Shani Pradosh Vrat 2023 | पुत्र प्राप्ति के लिए करें शनि प्रदोष व्रत 2023

जाने पंचांग के अनुसार कब है इस साल प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat 2023) और जाने इसके तिथि, शुभ मुहूर्त, महत्व, पूजा की विधि एवं कथा 

Table of Contents

Shani Pradosh Vrat 2023:- प्रदोष व्रत व प्रदोषम व्रत हिंदुओं का एक प्रसिद्ध व्रत है जो माता पार्वती और भगवान शिव का आशीर्वाद पानी के लिए श्रद्धालु किया करते हैं । प्रदोष व्रत प्रतीक मा में दो बार आता है, शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष में । यह व्रत त्रयोदशी के दिन मनाया जाता है । 

अलग-अलग दिनों पर पड़ने वाली प्रदोष व्रत की महिमा भी अलग-अलग होती है । यदि यह व्रत सोमवार के दिन आता है तो उसे सोम प्रदोषम (soma Pradosh Vrat 2023) कहा जाता है । वही यह मंगलवार के दिन आता है तो इसे भौम प्रदोषम (bhauma Pradosh Vrat 2023) कहा जाता है और यदि शनिवार के दिन आता है तो इसे शनि प्रदोषम (Shani Pradosh Vrat 2023) कहा जाता है । 

इस साल फागुन माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि में आने वाला प्रदोष व्रत शनिवार (Shani Pradosh Vrat 2023) को है । इस साल 2023 का पहला शनि प्रदोष व्रत होगा । प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित किया जाता है । मान्यता है कि शनि प्रदोष व्रत (Shani Pradosh Vrat 2023) करने वाले भक्तों को भगवान शनि और भगवान शिव दोनों की कृपा से वैवाहिक जीवन में सुख शांति बढ़ता है इसके साथ ही लंबी उम्र अच्छी शहद और संतान सुख की प्राप्ति होती है । 

क्या होता है प्रदोष व्रत? (Kya Hota Hai Pradosh Vrat 2023)

प्रत्येक महीने की शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष को त्रयोदशी के दिन आने वाले व्रत को प्रदोष व्रत कहा जाता है । ठीक सूर्य अस्त के बाद और रात्रि आने के पहले का समय प्रदोष काल कहा जाता है । इस व्रत में माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा अर्चना की जाती है । 

शास्त्रों के अनुसार महीने के दोनों पक्षों के त्रयोदशी तिथि में शाम के समय को प्रदोष कहा गया है । मान्यता है कि भगवान शिव प्रदोष समय में कैलाश पर्वत पर स्थित अपने रजत भवन में नृत्य करते हैं । इसीलिए भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए श्रद्धालु इस दिन प्रदोष व्रत रखते हैं । कलयुग में प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat) करना अत्यंत ही मंगलकारी होता है और इसे करने से सारे कष्ट एवं हर प्रकार के दोष मिट जाते हैं ।

शनि प्रदोष व्रत 2023 डेट (Shani Pradosh Vrat 2023 Date)

फागुन माह के कृष्ण पक्ष के त्रयोदशी तिथि का प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat) दिनांक 18 फरवरी 2023, शनिवार को है । इस साल का यह पहला शनि प्रदोष व्रत (Shani Pradosh Vrat 2023) है । इसी दिन शनि प्रदोष व्रत ?(Shani Pradosh Vrat 2023) के साथ महाशिवरात्रि (Maha Shivaratri 2023) का व्रत भी है । भगवान भोलेनाथ को महाशिवरात्रि और प्रदोष व्रत अति प्रिय व्रत में से एक है । इस दुर्लभ संयोग में भगवान भोलेनाथ की उपासना करने से साधकों को दोगुना फल के प्राप्ति होगा ।

शनि प्रदोष व्रत 2023 शुभ मुहूर्त (Shani Pradosh Vrat 2023 Shubh Muhurt)

