने लगे और अंशुमती ने राजकुमार को विवाह करने के लिए अपने पिता गंधर्वराज से मिलाने के लिए बुलाया ।

गंधर्वराज को जब यह पता चला कि वो बालक विदर्भ देश का राजकुमार है, तो उसने भगवान शिव की आज्ञा से दोनों का विवाह करवा दिया । राजकुमार धर्मगुप्त की ज़िन्दगी बदलने लगी । उसने बहुत संघर्ष कर अपनी गंधर्व सेना को तैयार किया । राजकुमार ने अपने विदर्भ देश पर वापस आधिपत्य प्राप्त कर लिया ।

कुछ समय उपरांत उसे यह मालूम हुआ कि बीते समय में उसने जो कुछ भी हासिल किया है वह ब्राह्मणी और उसके द्वारा किये गए प्रदोष व्रत का फल था । उसकी सच्ची आराधना से भगवान शिव प्रसन्न होकर उसे जीवन की हर परेशानी से लड़ने की शक्ति को प्रदान की । उसी समय से हिदू धर्म में ये मान्यता हो गई कि जो भी व्यक्ति प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा करेगा और एकाग्र होकर प्रदोष व्रत के कथा को सुनेगा और पढ़ेगा उसे सौ जन्मों तक कभी किसी तरह की परेशानी या फिर दरिद्रता का सामना नहीं करना पड़ेगा ।

प्रदोष व्रत कथा 2 (Pardosh Vrat Sahukar ki Katha)

एक बार किसी एक नगर में एक साहूकार था। उसके घर में पैसों की कोई कमी नहीं थी, लेकिन कोई संतान न होने के कारण वह बहुत दुखी रहता था। संतान प्राप्ति के लिए वह हर सोमवार को व्रत रखता था और शिव पूरी भक्ति के साथ मंदिर जाते थे और भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करते थे। उसकी भक्ति देखकर एक दिन मां पार्वती प्रसन्न होकर साहूकार की इच्छा पूरी करने के लिए भगवान शिव से अनुरोध किया।

पार्वती जी के आग्रह पर भगवान शिव ने कहा कि हे पार्वती, इस संसार में हर प्राणी को उसके कर्मों का फल मिलता है और जिसके भाग्य में जो हो उसे भोगना ही पड़ता है लेकिन पार्वती जी ने साहूकार की भक्ति देखकर उसकी मनोकामना पूर्ण करने की इच्छा व्यक्त की। माता पार्वती के आग्रह पर शिवजी ने साहूकार को पुत्र-प्राप्ति का वरदान तो दिया लेकिन उन्होंने बताया कि यह बालक 12 वर्ष तक ही जीवित रहेगा।

माता पार्वती और भगवान शिव की बातचीत को साहूकार सुन रहा था, इसलिए उसे ना तो इस बात की खुशी थी और ना ही दुख। वह पहले की भांति शिवजी की पूजा करता रहा। कुछ समय के बाद साहूकार की पत्नी ने एक पुत्र को जन्म दिया। जब वह बालक ग्यारह वर्ष का हुआ तो उसे पढ़ने के लिए काशी भेज दिया गया। साहूकार ने पुत्र के मामा को बुलाकर उसे बहुत सारा धन देते हुए कहा कि तुम इस बालक को काशी विद्या प्राप्ति के लिए ले जाओ।

तुम लोग रास्ते में यज्ञ कराते जाना और ब्राह्मणों को भोजन-दक्षिणा देते हुए जाना। दोनों मामा-भांजे इसी तरह यज्ञ कराते और ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा देते काशी नगरी निकल पड़े। इस दौरान रात में एक नगर पड़ा जहां नगर के राजा की कन्या का विवाह था, लेकिन जिस राजकुमार से उसका विवाह होने वाला था वह एक आंख से काना था। राजकुमार के पिता ने अपने पुत्र के काना होने की बात को छुपाने के लिए सोचा क्यों न उसने साहूकार के पुत्र को दूल्हा बनाकर राजकुमारी से विवाह करा दूं। विवाह के बाद इसको धन देकर विदा कर दूंगा और राजकुमारी को अपने नगर ले जाऊंगा। लड़के को दूल्हे के वस्त्र पहनाकर राजकुमारी से विवाह करा दिया गया।

