Shiv Rudrashtakam Stotram Lyrics | शिव रुद्राष्टकम स्तोत्रम | नमामीशमीशान निर्वाणरूपं

शिव रूद्राष्टकम स्तोत्रम: भगवान शिव की महिमा का अद्भुत प्रशंसा । Shiv Rudrashtakam Stotram भगवान शिव की महिमा, शक्ति और दयालुता की प्रशंसा करने वाला एक प्रमुख आराधना स्तोत्र है । यह स्तोत्र भगवान शिव के भक्तों द्वारा प्रातःकाल में उनकी पूजा-अर्चना के लिए प्रयुक्त किया जाता है और इसका पाठ करने से मन को शांति और आत्मा को आनंद प्राप्त होता है ।

Shiv Rudrashtakam Stotram के आठ श्लोक होते हैं, जिनमें भगवान शिव की विभिन्न पहलुओं की महिमा और आदर्शों की प्रशंसा की गई है । यह स्तोत्र उनकी शक्तिपूर्ण भवना को प्रकट करता है और उनकी महादेव स्वरूप की महत्वपूर्णता को हमें समझाता है । शिव रूद्राष्टकम स्तोत्रम के अद्वितीय शैली और गहराईयों से भरे शब्द आपको भगवान शिव के महाकाय और उनकी अनंत शक्तियों के प्रति आदरभावना में ले जाते हैं । यह स्तोत्र शिव के विभिन्न रूपों, आदर्शों और कृपासागर को व्यक्त करता है जो उनके भक्तों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं ।

Shiv Rudrashtakam Stotram का पाठ करने से हम शिव की अद्भुत महिमा को समझते हैं और उनके आदर्शों के प्रति प्रेरित होते हैं । यह स्तोत्र भगवान शिव के भक्तों के द्वारा उनकी आराधना, पूजा और ध्यान के लिए प्रयुक्त होता है जो उनकी भक्ति और समर्पण को प्रकट करता है ।

Shiv Rudrashtakam Stotram Lyrics in Sansakrit | शिव रुद्राष्टकम स्तोत्रम | नमामीशमीशान निर्वाणरूपं

नमामीशमीशान निर्वाणरूपं । विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपं ।
निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं। चिदाकाशमाकाशवासं भजे हं ॥ 1 ॥

निराकारमोंकारमूलं तुरीयं । गिरा ग्यान गोतीतमीशं गिरीशं ।
करालं महाकाल कालं कृपालं । गुणागार संसारपारं नतो हं ॥ 2 ॥

तुषाराद्रि संकाश गौरं गम्भीरं । मनोभूत कोटि प्रभा श्री शरीरं ।
स्फुरन्मौलि कल्लोलिनी चारु गंगा । लसद्भालबालेन्दु कण्ठे भुजंगा ॥ 3 ॥

चलत्कुण्डलं भ्रू सुनेत्रं विशालं । प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालं ।
मृगाधीशचर्माम्बरं मुण्डमालं । प्रियं शंकरं सर्वनाथं भजामि ॥ 4 ॥

प्रचण्डं प्रकृष्टं प्रगल्भं परेशं । अखण्डं अजं भानुकोटिप्रकाशम् ।
त्रय: शूल निर्मूलनं शूलपाणिं । भजे हं भवानीपतिं भावगम्यं ॥ 5 ॥

कलातीत कल्याण कल्पांतकारी । सदासज्जनानन्ददाता पुरारी ।
चिदानन्द संदोह मोहापहारी । प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी ॥ 6 ॥

न यावद् उमानाथ पादारविंदं । भजंतीह लोके परे वा नराणां ।
न तावत्सुखं शान्ति सन्तापनाशं । प्रसीद प्रभो सर्वभूताधिवासं ॥ 7 ॥

न जानामि योगं जपं नैव पूजां । नतो हं सदा सर्वदा शम्भु तुभ्यं ।
जराजन्म दु:खौघ तातप्यमानं । प्रभो पाहि आपन्न्मामीश शंभो ॥ 8 ॥

रुद्राष्टकमिदं प्रोक्तं विप्रेण हरतोषये ।
ये पठन्ति नरा भक्तया तेषां शम्भु: प्रसीदति ॥ 9 ॥

॥ इति श्री गोस्वामी तुलसिदास कृतम श्रीरुद्राश्ह्टकम संपूर्णम ॥


Shiv Rudrashtakam Stotram Lyrics in Hindi |

शिव रुद्राष्टकम स्तोत्रम हिन्दी मे

हे मोक्षस्वरूप, विभु, व्यापक, ब्रह्म और वेदस्वरूप, ईशान दिशा के ईश्वर तथा सबके स्वामी श्री शिव जी! मैं आपको नमस्कार करता  हूँ ।  निजस्वरूप  में  स्थित  (अर्थात्  मायादिरहित), (मायिक),  गुणों  से  रहित,  भेदरहित,  इच्छारहित,  चेतन, आकाशरूप एवं आकाश को ही वस्त्ररूप में धारण करनेवाले दिगंबर (अथवा आकाश को भी आच्छादित करनेवाले) आपको मैं भजता हूँ ।

निराकार, ओंकार (प्रणव) के मूल, तुरीय (तीनों गुणों से अतीत), वाणी, ज्ञान और इंद्रियों से परे, कैलासपति, विकराल, महाकाल के भी काल (अर्थात् महामृत्युंजय) कृपालु, गुणों के धाम, संसार से परे आप परमेश्वर को मैं प्रणाम करता हूँ ।