हिंदू पंचांग के अनुसार शनि प्रदोष व्रत 17 फरवरी 2023 को रात 11:36 पर शुरू हो रहा है और 18 फरवरी 2023 शनिवार को रात्रि 8:02 पर यह व्रत संपन्न होगा । प्रदोष व्रत में भगवान शिव की पूजा शाम के समय सूर्यास्त से लगभग 45 मिनट पहले और सूर्यास्त के 45 मिनट बाद तक होती हैं । 

शिव पूजा करने का शुभ मुहूर्त- शाम 6:03 से शुरू होकर रात्रि 8:02 तक चलेगी । (18 फरवरी 2023)

अलग-अलग दिन के अनुसार प्रदोष व्रत और उनसे मिलने वाले लाभ

अलग-अलग दिनों के अनुसार प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat) का भी अलग अलग महत्व है । ऐसी मान्यता है कि जिस दिन को यह व्रत आता है उसी के अनुसार इसका नाम और इससे मिलने वाले महत्व भी बदल जाते हैं । जैसे:-

  • रविवार को प्रदोष व्रत (Ravi Pradosh Vrat 2023) रखने से, आयु में वृद्धि होती है और अच्छा स्वास्थ्य का लाभ प्राप्त होता है ।
  • सोमवार के दिन प्रदोष व्रत को सोम प्रदोषम (Soma Pradosh Vrat 2023) या चंद्र प्रदोषम कहा जाता है । और इससे सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है । 
  • मंगलवार के दिन को आने वाली प्रदोष व्रत को भौम प्रदोषम (Bhauma Pradosh Vrat 2023) कहा जाता है । इस दिन व्रत करने से हर तरह के रोगों से मुक्ति मिल जाती है और स्वास्थ्य संबंधित समस्याएं भी समाप्त हो जाती है ।
  • बुधवार के दिन प्रदोष व्रत (Budh Pradosh Vrat 2023) रखने से हर तरह की कामना सिद्ध होती है ।
  • वही बृहस्पतिवार (Guru Pradosh Vrat 2023) के दिन इस व्रत को करने से शत्रुओं का नाश हो जाता है ।
  • यदि शुक्रवार (Sukar Pradosh Vrat 2023) के दिन इस व्रत को करते हैं तो जीवन में सौभाग्य की वृद्धि होती है और दांपत्य जीवन में सुख एवं शांति रहती है ।
  • शनिवार के दिन इस व्रत को शनि प्रदोषम (Shani Pradosh Vrat 2023) कहा जाता है । इस दिन व्रत रखने से संतान की प्राप्ति होती है ।

अपनी इच्छाओं को ध्यान में रखकर जो भी प्रदोष व्रत रखता है, उसे उस दिन के फल की प्राप्ति निश्चित ही होती है ।

प्रदोष व्रत की विधि (Shani Pradosh Vrat | Pradosh Vrat 2023 Vidhi)

प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat) का पूजा शाम के समय अच्छा माना जाता है क्योंकि हिंदू पंचांग के अनुसार सभी शिव मंदिरों में शाम के समय प्रदोष मंत्र का जाप किया जाता है । 

इस व्रत के नियम और विधि को विस्तारपूर्वक जानते हैं ।
  • इस व्रत को करने के लिए सबसे पहले त्रयोदशी के दिन सूर्योदय से पहले उठ जाएं । इसके बाद स्नानादि करके साफ वस्त्र को धारण करें ।
  • फिर भगवान शिव को बेलपत्र, अक्षत, गंगाजल चढ़ाएं । उनकी मूर्तियां प्रतिमा के सामने धूप, दीप जलाएं ।
  • इस दिन भोजन को ग्रहण नहीं किया जाता है । पूरे दिन का उपवास रखने के बाद सूर्यास्त से कुछ समय पहले दुबारा स्नान कर ले और सफेद रंग के वस्त्र को धारण करें ।
  • गंगाजल या जल से पूजा स्थल को शुद्ध कर ले फिर गाय का गोबर लेकर मंडप तैयार कर ले ।
  • चावल के पिठार या पांच अलग-अलग रंगों की मदद से मंडप पर रंगोली (अईपन) बना ले ।
  • पूजा की सभी तैयारी करने के बाद उत्तर पूरब दिशा में मुंह करके आसन पर बैठ जाएं ।
  • भगवान शिव के मंत्रों का उच्चारण करें (ओम नमः शिवाय) ऑल भगवान शिव को जल चढ़ाएं ।
  • इसके बाद कथा पढ़ें या सुने फिर आरती कर सभी में प्रसाद बांट दें ।

