Masik Shivratri Vrat 2024 Date, Time & Importance | मासिक शिवरात्रि व्रत कब है ? जाने पूजा विधि, महत्व, कथा एवं व्रत की तारीखें

Masik Shivratri Vrat 2024 Date:-

हिंदू कैलेंडर के अनुसार, मासिक शिवरात्रि व्रत (Masik Shivratri Vrat) हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है । हर महीने की यह तिथि भगवान शिव, माता पार्वती और शिव परिवार को समर्पित है । इसलिए इस दिन नियम के अनुसार भगवान शिव, माता पार्वती, गणेश जी, कार्तिकेय जी और नंदी की पूजा की जाती है । मान्यता के अनुसार जो व्यक्ति मासिक शिवरात्रि का व्रत करता है उसे भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है । जीवन में सुख-शांति बनी रहती है और संतान प्राप्ति, रोगों से मुक्ति के लिए मासिक शिवरात्रि का व्रत भी रखा जाता है । 

अमान्त पञ्चाङ्‌ग के अनुसार माघ मास की मासिक शिवरात्रि (Masik Shivratri Vrat) को महाशिवरात्रि कहते हैं । परन्तु पूर्णिमान्त पञ्चाङ्‌ग के अनुसार फाल्गुन मास की मासिक शिवरात्रि को महाशिवरात्रि कहते हैं । हालाँकि दोनो ही पूर्णिमान्त और अमान्त पञ्चाङ्‌ग एक ही दिन महा शिवरात्रि के साथ सभी शिवरात्रियों को मनाते हैं ।

मासिक शिवरात्रि व्रत क्या है ?

महाशिवरात्रि के दिन मध्य रात्रि में भगवान शिव लिङग के रूप में प्रकट हुए थे । पहली बार शिवलिंग की पूजा भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी के द्वारा किया गया था । इसलिए महाशिवरात्रि को भगवान शिव के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है । इसी क्रम को आगे बढ़ने पर कुछ ज्योतिष और मुनियों ने यह जाना कि हर महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी भगवान शिव की आराधना और साधना के लिए सबसे उपयुक्त होता है । हर चंद्र मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को शिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है और श्रद्धालु लोग शिवरात्रि के दिन शिवलिंग की पूजा करते हैं । शिवरात्रि व्रत प्राचीन काल से ही प्रचलित है ।

जो श्रद्धालु मासिक शिवरात्रि (Masik Shivratri Vrat) का व्रत करना चाहते हैं, वह इसे महाशिवरात्रि से ही आरंभ कर सकते हैं और पूरे 1 साल तक कायम रख सकते हैं । मासिक शिवरात्रि के व्रत को करने से भगवान शिव क का अपार कृपा बनी रहती है और कोई भी मुश्किल या असंभव कार्य पूरा किया जा सकता है । शिवरात्रि में रात्रि के दौरान भगवान शिव की पूजा करना चाहिए और विवाहित महिलाएं इस व्रत को विवाहित होने हेतु एवं विवाहित महिलाएं अपने विवाहित जीवन में सुख और शांति बनाए रखने के लिए इस व्रत को करती हैं ।

मासिक शिवरात्रि (Masik Shivratri Vrat) अगर मंगलवार के दिन पड़ता है तो वह बहुत ही शुभ होता है । शिवरात्रि पूजन मध्य रात्रि के दौरान किया जाता है । मध्य रात्रि को निशिता काल के नाम से भी जाना जाता है और ये दो घंटे के लिए प्रबल होती है ।

मासिक शिवरात्रि व्रत पूजा सामग्री

भगवान शिव की पूजा के लिए व्यक्ति को सुगंधित पुष्प, बिल्वपत्र, भांग, धतूरा, गन्ने का रस, शुद्ध देशी घी, दही, शहद, पवित्र नदी का जल, बेर, जौ की बालें, तुलसी दल, गाय का कच्चा दूध, कपूर, धूप, दीप, रूई, मलयागिरी, चंदन, इत्र, पंच फल पंच मेवा, मौली जनेऊ, पंच रस, गंध रोली, वस्त्राभूषण रत्न, पंच मिष्ठान्न, शिव व मां पार्वती की श्रृंगार की सामग्री, सोना, दक्षिणा, चांदी, पूजा के बर्तन और आसन आदि।