साहूकार का पुत्र ईमानदार था। उसे यह बात सही नहीं लगी इसलिए उसने अवसर पाकर राजकुमारी के दुपट्टे पर लिखा कि तुम्हारा विवाह तो मेरे साथ हुआ है लेकिन जिस राजकुमार के संग तुम्हें भेजा जाएगा वह एक आंख से काना है। मैं तो काशी पढ़ने जा रहा हूं। जब राजकुमारी ने चुन्नी पर लिखी बातें पढ़ी तो उसने अपने माता-पिता को यह बात बताई।

राजा ने अपनी पुत्री को विदा नहीं किया फिर बारात वापस चली गई। दूसरी ओर साहूकार का लड़का और उसका मामा काशी पहुंचे और वहां जाकर उन्होंने यज्ञ किया। जिस दिन लड़का 12 साल का हुआ उस दिन भी यज्ञ का आयोजन था लड़के ने अपने मामा से कहा कि मेरी तबीयत कुछ ठीक नहीं है। मामा ने कहा कि तुम अंदर जाकर आराम कर लो।

शिवजी के वरदानुसार कुछ ही देर में उस बालक के प्राण निकल गए। मृत भांजे को देख उसके मामा ने विलाप करना शुरू किया। संयोगवश उसी समय शिवजी और माता पार्वती उधर से जा रहे थे। पार्वती माता ने भोलेनाथ से कहा- स्वामी, मुझे इसके रोने के स्वर सहन नहीं हो रहा, आप इस व्यक्ति के कष्ट को अवश्य दूर करें।

जब शिवजी मृत बालक के समीप गए तो वह बोले कि यह उसी साहूकार का पुत्र है, जिसे मैंने 12 वर्ष की आयु का वरदान दिया था, अब इसकी आयु पूरी हो चुकी है लेकिन मातृ भाव से विभोर माता पार्वती ने कहा कि हे महादेव, आप इस बालक को और आयु देने की कृपा करें अन्यथा इसके वियोग में इसके माता-पिता भी तड़प-तड़प कर मर जाएंगे। माता पार्वती के पुन: आग्रह पर भगवान शिव ने उस लड़के को जीवित होने का वरदान दिया।

शिवजी की कृपा से वह लड़का जीवित हो गया। शिक्षा पूरी करके लड़का मामा के साथ अपने नगर की ओर वापस चल दिया। दोनों चलते हुए उसी नगर में पहुंचे, जहां उसका विवाह हुआ था। उस नगर में भी उन्होंने यज्ञ का आयोजन किया। उस लड़के के ससुर ने उसे पहचान लिया और महल में ले जाकर उसकी खातिरदारी की और अपनी पुत्री को विदा किया।

इधर साहूकार और उसकी पत्नी भूखे-प्यासे रहकर बेटे की प्रतीक्षा कर रहे थे। उन्होंने प्रण कर रखा था कि यदि उन्हें अपने बेटे की मृत्यु का समाचार मिला तो वह भी प्राण त्याग देंगे परंतु अपने बेटे के जीवित होने का समाचार पाकर वह बेहद प्रसन्न हुए। उसी रात भगवान शिव ने साहूकार के स्वप्न में आकर कहा- हे श्रेष्ठी, मैंने तेरे सोमवार के व्रत करने और व्रतकथा सुनने से प्रसन्न होकर तेरे पुत्र को लम्बी आयु प्रदान की है। इसी प्रकार जो कोई सोमवार व्रत करता है या कथा सुनता और पढ़ता है उसके सभी दुख दूर होते हैं और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

इस वर्ष 2023 में प्रदोष व्रत के दिनांक निम्नलिखित हैं:- (Pradosh Vrat 2023 Date)