प्रदोष व्रत का उद्यापन (Shani Pradosh Vrat | Pradosh Vrat 2023)

जो भी इस व्रत को 11 या 26 त्रयोदशी तक रखते हैं उन्हें इस व्रत का उद्यापन विधिवत तरीकों से करना चाहिए ।

  • व्रत का उद्यापन त्रयोदशी तिथि पर ही करें ।
  • उद्यापन करने से 1 दिन पहले भगवान श्री गणेश की पूजा की जाती है और उद्यापन से पहले वाली रात को भजन कीर्तन करते हुए जागरण किया जाता है ।
  • अगली सुबह जल्दी उठ कर मंडप बनाया जाता है और उसे वस्त्रों और रंगोली से सजाया जाता है ।
  • ॐ उमा सहित शिवाय नमः मंत्र का 108 बार जाप करते हुए हवन किया जाता है ।
  • आहुति के लिए खीर का प्रयोग हवन में होता है । हवन समाप्त होने के बाद भगवान शिव की आरती और शक्ति पाठ किया जाता है ।
  • फिर अंत में ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है और उन्हें दान दक्षिणा देकर उनसे आशीर्वाद लिया जाता है ।

प्रदोष व्रत का महत्व (Pradosh Vrat 2023 Mahatva)

प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat) को हिन्दू समाज में बहुत शुभ और महत्वपूर्ण माना गया है । इस व्रत को पूरी निष्ठा से करने से भक्तों के सारे कष्ट दूर होते हैं और मृत्यु के बाद उ उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है । 

पुराणों के अनुसार एक प्रदोष व्रत करने का फल दो गायों को दान करने के बराबर होता है । प्रदोष व्रत के महत्व को वेदों के महाज्ञानी “सूतजी” ने गंगा नदी के तट पर शौनकादि ऋषियों को बताया था । उन्होंने बताया था कि कलयुग में जब अधर्म बढ़ जाएगा, सभी लोग धर्म के रास्ते को छोड़ अन्याय की राह पर जा रहे होंगे, उस समय प्रदोष व्रत ही एकमात्र माध्यम बनेगा जिसके द्वारा वो भगवान शिव की अराधना कर अपने सभी पापों का प्रायश्चित कर सकेगा और अपने सभी कष्टों से मुक्त हो सकेगा । 

सबसे पहले भगवान शिव ने माता सती को इस व्रत के महत्व के बारे में बताया था, उसके बाद महर्षि वेदव्यास जी ने सूत जी को प्रदोष व्रत के बारे में ने सुनाया, जिसके बाद सूत जी ने शौनकादि ऋषियों को इस व्रत की महिमा के बारे में बताया था ।

प्रदोष व्रत अन्य दूसरे व्रतों से अत्यंत शुभ और महत्वपूर्ण माना गया है । मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से संपूर्ण जीवनकाल में किये गए सभी पापों का नाश होता है और मृत्यु के पश्चात मोक्ष की प्राप्ति होती है । 

इस व्रत में व्रती को निर्जल रहकर व्रत करना होता है । प्रातः काल स्नान आदि करके भगवान शिव की बेल पत्र, गंगाजल, अक्षत, धूप, दीप, के साथ पूजा करें । संध्या काल में पुन: स्नान करने के बाद इसी प्रकार से शिव जी की पूजा करना चाहिए । इस प्रकार प्रदोषम व्रत करने से व्रती को पुण्य की प्राप्ति होती है ।

प्रदोष व्रत कथा (Shani Pradosh Vrat | Pradosh Vrat 2023 Katha)

स्कंद पुराण में प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat) के दी गयी कथा के अनुसार प्राचीन समय में, एक विधवा ब्राह्मणी अपने बेटे के साथ रोज़ाना भिक्षा मांगने जाती और संध्याकाल से पहले तक लौट आती । रोजाना की भांति एक दिन जब वो भिक्षा लेकर वापस आ रही थी, तो उसने नदी किनारे एक बहुत सुन्दर बालक को देखा लेकिन ब्राह्मणी यह नहीं जानती थी कि वो बालक कौन है और किसका है ?