मासिक शिवरात्रि व्रत पूजा विधि

  • मासिक शिवरात्रि व्रत (Masik Shivratri Vrat) के दिन सूर्योदय से पहले जाग कर स्नान कर घर के मंदिर में दीपक जलाएं । फिर भगवान शिव का ध्यान करें तथा व्रत का संकल्प लें ।
  • पूजा के दौरान शिवलिंग पर दूध, जल, शक्कर, शुद्ध घी, शहर, दही और गंगाजल अर्पित करके पूरे मन से शिव परिवार का पूजन करें । 
  • पूजा करते समय पुष्प, बिल्वपत्र, धतूरा, भांग, श्रीफल आदि चढ़ाएं । धूप दीप से माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा और आरती करें ।
  • फिर फल, मिठाइयों, का भोग लगाएं ।
  • ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करें । तत्पश्चात् शिव स्तुति, शिवाष्टक, शिव क्ष्लोक, शिव पुराण और शिव चालीसा का पाठ अवश्य करें ।
  • शिव पार्वती की पूजा करने के बाद रात्रि जागरण तथा अगले दिन सुबह स्नानदि से निवृत्त होकर साफ वस्त्र पहनकर पूजन करें, ब्राह्मण को दान दक्षिणा दें और पारणा कर व्रत को पूर्ण करें ।

मासिक शिवरात्रि व्रत पौराणिक महत्व

पौराणिक कथाओं के अनुसार, महाशिवरात्रि के दिन आधी रात को भगवान शिव, शिव लिंग के रूप में प्रकट हुए थे । जिसके बाद सबसे पहले भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी ने उनकी पूजा की । शास्त्रों के अनुसार माता लक्ष्मी, माता सरस्वती, माता गायत्री, माता सीता, माता पार्वती और माता रति ने भी अपनी जान कि रक्षा के लिए महाशिवरात्रि का व्रत रखा था ।

