Shiv Chaturdashi Vrat 2023 | Masik Shivratri Vrat 2023 | Shiv Chaturdashi Vrat 2023 Date and Time

Shiv Chaturdashi Vrat 2023 : हमारे सनातन हिंदू धर्म में भगवान भोले शंकर की पूजा अर्चना में शिवरात्रि के दिन का विशेष महत्व रहा है, और पूरे वर्ष में हिंदू पंचांग के अनुसार 12 Masik Shivratri Vrat (मासिक शिवरात्रि)  या Shiv Chaturdashi Vrat (शिव चतुर्दशी) परता है ।

प्रत्येक माह कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को शिव रात्रि पड़ता है और यही शिवरात्रि हर माह की मासिक शिवरात्रि कहलाती है । ऐसी मान्यता है की शिव चतुर्दशी व्रत (shiv chaturdashi vrat) अथवा मासिक शिवरात्रि व्रत (Masik Shivratri Vrat) के करने से व्यक्ति को भगवान शिव की कृपा से जीवन में हर प्रकार का सुख और समृद्धि प्राप्त होता है ।

आइए जानते हैं, 2023 के सभी मासिक शिवरात्रि व्रत की तिथि और मुहूर्त के बारे में इस आर्टिकल में हम Shiv chaturdashi vrat 2023 date and time के बारे में विस्तार से जानेंगे साथ ही Masik Shivratri vrat katha ko bhi पढ़ेंगे । शिव चतुर्दशी अथवा Masik Shivratri का महत्व के साथ साथ आपको इस आर्टिकल में मासिक शिवरात्रि व्रत की विधि भी जानने को मिलेगा । तो आइए Shiv chaturdashi vrat  2023 कि पूरी लिस्ट देखते है ।

शिव चतुर्दशी 2023 व्रत अथवा मासिक शिवरात्रि व्रत 2023 की लिस्ट (Shiv Chaturdashi Vrat 2023 or Masik Shivratri Vrat 2023 list)

जनवरी 2023 का शिव चतुर्दशी या मासिक शिवरात्रि व्रत

तिथि: 20 जनवरी 2023

हिंदू महीना: माघ

 दिन: शुक्रवार

मुहूर्त: 20 जनवरी 2023 को सुबह 10.00 बजे से 21 जनवरी 2023 को सुबह 6.17 बजे तक रहेगा ।

फरवरी 2023 का शिव चतुर्दशी व्रत या मासिक शिवरात्रि व्रत

तिथि: 18 फरवरी 2023

हिंदू महीना: फाल्गुन

दिन: शनिवार

मुहूर्त: 18 फरवरी 2023 को अपराहन 8:02 से 19 फरवरी 2023 को अपराहन 4:18 तक रहेगा ।

मार्च 2023 का शिव चतुर्दशी व्रत या मासिक शिवरात्रि व्रत

तिथि: 20 मार्च 2023

हिंदू महीना: चैत्र

 दिन: सोमवार

 मुहूर्त: 20 मार्च 2023 को पूर्वाहन 4:55 से 21 मार्च 2023 के पूर्वाहन 1:47 तक रहेगा ।

अप्रैल 2023 का शिव चतुर्दशी व्रत या मासिक शिवरात्रि व्रत

तिथि: 18 अप्रैल 2023

 हिंदू महीना: वैशाख

दिन: मंगलवार

मुहूर्त: 18 अप्रैल 2023 को दोपहर 1:27 से 19 अप्रैल 2023 को पूर्वाहन 11:24 तक रहेगा ।

मई 2023 का शिव चतुर्दशी व्रत या मासिक शिवरात्रि व्रत

तिथि: 17 मई 2023

हिंदू महीना: ज्येष्ठ

दिन: बुधवार

मुहूर्त: 17 मई 2023 को रात के 10:28 से लेकर 18 मई 2023 को रात के 9: 43 तक रहेगा ।