दरसअल वो विदर्भ देश का राजकुमार धर्मगुप्त था । राजकुमार धर्मगुप्त के पिता को जो कि विदर्भ देश के राजा थे, उन्हें दुश्मनों ने युद्ध में मौत के घाट उतार दिया था और विदर्भ देश को अपने अधीन कर लिया । पति के शोक में धर्मगुप्त की माता भी चल बसी और शत्रुओं ने धर्मगुप्त को राज्य से बाहर कर दिया । उस बालक की हालत देखकर ब्राह्मणी ने उसे अपना लिया और अपने पुत्र के समान ही उसका भी पालन-पोषण किया ।

कुछ दिनों के बाद ब्राह्मणी ने दोनों बालकों को लेकर देवयोग के देव मंदिर गई, जहाँ उसकी भेंट ऋषि शाण्डिल्य से हुई । ऋषि शाण्डिल्य बहुत ही विख्यात ऋषि थे, जिनकी बुद्धिमत्ता और विवेक की हर एक जगह चर्चा थी ।

ऋषि शाण्डिल्य ने ब्राह्मणी को बालक धर्मगुप्त के माता-पिता के मौत के बारे में बताया, जिसे सुनकर ब्राह्मणी बहुत उदास हुई । ऋषि शाण्डिल्य ने ब्राह्मणी और उसके दोनों बेटों को प्रदोष व्रत करने की सलाह दी और उस व्रत से जुड़े पूरे वधि-विधान के बारे में बताया । ऋषि के बताये गए सभी नियमों के अनुसार ब्राह्मणी और दोनों बालकों ने व्रत सम्पन्न किया, लेकिन उन्हें यह पता ही नहीं था कि इस व्रत को करने से क्या फल मिल सकता है ।

कुछ दिनों के बाद दोनों बालक वन विहार कर रहे थे, तभी उन्हें वहां कुछ गंधर्व कन्याओं को देखा जो कि बहुत ही सुन्दर थी । राजकुमार धर्मगुप्त एक गंधर्व कन्या अंशुमतई की ओर आकर्षित हो गए । कुछ समय पश्चात् राजकुमार और अंशुमती दोनों ही एक दूसरे को पसंद करने लगे और अंशुमती ने राजकुमार को विवाह करने के लिए अपने पिता गंधर्वराज से मिलाने के लिए बुलाया ।

गंधर्वराज को जब यह पता चला कि वो बालक विदर्भ देश का राजकुमार है, तो उसने भगवान शिव की आज्ञा से दोनों का विवाह करवा दिया । राजकुमार धर्मगुप्त की ज़िन्दगी बदलने लगी । उसने बहुत संघर्ष कर अपनी गंधर्व सेना को तैयार किया । राजकुमार ने अपने विदर्भ देश पर वापस आधिपत्य प्राप्त कर लिया ।

कुछ समय उपरांत उसे यह मालूम हुआ कि बीते समय में उसने जो कुछ भी हासिल किया है वह ब्राह्मणी और उसके द्वारा किये गए प्रदोष व्रत का फल था । उसकी सच्ची आराधना से भगवान शिव प्रसन्न होकर उसे जीवन की हर परेशानी से लड़ने की शक्ति को प्रदान की । उसी समय से हिदू धर्म में ये मान्यता हो गई कि जो भी व्यक्ति प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा करेगा और एकाग्र होकर प्रदोष व्रत के कथा को सुनेगा और पढ़ेगा उसे सौ जन्मों तक कभी किसी तरह की परेशानी या फिर दरिद्रता का सामना नहीं करना पड़ेगा ।


