Madhushravani puja:- मधुश्रावणी पूजा – आठम दिन क कथा:
madhushravani puja vrat katha day-8:- मधुश्रावणी पूजा कथा के आठम दिन क कथा मे गौरी क विवाह आ बरियाती और आखरी मे बाचो बीनी कहि ।

गौरी क विवाह आ बरियाती
महादेव सप्तॠषी ,वशिष्ठ मुनि आ हुनकर पत्नी अरुंधती क हिमालय ओहिठाम पठा ,हिमालय आ हुनक पत्नी मैना सं गौरी क महादेव संग विवाह क प्रस्ताव रखलखिन I हिमालय आ मैना आह्लादित भय गेला I विवाह क दिन फागुन वदि चतुर्दशी ताकल गेल I ऋषि सब घुरि महादेव क समाचार देलखिन I महादेव देवता आ ऋषि लोकनि के हकार देवाक जिम्मेदारी नारद क देलखिन I
महादेव क गण सब बरियाती क तैयारी कर लागल I बर स सजाएल गेल ,माथ पर चंद्रमा ,शरीर में साँप ,माथ बांधल जटा, बघम्बर ओढलल, आदि पुरुष महादेव I बरियाती बर क लय चलल आ चारिम दिन हिमालय ओतय पहुँचल I सब बरियाती क स्वागत में लागि गेल I मैना क बढ मन कि वोहि बर के देखि जकरा लेल हुनकर बेटी महल छोङि जंगल में जा अतेक कठीन तपस्या केलि I ओ नारद मुनि संगे दुआरि पर गेली बर देखवा लेल I
पहिने ओ सुन्दर गन्धर्वराज क देख क बर बुझि प्रस्सन भेलि मुदा नारद कहलखिन कि इ देवता क गवैया थीका I फेर ओ धर्मराज क देखलखिन आ आनंदित भेलि मुदा ओहो बर नहीं, एहिना क्रमशः देवता लोक अवैत गेला आ मैना ओकरा बर बुझैत रहलि आ नारद हुनकर बात क खंडित करैत रहला I महादेव सब देखैत छलैथ ओ मैना क परेशान करवाक प्रयोजन सोच लगला I नारद मैना क कहलखिन कि देखियो ओ रहल बर I मैना हुलसि क देखए लागलि I
पहिने महादेव क गण, सेवक, भूत, पिचाश ,मैना का हृदय धक् धक् I तावत महादेव हुनका देखाए देलैथ ,बासहा चढल, पाँच मुँह ,तीन आँख, दस हाथ ,शरीर पर भस्म ,कौरी माला गर्दन में, माथ पर चंद्रमा, एक हाथ खप्पर, दोसर हाथ भिक्षा पात्र ,तेसर पिनाक, चारिम तीर, पाँचम त्रिशूल, छठम अभय ,हाथी क चाम पहिरने, बघम्म्बर ओढने ,सौसे शरीर पर साँप ,मैना बर के देखैत इ चिचिएत मूर्क्षित भय गेलि – कि एहन बर संगे हमर सुकुमारी गौरी कोना रहती .जिद्दी छौङी , इ कि कयले II
बाचो बीनी
“पुरैनिक पत्ता ,झिलमिल लत्ता ताहि चढ़ी बैसली बिसहरी माता I
हाथ सुपारी खोईंछा पान ,बिसहरी माता करती शुभ कल्याण “II

धन्यवाद
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