जून 2023 का शिव चतुर्दशी व्रत या मासिक शिवरात्रि व्रत

तिथि: 17 जून 2023

 हिंदू महीना: आषाढ़

 दिन: शनिवार

मुहूर्त: 16 जून 2023 को पूर्वाहन 8:40 से 17 जून 2023 को पूर्वाहन 9:12 तक रहेगा ।

जुलाई 2023 का शिव चतुर्दशी व्रत या मासिक शिवरात्रि व्रत

तिथि: 15 जुलाई 2023

हिंदू महीना: सावन

दिन: शनिवार

मुहूर्त: 15 जुलाई 2023 को रात के 8:33 से 16 जुलाई 2023 को रात 10:08 तक रहेगा ।

अगस्त 2023 का शिव चतुर्दशी व्रत या मासिक शिवरात्रि व्रत

तिथि: 14 अगस्त 2023

हिंदू महीना: अधिक मास शिवरात्रि

दिन: सोमवार

 मुहूर्त: 14 अगस्त 2023 को सुबह 10:25 से 15 अगस्त 2023 को दोपहर 12:43 तक रहेगा ।

सितंबर 2023 का शिव चतुर्दशी व्रत या मासिक शिवरात्रि व्रत

तिथि: 13 सितंबर 2023

हिंदू महीना: आश्विन

दिन: बुधवार

मुहूर्त: 13 सितंबर 2023 को पूर्वाहन 2:21 से लेकर 14 सितंबर 2023 को पूर्वाहन 4:49 मिनट तक रहेगा ।

अक्टूबर 2023 का शिव चतुर्दशी व्रत या मासिक शिवरात्रि व्रत

तिथि: 13 अक्टूबर 2023

 हिंदू महीना: आश्विन

 दिन: शुक्रवार

मुहूर्त: 12 अक्टूबर 2023 को शाम 7:54 से लेकर 13 अक्टूबर 2023 को रात 9:51 तक रहेगा ।

नवंबर 2023 का शिव चतुर्दशी व्रत या मासिक शिवरात्रि व्रत

तिथि: 12 नवंबर 2023

हिंदू महीना: कार्तिका

 दिन: रविवार

 मुहूर्त: 11 नवंबर 2023 को दोपहर 1:58 से लेकर 12 नवंबर 2023 को दोपहर 2:45 तक रहेगा ।

दिसंबर 2023 का शिव चतुर्दशी व्रत या मासिक शिवरात्रि व्रत

तिथि: 11 दिसंबर 2023

 हिंदू महीना: मार्गशीर्ष

 दिन: सोमवार

मुहूर्त: 11 दिसंबर 2023 को पूर्वाहन 7:10 से लेकर 12 दिसंबर 2023 को पूर्वाहन 6:24 तक रहेगा ।

मासिक शिवरात्रि पूजा की विधि (Puja Vidhi)

  • शिव चतुर्दशी अथवा मासिक शिवरात्रि के दिन प्रातः काल जल्दी उठकर स्नान ध्यान करले एवं शुद्ध एवं पवित्र वस्त्र को धारण करें।
  • इसके बाद भगवान भोलेनाथ से के साथ-साथ माता पार्वती जी के भी सच्चे मन से श्रद्धा भक्ति से पूजा करें
  • भगवान शिव जी को धूप दीप और नैवेद्य दिखाकर पूजा करें
  • अगर आप किसी मंदिर में शिवलिंग की पूजा कर रहे हैं अथवा घर पर ही शिवलिंग की पूजा कर रहे हैं तो शिवलिंग को दूध भी गंगाजल इत्यादि पदार्थों से अभिषेक करें।
  • शिवलिंग पर बेलपत्र और धतूरा अर्पण करें
  • भगवान शिव की पूजा करते समय ओम नमः शिवाय मंत्र का मानसिक जाप करते रहें
  • पूजा के बाद भगवान शिव को प्रसाद चढ़ाएं भोग लगाएं और उनकी आरती गाएं

शिव चतुर्दशी अथवा मासिक शिवरात्रि का महत्व (Mahatv)

हर महीने कृष्ण पक्ष के चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि पड़ता है और इस दिन मासिक शिवरात्रि का व्रत किया जाता है। हमारे शास्त्रों की मान्यता के अनुसार शिवरात्रि का दिन भगवान शिव को अत्यंत ही प्रिय है इस दिन विधिपूर्वक भगवान शिव की पूजा अर्चना करने से भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं और भक्तों के सभी कष्टों को दूर कर देते हैं शिवरात्रि पर व्रत और पूजन करने से भक्तों के जीवन में सुख समृद्धि और खुशहाली आती है ।

जीवन में नकारात्मकता दूर होकर सकारात्मकता का संचार होता है इस व्रत के करने से मनुष्य सभी प्रकार के बाधा और समस्याओं से मुक्ति पा लेता है शिव चतुर्दशी अथवा मासिक शिवरात्रि के दिन भगवान शिव के शिवलिंग का रुद्राभिषेक करना विशेष फलदाई माना जाता है।

मासिक शिवरात्रि की व्रत कथा (Masik Shivratri ki Vrat  Katha)

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मासिक शिवरात्रि की कथा इस प्रकार है: एक जंगल में चित्रभानु नाम का एक शिकारी रहता था । वह जंगल में जानवरों का शिकार करके अपने परिवार का पालन पोषण करता था । चित्रभानू ने एक साहूकार से बहुत सारा पैसा कर्जा लिया था लेकिन समय पर वह अपना कर्जा नहीं चुका सका इस बात से क्रोधित होकर उस साहूकार ने चित्रभानु को एक शिवमठ में कैदी बना लिया ।

