Sawan 2023 का आरंभ इस वर्ष 4 जुलाई से हो जाएगा और इसका समापन 31 अगस्त को होगा । इसी सावन मास के बीच में मलमास का प्रारंभ 18 जुलाई को होगा और यह 16 अगस्त को खत्म हो जाएगा । इस प्रकार का यह sawan 2023 का संयोग 19 साल बाद बन रहा है जब सावन 2 महीने का होगा । 2 महीने का सावन होने के बावजूद सोमवारी का व्रत केवल चार ही मान्य होंगे ।
इस बार sawan 2023 में सोमवारी का व्रत दो खंडों में किया जाएगा पहले खंड में या व्रत 4 जुलाई से लेकर 17 जुलाई तक होगा । इसके बाद 18 जुलाई से 16 अगस्त तक मलमास रहने के कारण पुनः यह व्रत 17 अगस्त से प्रारंभ होकर 31 अगस्त तक रहेगा ।
देखा जाए तो इस बार sawan 2023 कुल मिलाकर 2 महीने यानी कि 59 दिनों का होगा । 2 महीने का सावन होने के बाद भी इस बार सावन में होने वाले सभी अनुष्ठान दो चरणों में पूरे किए जाएंगे । इस बार सावन मास मैं पहले 15 दिन के कृष्ण पक्ष को सावन की मान्यता दी जाएगी एवं उसके बाद आखिरी के 15 दिनों का शुक्ल पक्ष को सावन की मान्यता दी जाएगी । इसी दो खंडों के बीच में पढ़ने वाले सभी सोमवार को सोमवारी व्रत माना जाएगा ।
Sawan 2023 में कब रखे जायेंगे सोमवार का व्रत ।कब है सावन के सोमवार
Sawan 2023 का पहला चरण : 4 जुलाई से 17 जुलाई तक रहेगा इस दरमियान सावन के दो सोमवारी व्रत रहेंगे ।
- पहला सोमवारी व्रत: 10 जुलाई को रहेगा ।
- दूसरा सोमवारी व्रत : 17 जुलाई को रहेगा ।
Sawan 2023 का मलमास : यह यह मलमास 18 जुलाई से शुरू होगा और 16 अगस्त तक रहेगा । इस बीच में पढ़ने वाले सोमवारी के व्रत सावन के सोमवारी के रूप में नहीं माने जाएंगे । जो कि 24 जुलाई, 31 जुलाई, 07 अगस्त और 14 अगस्त है ।
Sawan 2023 ka दूसरा चरण : 17 अगस्त से 31 अगस्त तक रहेगा इस दरमियान भी सावन के दो सोमवारी व्रत रहेंगे ।
- तीसरा सोमवारी व्रत : 21 अगस्त को रहेगा ।
- चौथा सोमवारी व्रत: 28 अगस्त को रहेगा ।
Sawan 2023 तिथि और शुभ मुहूर्त ।
हमारे हिंदू पंचांग के आधार पर सावन महीने का आरंभ प्रत्येक वर्ष श्रावण माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से हो जाती है । इस साल यह श्रावण प्रतिपदा 3 जुलाई को शाम के 5:09 से शुरू होता है और 4 जुलाई को दोपहर 1:00 बज कर 39 मिनट पर समाप्त होता है । अगर हम उदया तिथि के आधार पर सावन महीने के शुरुआत को गिने तो इस माह की शुरुआत 4 जुलाई से होगी ।
Sawan 2023 के प्रमुख व्रत और त्योहार ।
4 जुलाई मंगलवार: सावन मास का प्रारंभ ।
6 जुलाई गुरुवार: संकष्टी चतुर्थी ।
13 जुलाई गुरुवार : कामिका एकादशी ।
14 जुलाई शुक्रवार : प्रदोष व्रत ।
15 जुलाई शनिवार : मास शिवरात्रि ।
16 जुलाई रविवार : कर्क संक्रांति ।
17 जुलाई सोमवार: सावन का अमावस्या ।
29 जुलाई शनिवार: पद्मिनी एकादशी ।
30 जुलाई रविवार : प्रदोष व्रत ।
1 अगस्त मंगलवार: पूर्णिमा का व्रत ।
4 अगस्त शुक्रवार : संकष्टी चतुर्थी ।
12 अगस्त शनिवार : परम एकादशी ।
13 अगस्त रविवार : प्रदोष व्रत ।
14 अगस्त सोमवार : मासिक शिवरात्रि ।
16 अगस्त बुधवार : अमावस्या ।
17 अगस्त गुरुवार: सिंह संक्रांति ।
19 अगस्त शनिवार : हरियाली तीज ।
21 अगस्त सोमवार : नाग पंचमी ।
27 अगस्त रविवार : सावन का पुत्रदा एकादशी ।
28 अगस्त सोमवार : प्रदोष व्रत ।
29 अगस्त मंगलवार : ओणम ।
30 अगस्त बुधवार : रक्षा बंधन ।
31 अगस्त गुरुवार: श्रावण पूर्णिमा ।
सावन में कैसे करे भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना ।
ऐसी पौराणिक मान्यता है कि सावन में भगवान शिव की पूजा आराधना करने और मंत्र का जाप करने पर भगवान शिव बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं । इसलिए आप इस माह का भरपूर उपयोग भगवान शिव के पूजा आराधना में करें जिससे कि आप अपने जीवन में मनचाहे इच्छा को पूरा कर सकें ।