जो हिमालय के सदृश गौरवर्ण तथा गम्भीर हैं, जिनके शरीर में करोड़ों कामदेवों की कांति एवं छटा है, जिनके सिर के जटाजूट पर सुंदर तरंगों से युक्त गंगाजी विराजमान हैं, जिनके ललाट पर द्वितीया का बालचंद्र और कंठ में सर्प सुशोभित है ।

जिनके कानों में कुण्डल हिल रहे हैं, सुंदर भ्रुकुटी और विशाल नेत्र हैं, जो प्रसन्नमुख, नीलकंठ और दयालु हैं, सिंहचर्म का वस्त्र धारण किये और मुण्डमाला पहने हैं, उन सबके प्यारे और सबके स्वामी श्रीशंकरजी को मैं भजता हूँ ।

प्रचण्ड (बल-तेज-वीर्य से युक्त), सबमें श्रेष्ठ, तेजस्वी, परमेश्वर, अखण्ड, अजन्मा, करोड़ों सूर्यों के समान प्रकाशवाले, (दैहिक, दैविक, भौतिक आदि) तीनों प्रकार के शूलों (दुःखों) को निर्मूल करनेवाले, हाथ में त्रिशूल धारण किये हुए, (भक्तों को) भाव (प्रेम) के द्वारा प्राप्त होनेवाले भवानी-पति श्रीशंकरजी को मैं भजता हूँ ।

कलाओं से परे, कल्याणस्वरूप, कल्प का अंत (प्रलय) करनेवाले,  सज्जनों  के  सदा  आनंददाता,  त्रिपुर  के  शत्रु सच्चिदानंदघन, मोह को हरनेवाले, मन को मथ डालनेवाले कामदेव के शत्रु, हे प्रभो ! प्रसन्न होइए, प्रसन्न होइए ।

हे उमापति ! जब तक आपके चरणकमलों को (मनुष्य) नहीं भजते, तब तक उन्हें न तो इस लोक और परलोक में सुख-शांति मिलती है और न उनके संतापों का नाश होता है । अतः हे समस्त जीवों के अंदर (हृदय में) निवास करनेवाले प्रभो ! प्रसन्न होइए ।

मैं न तो योग जानता हूँ, न जप और न पूजा ही । मैं तो सदा-सर्वदा आपको ही नमस्कार करता हूँ । हे प्रभो ! बुढ़ापा तथा जन्म (मरण) के दुःखसमूहों से जलते हुए मुझ दुखी की दुःख से रक्षा कीजिये । हे ईश्वर ! हे शंभो ! मैं आपको नमस्कार करता हूँ ।

भगवान रुद्र की स्तुति का यह अष्टक उन शंकरजीकी तुष्टि (प्रसन्नता) के लिए ब्राह्मणद्वारा कहा गया । जो मनुष्य इसे भक्तिपूर्वक पढ़ते हैं, उनपर भगवान् शम्भु प्रसन्न होते हैं ।


Shiv Rudrashtakam Stotram Lyrics in English |

शिव रुद्राष्टकम स्तोत्रम | Namami Shamishan Nirvan Roopam 

Namami Shamishan Nirvan Roopam ।
Vibhum Vyapakam Brahma Veda Swaroopam ॥
Nijam Nirgunam Nirvikalpam Nireeham ।
Chidakaash Maakash Vaasam Bhajeham ॥ 1 ॥

Nirakaar Omkar Moolam Turiyam ।
Giragyaan Goteet Meesham Girisham ॥
Karaalam Mahakaal Kaalam Kripalam ।
Gunagaar Sansaar Paaram Naatoham ॥ 2 ॥

Tusharaadri Sankaash Gauram Gambheeram ।
Manobhoot Koti Prabha Shi Shareeram ॥
Sfooranmauli Kallolini Charu Ganga ।
Lasadbhaal Baalendu Kanthe Bhujanga ॥ 3 ॥

Chalatkundalam Bhru Sunethram Vishaalam ।
Prasannananam Neelkantham Dayalam ॥
Mrigadheesh Charmaambaram Mundamaalam ।
Priyam Shankaram Sarvanaatham Bhajaami ॥ 4 ॥

Prachandam Prakrishtam Pragalbham Paresham ।
Akhandam Ajambhaanukoti Prakaasham ॥
Trayahshool Nirmoolanam Shoolpaanim ।
Bhajeham Bhawani Patim Bhaav Gamyam ॥ 5 ॥

Kalateet Kalyaan Kalpantkaari ।
Sada Sajjanaanand Daata Purari ॥
Chidaanand Sandoh Mohapahari ।
Praseed Praseed Prabho Manmathari ॥ 6 ॥

Nayaavad Umanath Paadaravindam ।
Bhajanteeha Lokey Parewa Naraanaam ॥
Na Tawatsukham Shaantisantapnaasham ।
Praseed Prabho Sarvabhootadhivaasam ॥ 7 ॥

Na Jaanaami Yogam Japam Naiva Poojaam ।
Na Toham Sada Sarvada Shambhu Tubhhyam ॥
Jarajanm Dukhhaudya Taapatyamaanam ।
Prabho Paahi Aapan Namaami Shri Shambho ॥ 8 ॥

Rudrashtakamidam Proktam Vipren Hartoshaye ।
Ye Pathanti Naraa Bhaktaya Teyshaam Shambhu Praseedati ॥

॥ Ithi Shri Goswami Tulasidaasa krutam Sri Rudrashtakam Sampoornam ॥


परानाम

धन्यवाद !


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