जिस दिन चित्रभानु को कैदी बनाया गया उस दिन शिव रात्रि की तिथि थी । शिकारी चित्रभानु कैद में शिव मठ में हो रहे शिव संबंधी धार्मिक चर्चा को सुनता रहा इसके साथ ही चतुर्दशी के दिन उसने शिवरात्रि व्रत की कथा भी सुनी ।

शाम होने पर उस साहूकार ने चित्रभानु को अपने पास बुलाया और अपना कर्जा चुकाने के विषय में बात की इस बात को सुनकर शिकारी चित्रभानु ने अगले दिन सारा कर्जा लौटा देने का वचन देकर वहां से बंदी से छूट गया । अगले देना प्रतिदिन की तरह चित्रभानु जंगल में शिकार के लिए निकल गया लेकिन दिन भर कैद में रहने के कारण उसे काफी भूख प्यास लग गई थी और जंगल में शिकार को खोजते खोजते वह बहुत दूर निकल गया था ।

जब जंगल में अंधकार हो गया तो चित्रभानु ने विचार किया कि आज की रात ऐसी जंगल में बितानी पड़ेगी इसके बाद वह जंगल में एक तालाब के किनारे बेल के पेड़ पर चढ़कर रात बिताने का इंतजार करने लगा ।

जिस बेल के पेड़ के ऊपर चित्र बानो रात गुजारने के लिए चढ़ा था उसके ठीक नीचे एक शिवलिंग था जो कि बिल पत्रों से ढका हुआ था । शिकारी चित्रभानु को इस बात का पता नहीं चल पाया रात में विश्राम करने के लिए उसने बेल के पेड़ से कुछ कहानियां तोड़ी थी जो संयोगवश शिवलिंग पर गिरते चली गई इस प्रकार दिन भर भूखे प्यासे रहने के कारण चित्रभानु का व्रत भी हो गया और शिवलिंग पर बिल्वपत्र भी झड़ जाए इस प्रकार किसी तरीके से एक प्रहर रात्रि का बीता तभी उस तालाब के किनारे एक गर्भिणी हिरनी पानी पीने आई ।

शिकारी चित्रभानु ने अपने धनुष पर तीर चढ़ाकर हिरनी का शिकार करने के लिए जैसे ही प्रत्यंचा खींचा तभी हरिणी बोल उठी कि मैं घर भी नहीं हूं शीघ्र ही मैं बच्चे को जन्म दूंगी अगर तुम मेरी हत्या करोगे तो तुम्हें एक साथ दो जीवो की हत्या का पाप लगेगा जो कि ठीक नहीं है मैं वचन देता हूं कि मैं बच्चे को जन्म देकर सिगरेट तुम्हारे सामने प्रस्तुत हो जाऊंगी ।

तब तुम मुझे मार लेना हिरनी की इस बात को सुनकर शिकारी चित्रभानु ने अपने धनुष की प्रत्यंचा को भी ली कर दिया उसके बाद शेरनी जंगल की झाड़ियों में गायब हो गए धनुष की प्रत्यंचा ढीली करने के दौरान भी कुछ बिल्वपत्र टूटकर शिवलिंग पर गिर गए और इस तरह से अनजाने में ही शिकारी चित्रभानु का प्रथम पहर का भी शिवपूजन संपन्न हो गया।

इस घटना के कुछ देर बाद एक और हिरनी तालाब के किनारे से निकली इसे देखकर शिकारी चित्रभानु की प्रसन्नता का कोई ठिकाना ना रहा जैसे ही हिरनी उसके समीप आई उसने धनुष पर बाण चढ़ाकर शेरनी का शिकार करना चाहा तभी उस रजनी ने चित्रभानु से निवेदन किया कि मैं थोड़ी देर पहले ही रितु से निवृत्त हुई हूं और अपने पति की तलाश में विरहनी  होकर भटक रही हूं मैं वादा करती हूं कि मैं अपने पति से मिलकर जल्द ही तुम्हारे पास लौट आऊंगी फिर तो मेरा शिकार कर लेना ऐसा सुनकर चित्रभानु में उस हिरनी को भी जाने दिया और उसका शिकार नहीं किया

इस प्रकार दो पहर बीत गया और चित्रभानु को कोई शिकार नहीं मिला इस बार भी धनुष से टकराकर कुछ बेलपत्र शिवलिंग पर गिर गए थे जिससे के चित्रभानु के दूसरे पहर की भी पूजन पूरी हो गई