प्रदोष व्रत की तिथि जनवरी माह में- (Pradosh Vrat 2023 in January)

शुक्ल पक्ष के प्रदोष व्रत

बुधवार, 04 जनवरी 2023

03 जनवरी 2023 रात 10:02 बजे – 05 जनवरी 2023 पूर्वाह्न 12:01 बजे

कृष्ण पक्ष के प्रदोष व्रत, गुरु प्रदोष व्रत

गुरुवार, 19 जनवरी 2023

19 जनवरी 2023 दोपहर 01:18 बजे – 20 जनवरी 2023 सुबह 10:00 बजे

प्रदोष व्रत की तिथि फरवरी माह में- (Pradosh Vrat 2023 in February)

शुक्ल पक्ष के प्रदोष व्रत, गुरु प्रदोष व्रत

गुरुवार, 02 फरवरी 2023

02 फरवरी 2023 को शाम 04:26 बजे – 03 फरवरी 2023 को शाम 06:58 बजे

कृष्ण पक्ष के प्रदोष व्रत, शनि प्रदोष व्रत

शनिवार, 18 फरवरी 2023

17 फरवरी 2023 को रात 11:36 बजे – 18 फरवरी 2023 को रात 08:02 बजे

प्रदोष व्रत की तिथि मार्च माह में- (Pradosh Vrat 2023 in March)

शुक्ल पक्ष के प्रदोष व्रत, शनि प्रदोष व्रत

शनिवार, 04 मार्च 2023

04 मार्च 2023 पूर्वाह्न 11:43 बजे – 05 मार्च 2023 अपराह्न 02:07 बजे

कृष्ण पक्ष के प्रदोष व्रत (मधु कृष्ण त्रयोदशी), रवि प्रदोष व्रत

रविवार, 19 मार्च 2023

19 मार्च 2023 पूर्वाह्न 08:07 – 20 मार्च 2023 पूर्वाह्न 04:55 बजे

प्रदोष व्रत की तिथि अप्रैल माह में- (Pradosh Vrat 2023 in April)

शुक्ल पक्ष के प्रदोष व्रत, सोम प्रदोष व्रत

सोमवार, 03 अप्रैल 2023

03 अप्रैल 2023 पूर्वाह्न 06:24 – 04 अप्रैल 2023 पूर्वाह्न 08:05 बजे

कृष्ण पक्ष के प्रदोष व्रत, सोम प्रदोष व्रत

सोमवार, 17 अप्रैल 2023

17 अप्रैल 2023 दोपहर 03:46 बजे – 18 अप्रैल 2023 दोपहर 01:27 बजे

प्रदोष व्रत की तिथि मई माह में- (Pradosh Vrat 2023 in May)

शुक्ल पक्ष के प्रदोष व्रत

बुधवार, 03 मई 2023

02 मई 2023 के रात 11:18 बजे – 03 मई 2023 को रात 11:50 बजे

कृष्ण पक्ष के प्रदोष व्रत

बुधवार, 17 मई 2023

16 मई 2023 को रात 11:36 बजे – 17 मई 2023 को रात 10:28 बजे

प्रदोष व्रत की तिथि जून माह में- (Pradosh Vrat 2023 in June)

शुक्ल पक्ष के प्रदोष व्रत, गुरु प्रदोष व्रत

गुरुवार, 01 जून 2023

01 जून 2023 दोपहर 01:39 बजे – 02 जून 2023 दोपहर 12:48 बजे

कृष्ण पक्ष के प्रदोष व्रत, गुरु प्रदोष व्रत

गुरुवार, 15 जून 2023

15 जून 2023 पूर्वाह्न 08:32 बजे – 16 जून 2023 पूर्वाह्न 08:40 बजे

प्रदोष व्रत की तिथि जुलाई माह में- (Pradosh Vrat 2023 in July)