इस वर्ष 2023 में प्रदोष व्रत के दिनांक निम्नलिखित हैं:- (Shani Pradosh Vrat 2023 Date)

प्रदोष व्रत की तिथि जनवरी माह में- (Pradosh Vrat 2023 in January)

शुक्ल पक्ष के प्रदोष व्रत

बुधवार, 04 जनवरी 2023

03 जनवरी 2023 रात 10:02 बजे – 05 जनवरी 2023 पूर्वाह्न 12:01 बजे

कृष्ण पक्ष के प्रदोष व्रत, गुरु प्रदोष व्रत

गुरुवार, 19 जनवरी 2023

19 जनवरी 2023 दोपहर 01:18 बजे – 20 जनवरी 2023 सुबह 10:00 बजे

प्रदोष व्रत की तिथि फरवरी माह में- (Pradosh Vrat 2023 in February)

शुक्ल पक्ष के प्रदोष व्रत, गुरु प्रदोष व्रत

गुरुवार, 02 फरवरी 2023

02 फरवरी 2023 को शाम 04:26 बजे – 03 फरवरी 2023 को शाम 06:58 बजे

कृष्ण पक्ष के प्रदोष व्रत, शनि प्रदोष व्रत

शनिवार, 18 फरवरी 2023

17 फरवरी 2023 को रात 11:36 बजे – 18 फरवरी 2023 को रात 08:02 बजे

प्रदोष व्रत की तिथि मार्च माह में- (Pradosh Vrat 2023 in March)

शुक्ल पक्ष के प्रदोष व्रत, शनि प्रदोष व्रत

शनिवार, 04 मार्च 2023

04 मार्च 2023 पूर्वाह्न 11:43 बजे – 05 मार्च 2023 अपराह्न 02:07 बजे

कृष्ण पक्ष के प्रदोष व्रत (मधु कृष्ण त्रयोदशी), रवि प्रदोष व्रत

रविवार, 19 मार्च 2023

19 मार्च 2023 पूर्वाह्न 08:07 – 20 मार्च 2023 पूर्वाह्न 04:55 बजे

प्रदोष व्रत की तिथि अप्रैल माह में- (Pradosh Vrat 2023 in April)

शुक्ल पक्ष के प्रदोष व्रत, सोम प्रदोष व्रत

सोमवार, 03 अप्रैल 2023

03 अप्रैल 2023 पूर्वाह्न 06:24 – 04 अप्रैल 2023 पूर्वाह्न 08:05 बजे

कृष्ण पक्ष के प्रदोष व्रत, सोम प्रदोष व्रत

सोमवार, 17 अप्रैल 2023

17 अप्रैल 2023 दोपहर 03:46 बजे – 18 अप्रैल 2023 दोपहर 01:27 बजे

प्रदोष व्रत की तिथि मई माह में- (Pradosh Vrat 2023 in May)

शुक्ल पक्ष के प्रदोष व्रत

बुधवार, 03 मई 2023

02 मई 2023 के रात 11:18 बजे – 03 मई 2023 को रात 11:50 बजे

कृष्ण पक्ष के प्रदोष व्रत

बुधवार, 17 मई 2023

16 मई 2023 को रात 11:36 बजे – 17 मई 2023 को रात 10:28 बजे

प्रदोष व्रत की तिथि जून माह में- (Pradosh Vrat 2023 in June)

शुक्ल पक्ष के प्रदोष व्रत, गुरु प्रदोष व्रत

गुरुवार, 01 जून 2023

01 जून 2023 दोपहर 01:39 बजे – 02 जून 2023 दोपहर 12:48 बजे

कृष्ण पक्ष के प्रदोष व्रत, गुरु प्रदोष व्रत

गुरुवार, 15 जून 2023

15 जून 2023 पूर्वाह्न 08:32 बजे – 16 जून 2023 पूर्वाह्न 08:40 बजे

प्रदोष व्रत की तिथि जुलाई माह में- (Pradosh Vrat 2023 in July)