इसी बीच एक अन्य हिरनी भी अपने बच्चों को साथ में लेकर उस तालाब के पास से निकली अब चित्रभानु के लिए शिकार करने का यह स्वर्णिम अवसर था उसने तुरंत अपने धनुष और बाण चढ़ाई और वह तीर छोड़ने वाला ही था कि हिरनी बोली यह शिकारी मैं इन बच्चों को इनके पिता के पास छोड़ कर आती हूं तब तुम मुझे मार लेना मेरा शिकार कर लेना

इस पर शिकारी चित्रभानु हंसा और बोला कि मैं इतना बड़ा मूर्ख नहीं हूं कि मैं तुम्हें छोड़ दूं इससे पहले ही मैं दो फिरने को छोड़ चुका हूं मेरे बच्चे भूख प्यास है व्याकुल हो रहे होंगे इस बात को सुनकर हिरनी में चित्रभानु से कहा कि जिस प्रकार तुम्हें अपने बच्चों की ममता सता रही है ठीक वैसे ही मुझे भी अपने बच्चों की ममता सता रही है इसलिए मेरा विश्वास करो कि मैं अपने बच्चों को इनके पिता के पास छोड़ कर तुम्हारे पास लौट आऊंगी

फिल्मी हिरनी के दुख भरी पर याद सुनकर शिकारी को उस पर दया आ गई और उसमें उस शेरनी को भी वापस जाने दिया शिकार के अभाव में और भूख प्यास से व्याकुल होकर अनजाने में ही शिकारी तोड़ तोड़ कर बेलपत्र नीचे फेंकता रहा जिससे कि उसके अंतिम पहर की भी पूजा संपन्न हो गई अब सुबह होने को था तभी एक हट्टा कट्टा हिरण तालाब के पास आया अब शिकारी ने सोच लिया था कि इस बार वह अवश्य इस हिरण का शिकार करेगा

जैसे ही शिकारी ने अपने धनुष को शिकायत के लिए उठाया उस हिरण ने कहा की है शिकारी अगर तुमने मेरे से पहले आने वाले तीन हिरण को छोड़ दिया है तो तुम मुझे भी छोड़ दो क्योंकि मैं उन तीनों हिरनी का पति हूं यदि तुमने उनको जीवनदान दिया है तो मुझे भी कुछ समय के लिए जीवन दान दे दो ताकि मैं उन सभी से मिलकर तुम्हारे सामने वापस आ सकते हैं

उस हिरण की बात सुनकर शिकारी को स्वरुप पिक्चर दया आ गई और उसने उस इरम को भी छोड़ दिया इस प्रकार होते होते सुबह हो गई पूरी रात के उपवास रात्रि जागरण और शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने के कारण जाने अनजाने में ही चित्रभानु की शिवरात्रि की पूजा संपन्न हो गई ।

इस अनजाने में की हुई पूजा के परिणाम स्वरूप उसे तत्काल ही ज्ञान की प्राप्ति हुई और उसका हृदय निर्मल और पवित्र हो गया उसके हृदय में भगवत भक्ति का वास हो गया थोड़ी देर में ही हिरण का पूरा परिवार शिकारी के सामने शिकार के लिए उपस्थित हो गया लेकिन चित्रभानु को पशुओं की सत्यता निष्ठा और सामूहिक प्रेम भावना देखकर बड़ी ग्लानि हुई उसने हिरण और उसके परिवार को जीवनदान दे दिया ।

जाने अनजाने में शिवरात्रि का व्रत करने के कारण चित्रभानु को भी मोक्ष की प्राप्ति हुई जब मृत्यु के समय यमदूत उसे यमलोक ले जाने आए तो शिव गणों ने उसे वापस भेज दिया और चित्रभानु को शिवलोक ले गए इस प्रकार भगवान शिव की कृपा से उसने इस जन्म में पिछले जन्म को याद रख पाए तथा महाशिवरात्रि के महत्व को जानकर अगले जन्म में भी उसका पालन कर पाए ।


FAQ :

पौराणिक मान्यता यह है कि शिव चतुर्दशी व्रत रखने से सभी प्रकार के शारीरिक और मानसिक कष्टों से मुक्ति मिलती है । ऐसा भी माना जाता है कि इस व्रत को करने से व्यक्ति समस्त सांसारिक सुखों को भोगने के बाद अंत में मोक्ष को भी प्राप्त हो जाता है ।

शिवरात्रि का उपवास  सुबह से शुरू होकर पूरे दिन और रात भर चलता है । इस व्रत का पारण अगले दिन पंचांग के अनुसार सुझाए गए पारण समय के अनुसार ही करना चाहिए ।


परानाम

धन्यवाद


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