मासिक शिवरात्रि व्रत कब है ? मासिक शिवरात्रि व्रत की तारीखें 2024

माहतारीखसमय
पौष, कृष्ण चतुर्दशी
मासिक शिवरात्रि
जनवरी 9, 2024
मंगलवार
प्रारम्भ – 10:24 PM, जनवरी 09 
समाप्त – 08:10 PM, जनवरी 10
माघ, कृष्ण चतुदशी
मासिक शिवरात्रि
फरवरी 8, 2024
बृहस्पतिवार
प्रारम्भ – 11:17 AM, फरवरी 08 
समाप्त – 08:02 AM, फरवरी 09 
फाल्गुन, कृष्ण चतुर्दशी 
महाशिवरात्रि, मासिक शिवरात्रि
मार्च 8, 2024
शुक्रवार
प्रारम्भ – 09:57 PM, मार्च 08
समाप्त – 06:17 PM, मार्च 09
चैत्र कृष्ण चतुर्दशी
मासिक शिवरात्रि
अप्रैल 7, 2024
रविवार
प्रारम्भ – 06:53 AM, अप्रैल 07
समाप्त – 03:21 AM, अप्रैल 08
वैशाख कृष्ण चतुर्दशी
मासिक शिवरात्रि
मई 6, 2024
सोमवार
प्रारम्भ – 02:40 PM, मई 06
समाप्त – 11:40 AM, मई 07
ज्येष्ठ कृष्ण चतुर्दशी
मासिक शिवरात्रि
जून 4, 2024
मंगलवार
प्रारम्भ – 10:01 PM, जून 04
समाप्त – 07:54 PM, जून 05
आषाढ़ कृष्ण चतुर्दशी
मासिक शिवरात्रि
जुलाई 4, 2024
बृहस्पतिवार
प्रारम्भ – 05:54 AM, जुलाई 04
समाप्त – 04:57 AM, जुलाई 05
श्रावण कृष्ण चतुर्दशी 
श्रावण शिवरात्रि, मासिक शिवरात्रि
अगस्त 2, 2024
शुक्रवार
प्रारम्भ – 03:26 PM, अगस्त 02
समाप्त – 03:50 PM, अगस्त 03
भाद्रपद कृष्ण चतुर्दशी
मासिक शिवरात्रि
सितम्बर 1, 2024
रविवार
प्रारम्भ – 03:40 AM, सितम्बर 01
समाप्त – 05:21 AM, सितम्बर 02
अश्विन, कृष्ण चतुर्दशी
मासिक शिवरात्रि
सितम्बर 30, 2024
सोमवार
प्रारम्भ – 07:06 PM, सितम्बर 30
समाप्त – 09:39 PM, अक्टूबर 01
कर्तिक, कृष्ण चतुर्दशी
मासिक शिवरात्रि
अक्टूबर 30, 2024
बुधवार
प्रारम्भ – 01:15 PM, अक्टूबर 30
समाप्त – 03:52 PM, अक्टूबर 31
मार्गशीर्ष, कृष्ण चतुर्दशी
मासिक शिवरात्रि
नवम्बर 29, 2024
शुक्रवार
प्रारम्भ – 08:39 AM, नवम्बर 29
समाप्त – 10:29 AM, नवम्बर 30
पौष, कृष्ण चतुर्दशी
मासिक शिवरात्रि
दिसम्बर 29, 2024
रविवार
प्रारम्भ – 03:32 AM, दिसम्बर 29
समाप्त – 04:01 AM, दिसम्बर 30

मासिक शिवरात्रि व्रत कि विशेष बातें:

मासिक शिवरात्रि के दिन कुछ विशेष नियमों का पालन करना चाहिए । इस दिन व्यक्ति को अपनी इंद्रियों पर नियंत्रण रख ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए और मन में किसी के भी प्रति गलत विचारों को नहीं लाना चाहिए, गाली नहीं देनी चाहिए, मांस और शराब का सेवन नहीं करना चाहिए, झूठ नहीं बोलना चाहिए । अपने क्रोध पर नियंत्रण रखना चाहिए ।

मासिक शिवरात्रि व्रत कथा :-

एक समय भगवान शिव बहुत ज्यादा गुस्सा हो गए । उनके क्रोध की अग्नि में पूरा जगत नष्ट होने वाला था, तब माता पार्वती ने भगवान शिव जी का क्रोध शांत करके उन्हें प्रसन्न किया । इसी वजह से हर महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है ।

एक अन्य कथा के अनुसार एक बार भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी के बीच मनमुटाव हो गया था । ब्रह्मा और विष्णु दोनों में से कौन श्रेष्ठ है इस बात को लेकर दोनों के बीच मतभेद हो जाता है । तब भगवान शिव जी एक अग्नि के स्तंभ के रूप में उनके सामने प्रकट होते हैं और विष्णु और ब्रह्मा जी से कहते हैं कि मुझे इस अग्नि स्तंभ का कोई किनारा दिखाई नहीं दे रहा है ।

तब भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी को अपने द्वारा की गई गलती का एहसास होता है और वह अपनी की गई गलती के लिए शिव जी से क्षमा याचना करते हैं । इसीलिए ऐसा कहा जाता है कि जो भी व्यक्ति शिवरात्रि का व्रत करता है उसके अंदर का अहंकार नष्ट हो जाता है और मनुष्य में सभी चीजों के प्रति समान भाव जागृत होता है । शिवरात्रि का व्रत करने से मनुष्य के अंदर मौजूद विकारों का अंत हो जाता है ।


परानाम

धन्यवाद !


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