Madhushravani puja:- मधुश्रावणी पूजा – नवम दिन क कथा:
madhushravani puja vrat katha in maithili day-9:- मधुश्रावणी पूजा कथा के नवम दिन क कथा मे मैना क मोह भंग और गौरी क विवाह कहि ।

मैना क मोह भंग
मैना के कोनों तरहे होश में आनल गेल आ जखन ओ होश में एयलि त नारद क फजिहत कर लागलि – नारद अहाँ त हमरा सब के कतहु मुँह देखेवर जोगर नहि रह देलउं I अहाँ त महा ठग छी I अहाँ कहलऊ महादेव एना छैथ ओना छैथ हुनका पएवाक् लेल गौरी तपस्या करथु I हमरा बेटी के अपमान भेल सं अलग आ एहन बर I कतए छैथ ओ सप्तॠषि आ कतए वशिष्ठ ,हुनका सब के कि हेतैन , मनोरथ त हमर मनहि रहि गेल इ I
हे गौरी तोरा कि भेलौ जे एहन सुन्दर- सुन्दर देवता सब छोङि एहन कुरूप वर लेल तुं तपस्या केलअ I इ कहैत मैना एकांत में जा कानए लागलि I ब्रह्मा कहलखिन- कि महादेव सब देवता में पैघ छैथ मुदा मैना टस- स मस नहि भेलखिन I दसो दिक्पाल ( सूर्य, अग्नि, यम, नैॠति ,वरुण, ईशान, ब्रह्मा तथा शेषनाग आदि ) मिली क मैना क बुझेलखिन ,मैना कहलखिन कि हम गौरी क जहर द देव मुदा एहन कुरूप वर सं गौरी क विवाह नहि करब I
हिमालय एलखिन आ मैना क कहलखिन –कि किया एना बताहि जेकाँ कैरत छी ,त्रिलोकिनाथ स्वंग द्वार पर आयल छैथ आ अहाँ जिद केने बैसल छी , मुदा मैना कहलखिन – गौर क पाथरि में बानहि पोखैर में डूबा देवई मुदा ओकर विवाह महादेव सं नहि करब I विष्णु सेहो मनेलखिन मुदा मैना अपना बात धेने बैसल रहलि I तखन नारद महदेव क कहलखिन जे –हे भोले नाथ आब अपन भाभट समटू आ अपन स्वरुप सुन्दर कय गौरी के देल वरदान के पूरा करु I
भोलेनाथ अपन रूप बदलि देल ,तखन नारद मैना क कहलखिन कि आब कोप भवन सं निकलू आ महादेव क देखू ओ केहन छैथ I आ जखन मैना महादेव दिस घूरी क देखलखिन त देखते रही गेलि I सूर्य सं चमकैत सुन्दर आँखि ,मोतीक माणिक गहना ,सूर्य हुनका छत्र ओढौने,चंद्रमा चामदार डोलबैत ,गंगा यमुना पाछू चामर धएने .ब्रह्मा ,विष्णु इन्द्र आ ॠषि हुनकर जय जयकार करैत ,गंधर्व अप्सरा गीत आ नृत्य करैत ,मैना चकित रहि गेलि आ मोने मोन प्रस्सन भेलि आ अपना भाभट पर पछतै लागलिह II
गौरी क विवाह
महादेव बर -बरियाती संगे हिमालय क द्वार पर पहुँचला ,मैना हुनकर सभ हक परिछन केलखिन स्त्रिगण सब गीत गबैत मैना क संग देलखिन I सब लोग वर क रूप देखि काठपुतली जेकाँ ठाङ भ गेल I बर के मङवा पर आनल गेल I हिमालय हुनका अहॅणा केलखिन I ओंठगर कुटल गेल I
महादेव कोहवर घर सं गौरी क हाथ पकङि अनलखिन I वर के रेशमी धोती ,फूल तथा सोना क माला पाहिरायल गेल I वर कनियाँ के आम पल्लव केर कंगन पाहिरायल गेल I ॠषि सब गोत्रध्याय पढाओल I हिमालय कन्यादान केलखिन ,शिव गौरी वेदी पर गेलाह I अग्नि क आव्वाहन कय हवन कएल गेल ,आ विवाह बिधि -विधान सं संम्पन्न कएल गेल I सब लोक दुनू गोटा के आशीर्वाद देलखिन I
गौरी -शंकर कुलदेवता क प्रणाम करि भोजन सं निवृत भय विश्राम करए गेला I तखन बरियाती सब के भोजन आ सत्कार कएल गेल I मैना अपन अज्ञातवाश लेल सब सं क्षमा मंगलैथ I त सब बरियाती सब कहलखिन कि – इ त त्रिलोकीनाथ क लीला छेलनि I अहाँ सब के सौभाग्य बढय I आब हमरालोकनिक जयवाक आज्ञा दिय I आगाँ –आँगा शिव -गौरी बसहां पर बरियाती सब संगे आ पाछू-पाछू हिमालय अपना परिवार संगे अरियातई लेल चलला ,किछु दूर बाद हिमालय लोकनि भारी मान सं बेटी क विदा क अपना घर घुरी आयलाह II

धन्यवाद
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