शुक्ल पक्ष के प्रदोष व्रत, शनि प्रदोष व्रत

शनिवार, 01 जुलाई 2023

01 जुलाई 2023 पूर्वाह्न 01:17 – 01 जुलाई 2023 पूर्वाह्न 11:07 बजे

कृष्ण पक्ष के प्रदोष व्रत, शुक्र प्रदोष व्रत

शुक्रवार, 14 जुलाई 2023

14 जुलाई 2023 को शाम 07:17 बजे – 15 जुलाई 2023 को रात 08:33 बजे

शुक्ल पक्ष के प्रदोष व्रत, रवि प्रदोष व्रत

रविवार, 30 जुलाई 2023

30 जुलाई 2023 पूर्वाह्न 10:34 बजे – 31 जुलाई 2023 पूर्वाह्न 07:27 बजे

प्रदोष व्रत की तिथि अगस्त माह में- (Pradosh Vrat 2023 in August)

कृष्ण पक्ष के प्रदोष व्रत, रवि प्रदोष व्रत

रविवार, 13 अगस्त 2023

13 अगस्त 2023 सुबह 08:20 बजे – 14 अगस्त 2023 सुबह 10:25 बजे

शुक्ल पक्ष के प्रदोष व्रत, सोम प्रदोष व्रत

सोमवार, 28 अगस्त 2023

28 अगस्त 2023 दोपहर 06:23 बजे – 29 अगस्त 2023 दोपहर 02:48 बजे

प्रदोष व्रत की तिथि सितंबर माह में- (Pradosh Vrat 2023 in September)

कृष्ण पक्ष के प्रदोष व्रत, भौम प्रदोष व्रत

मंगलवार, 12 सितंबर 2023

11 सितंबर 2023 पूर्वाह्न 11:52 बजे – 13 सितंबर 2023 पूर्वाह्न 02:21 बजे

शुक्ल पक्ष के प्रदोष व्रत

बुधवार, 27 सितंबर 2023

27 सितंबर 2023 पूर्वाह्न 01:46 बजे – 27 सितंबर 2023 रात 10:19 बजे

प्रदोष व्रत की तिथि अक्टूबर माह में- (Pradosh Vrat 2023 in October)

कृष्ण पक्ष के प्रदोष व्रत

बुधवार, 11 अक्टूबर 2023

11 अक्टूबर 2023 शाम 5:37 बजे – 12 अक्टूबर 2023 शाम 07:54 बजे

शुक्ल पक्ष के प्रदोष व्रत, गुरु प्रदोष व्रत

गुरुवार, 26 अक्टूबर 2023

26 अक्टूबर 2023 पूर्वाह्न 09:44 बजे – 27 अक्टूबर 2023 पूर्वाह्न 06:57 बजे

प्रदोष व्रत की तिथि नवंबर माह में- (Pradosh Vrat 2023 in November)

कृष्ण पक्ष के प्रदोष व्रत (धनत्रयोदशी), शुक्र प्रदोष व्रत

शुक्रवार, 10 नवंबर 2023

10 नवंबर 2023 दोपहर 12:36 बजे – 11 नवंबर 2023 दोपहर 01:58 बजे

शुक्ल पक्ष के प्रदोष व्रत, शुक्र प्रदोष व्रत

शुक्रवार, 24 नवंबर 2023

24 नवंबर 2023 को शाम 07:07 बजे – 25 नवंबर 2023 को शाम 05:22 बजे

प्रदोष व्रत की तिथि दिसंबर माह में- (Pradosh Vrat 2023 in December)

कृष्ण पक्ष के प्रदोष व्रत, रवि प्रदोष व्रत

रविवार, 10 दिसंबर 2023

10 दिसंबर 2023 पूर्वाह्न 7:13 बजे – 11 दिसंबर 2023 पूर्वाह्न 07:10 बजे

शुक्ल पक्ष के प्रदोष व्रत, रवि प्रदोष व्रत

रविवार, 24 दिसंबर 2023

24 दिसंबर 2023 पूर्वाह्न 06:24 – 25 दिसंबर 2023 पूर्वाह्न 05:55 बजे


परानाम
धन्यवाद

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