शुक्ल पक्ष के प्रदोष व्रत, शनि प्रदोष व्रत

शनिवार, 01 जुलाई 2023

01 जुलाई 2023 पूर्वाह्न 01:17 – 01 जुलाई 2023 पूर्वाह्न 11:07 बजे

कृष्ण पक्ष के प्रदोष व्रत, शुक्र प्रदोष व्रत

शुक्रवार, 14 जुलाई 2023

14 जुलाई 2023 को शाम 07:17 बजे – 15 जुलाई 2023 को रात 08:33 बजे

शुक्ल पक्ष के प्रदोष व्रत, रवि प्रदोष व्रत

रविवार, 30 जुलाई 2023

30 जुलाई 2023 पूर्वाह्न 10:34 बजे – 31 जुलाई 2023 पूर्वाह्न 07:27 बजे

प्रदोष व्रत की तिथि अगस्त माह में- (Pradosh Vrat 2023 in August)

कृष्ण पक्ष के प्रदोष व्रत, रवि प्रदोष व्रत

रविवार, 13 अगस्त 2023

13 अगस्त 2023 सुबह 08:20 बजे – 14 अगस्त 2023 सुबह 10:25 बजे

शुक्ल पक्ष के प्रदोष व्रत, सोम प्रदोष व्रत

सोमवार, 28 अगस्त 2023

28 अगस्त 2023 दोपहर 06:23 बजे – 29 अगस्त 2023 दोपहर 02:48 बजे

प्रदोष व्रत की तिथि सितंबर माह में- (Pradosh Vrat 2023 in September)

कृष्ण पक्ष के प्रदोष व्रत, भौम प्रदोष व्रत

मंगलवार, 12 सितंबर 2023

11 सितंबर 2023 पूर्वाह्न 11:52 बजे – 13 सितंबर 2023 पूर्वाह्न 02:21 बजे

शुक्ल पक्ष के प्रदोष व्रत

बुधवार, 27 सितंबर 2023

27 सितंबर 2023 पूर्वाह्न 01:46 बजे – 27 सितंबर 2023 रात 10:19 बजे

प्रदोष व्रत की तिथि अक्टूबर माह में- (Pradosh Vrat 2023 in October)

कृष्ण पक्ष के प्रदोष व्रत

बुधवार, 11 अक्टूबर 2023

11 अक्टूबर 2023 शाम 5:37 बजे – 12 अक्टूबर 2023 शाम 07:54 बजे

शुक्ल पक्ष के प्रदोष व्रत, गुरु प्रदोष व्रत

गुरुवार, 26 अक्टूबर 2023

26 अक्टूबर 2023 पूर्वाह्न 09:44 बजे – 27 अक्टूबर 2023 पूर्वाह्न 06:57 बजे

प्रदोष व्रत की तिथि नवंबर माह में- (Pradosh Vrat 2023 in November)

कृष्ण पक्ष के प्रदोष व्रत (धनत्रयोदशी), शुक्र प्रदोष व्रत

शुक्रवार, 10 नवंबर 2023

10 नवंबर 2023 दोपहर 12:36 बजे – 11 नवंबर 2023 दोपहर 01:58 बजे

शुक्ल पक्ष के प्रदोष व्रत, शुक्र प्रदोष व्रत

शुक्रवार, 24 नवंबर 2023

24 नवंबर 2023 को शाम 07:07 बजे – 25 नवंबर 2023 को शाम 05:22 बजे

प्रदोष व्रत की तिथि दिसंबर माह में- (Pradosh Vrat 2023 in December)

कृष्ण पक्ष के प्रदोष व्रत, रवि प्रदोष व्रत

रविवार, 10 दिसंबर 2023

10 दिसंबर 2023 पूर्वाह्न 7:13 बजे – 11 दिसंबर 2023 पूर्वाह्न 07:10 बजे

शुक्ल पक्ष के प्रदोष व्रत, रवि प्रदोष व्रत

रविवार, 24 दिसंबर 2023

24 दिसंबर 2023 पूर्वाह्न 06:24 – 25 दिसंबर 2023 पूर्वाह्न 05:55 बजे


परानाम

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