भगवान शिव के पूजा आराधना करने के लिए सुबह जल्दी उठ कर स्नान ध्यान करके साफ और पवित्र वस्त्र धारण करना चाहिए । इसके बाद अपने घर के समीप किसी शिव मंदिर में जाकर भगवान भोले शंकर को गंगाजल, पवित्र जल, दूध, घी, दही, शहद और गन्ने के रस से इच्छा अनुसार अभिषेक करें । भगवान भोले शंकर का अभिषेक करते हुए मन ही मन अथवा बोलकर ओम नमः शिवाय मंत्र का लगातार जाप करते रहें ।
अभिषेक करने के बाद भगवान भोले शंकर के शिवलिंग पर श्रद्धा और भक्ति से बेलपत्र, भांग, धतूरा इत्यादि सामग्री समर्पित करें इसके अलावा आप अन्य फल फूल भी भगवान शिव के शिवलिंग पर समर्पित कर सकते हैं । किस प्रकार भगवान शिव का अभिषेक और पूजा करने के बाद शिव चालीसा का पाठ करें और अंत में भगवान शिव की आरती करें ।
महिलाओं को भगवान शिव की पूजा आराधना करने के लिए सोमवारी का व्रत रखना चाहिए और माता पार्वती को सोलह श्रृंगार करते हुए पूजा अर्चना करनी चाहिए ताकि घर में सुख शांति और समृद्धि बनी रहे ।
शिवलिंग पर क्या चढ़ाए और क्या ना चढ़ाए ।
शिवलिंग पर ये चीजें चढ़ाएं:
जल : भगवान शिव का जल से अभिषेक करने का वर्षा होती है ।
दही : शिवजी का दही से अभिषेक करने पर मकान गाड़ी और पशु की प्राप्ति होती है ।
गन्ने का रस : भगवान शिव का गन्ने के रस से अभिषेक करने पर धन की प्राप्ति होती है ।
शहद जल : भगवान शिव का शहद के जल से अभिषेक करने पर प्राप्त धन में वृद्धि होती है ।
तीर्थ का जल : भोले बाबा का तीर्थ के दर्शन करने का मोक्ष प्राप्त हो जाता है ।
दूध : भगवान शंकर का दूध से अभिषेक करने पर पुत्र की प्राप्ति होती है इसके साथ ही सभी मनोकामनाएं भी पूर्ण होती है ।
गंगा जल : गंगाजल का अभिषेक करने से ज्वर रोग ठीक हो जाता है ।
दूध मिश्री : दूध मिश्री से अभिषेक करने पर मनुष्य को कुशाग्र बुद्धि की प्राप्ति होती है ।
घी : शिव जी का घी से अभिषेक करने पर वंश का विस्तार होता है ।
सरसो का तेल : सरसों के तेल से भगवान का अभिषेक करने से सभी रोगों का नाश होता है साथी दुश्मनों का भी नाश हो जाता है ।
कच्चे चावल : शिवलिंग पर कच्चा चावल को चढ़ाने से धन संपत्ति की प्राप्ति होती है ।
तिल : शिवलिंग पर तिल समर्पित करने से सभी पापों का नाश हो जाता है ।
जौ : भगवान शिव के शिवलिंग पर जल चढ़ाने से लंबे समय से चल रहे सभी परेशानियां दूर हो जाती है ।
शिवलिंग पर ये चीजें न चढ़ाएं ।
तुलसी का पत्ता : ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव ने तुलसी के पति जालंधर नाम के असुर का वध कर दिया था इसी वजह से हवन सबको तुलसी का पत्र नहीं चढ़ाया जाता है ।
केतकी का फुल : कैसे बनाता है कि एक बार ब्रह्मा जी ने कोई झूठ बोला था जिसमें केतकी के फूल ने ब्रह्मा जी का साथ दिया था इसी बात से नाराज होकर भगवान शिव ने केतकी के फूल को शाप दे दिया की उनकी पूजा में या फूल कभी अर्पित नहीं किया जाएगा ।
हल्दी : हल्दी को स्त्री से संबंधित माना जाता है जबकि शिवलिंग को पुरुष का प्रतीक माना जाता है इसी वजह से भगवान शिव की पूजा में कभी भी हल्दी का उपयोग नहीं किया जा सकता है ।
टूटे चावल : टूटा हुआ चावल को अपवित्र और अधूरा माना जाता है इसलिए कभी भी भोलेनाथ की पूजा में टूटा हुआ चावल नहीं समर्पित किया जाता है ।
कुमकुम और सिंदूर : भगवान शिव को विनाशक मारा जाता है जबकि कुमकुम या सिंदूर को महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए धारण करती है इसी वजह से भगवान शिव की पूजा में कुमकुम का इस्तेमाल नहीं किया जाता है ।
तिल : भगवान शिव की पूजा में तिल का प्रयोग भी वर्जित माना जाता है ।
शंख का जल : ऐसी पौराणिक मान्यता है भगवान शिव ने शंखचूड़ नाम के व्यक्ति को वर्ग किया था तभी से कभी भी भगवान शिव की पूजा में संघ के जल का प्रयोग नहीं किया जाता है ।

धन्यवाद
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