Shiv Panchakshar Stotra Lyrics | शिव पंचाक्षर स्तोत्र | नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय ।

Shiv Panchakshar Stotra का पाठ शांत मन से करने से निश्चित ही धन-धान्य, कीर्ति में बढ़ोतरी होती है, तथा सारे कष्ट दूर हो जाते हैं । भगवान शिव की हमेशा कृपा बनी रहती है । Shiv Panchakshar Stotra भगवान शिव के अनोखे रूप का वर्णन करते हुए उनकी महिमा का बखान किया है । तो आइए हम सभी जानते हैं कि शिव पंचाक्षर स्त्रोत पाठ का हिन्दी अनुवाद क्या है । शिव पंचाक्षर स्त्रोत करने से क्या लाभ मिलता है । इस स्त्रोत को कैसे करना चाहिए ।

Shiv Panchakshar Stotra

नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय ।
भस्माङ्गरागाय महेश्वराय ॥
नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय ।
तस्मै नकाराय नमः शिवाय ॥

मन्दाकिनीसलिलचन्दनचर्चिताय ।
नन्दीश्वरप्रमथनाथमहेश्वराय ॥
मन्दारपुष्पबहुपुष्पसुपूजिताय ।
तस्मै मकाराय नमः शिवाय ॥
शिवाय गौरीवदनाब्जबृंदा ।
सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय ॥
श्रीनीलकण्ठाय वृषध्वजाय ।
तस्मै शिकाराय नमः शिवाय ॥

वशिष्ठकुम्भोद्भवगौतमार्यमूनीन्द्र देवार्चिता शेखराय ।
चन्द्रार्कवैश्वानरलोचनाय ॥
तस्मै वकाराय नमः शिवाय ।
यज्ञस्वरूपाय जटाधराय ॥
पिनाकहस्ताय सनातनाय ।
दिव्याय देवाय दिगम्बराय ।
तस्मै यकाराय नमः शिवाय ॥

पञ्चाक्षरमिदं पुण्यं यः पठेच्छिवसंनिधौ ।
शिवलोकमावाप्नोति शिवेन सह मोदते ॥


Shiv Panchakshar Stotra Lyrics in Hindi

शिव पंचाक्षर स्तोत्र हिन्दी मे

वे जिनके पास साँपों का राजा उनकी माला के रूप में है, और जिनकी तीन आँखें हैं ।
जिनके शरीर पर पवित्र राख मली हुई है और जो महान प्रभु है ॥
वे जो शाश्वत है, जो पूर्ण पवित्र हैं और चारों दिशाओं को ।
जो अपने वस्त्रों के रूप में धारण करते हैं ॥

उस शिव को नमस्कार, जिन्हें शब्दांश “न” द्वारा दर्शाया गया है ।
वे जिनकी पूजा मंदाकिनी नदी के जल से होती है और चंदन का लेप लगाया जाता है ॥
वे जो नंदी के और भूतों-पिशाचों के स्वामी हैं, महान भगवान ।
वे जो मंदार और कई अन्य फूलों के साथ पूजे जाते हैं ॥
उस शिव को प्रणाम, जिन्हें शब्दांश “म” द्वारा दर्शाया गया है ।
वे जो शुभ है और जो नए उगते सूरज की तरह है, जिनसे गौरी का चेहरा खिल उठता है ॥
वे जो दक्ष के यज्ञ के संहारक हैं ।
वे जिनका कंठ नीला है, और जिनके प्रतीक के रूप में बैल है ॥

उस शिव को नमस्कार, जिन्हें शब्दांश “शि” द्वारा दर्शाया गया है ।
वे जो श्रेष्ठ और सबसे सम्मानित संतों – वशिष्ट, अगस्त्य और गौतम, और देवताओं द्वारा भी पूजित है, और जो ब्रह्मांड का मुकुट हैं ॥
वे जिनकी चंद्रमा, सूर्य और अग्नि तीन आंखें हों ।
उस शिव को नमस्कार, जिन्हें शब्दांश “वा” द्वारा दर्शाया गया है ॥
वे जो यज्ञ (बलिदान) का अवतार है और जिनकी जटाएँ हैं ।
जिनके हाथ में त्रिशूल है और जो शाश्वत हैं ॥
वे जो दिव्य हैं, जो चमकीला हैं, और चारों दिशाएँ जिनके वस्त्र हैं ।
उस शिव को नमस्कार, जिन्हें शब्दांश “य” द्वारा दर्शाया गया है ॥

जो शिव के समीप इस पंचाक्षर का पाठ करते हैं,
वे शिव के निवास को प्राप्त करेंगे और आनंद लेंगे ।


शिव पंचाक्षर स्तोत्र की पूजा विधि ।

  • सबसे पहले सुबह उठ स्न्नान आदि कर के साफ वस्त्र धारण कर शिवलिंग पर दूध चढ़ाये और उसके पश्चात जल से अभिषेक करें ।
  • फिर शिवलिंग पर फूल चढ़ाये तथा शिव की विधि पूर्वक पूजा करे ।
  • शिव पंचाक्षर स्त्रोत का पाठ करें ।
  • इसके बाद प्रसाद जरूर चढ़ाये ।
  • अंत में आप शिव की आरती करें ।

शिव पंचाक्षर स्तोत्र के लाभ ।

  • भगवान शिव के इस स्त्रोत को करने से सभी परेशानियां दूर जाती है ।
  • इस स्तोत्र को करने से मन में अच्छे विचार आते है ।
  • सभी मनोकामना पूरी होती है । भावान शिव का कृपा बना रहता हैं ।
  • इस स्तोत्र का जाप करने से धन में वृद्धि और सुख की प्राप्ति होती है ।

परानाम

धन्यवाद !


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