Madhushravani puja vrat:- मधुश्रावणी पूजा – तेरहम दिनक कथा:
राजा श्रीकरक कथा
श्रीकर नामक राजा रहथि । हुनका एकटा बड सुन्दरि बेटी भेलनि । जखन हुनका टिप्पणि देखाओल गेल त ज्योतिष कहलनि जे हिनका बड़ अधलाह योग छनि । छाती लात, झोंट हाथ, आ सौतिनक पोखरिमे अढाइ झाक मांटि उघथि, इएह हिनकर टिप्पणिमे छनि । राजा ई सुनि बड़ दुखी भेलाह । अपन साध्य किछ नहि छनि ओ एहिमे की कए सकितथि । बेटी जखन विवाह करबाक योग्य भेलथिन त राजा मरिं गेलाह । श्रीकर राजाक बेटाक नाम चन्द्रकर रहनि । पिताक मृत्युक बाद चन्द्रकर राजा भेलाह ।
माए सतत चन्द्रकरक बहिनिक विवाह करएबा लय तंग ‘करथिन मुदा चन्द्रकरके बहिनिक टिप्पणिक बात मोन छलनि । ओ अपन माएसे कहलनि “हम बहिनिक विवाह नहि करायब । हम् हुनकर अपमान नहिं संहि सकेत छी । छाती लात झोटा हाथ आ सौतिनिक पोखरि अढाइ झाक माटि उघब देखि, हमरा बर्दास्त नहि होयत । हम एकर निराकरण सोचि रहल छी । जे ने कियो हुनका देखतनि आ ने ककरोसँ विवाह हेतनि, ने कियो छाती मे लात मारतनि आ ने किया झोँटामे हाथ लगौतनि, ने सौतिनक पोखरिक माटि उघ पड़तनि ।
”राजा चन्द्रकर एक निर्ज़न बनमे माटिमे एक बड़ पैघ सोन्हि खुनबाओल । ओहिमे रहबाक योग्य एक घर आ एक इनार सेहो बनबाओल । एक चेरियाक संग बहिनिको ओहि सोन्हिमे बास दए देल । ऊपरसँ सोन्हिक मुँह बन्द कए देल । कनेक द्वारि ओहिमे छोड़ि देल गेल, जाहि बाटे बसात जा सकय । कोनो तरहें एक आदमी बाहर -भीतर कय सकय । राजकुमारी अबला छलीह । हुनका भाइक बात मानय पड़लनि ।
ओ सोन्हि मे दिन ‘काटय लगलीह । भाय मास दिन पर खयबा – पीबाक वस्तु पठबैत रहथिन । एक दिन सुवर्ण नामक राजा शिकार खेलाइत ओहि बनमे पहुँचलाह, जतए राजकुमारी सोन्हिमे रहेत छलीह । राजाकों पियास लागि गेलति । ओ पानी तकैत छलाह । अचानक हुनका चुट्ंटी सब पर नजरिं गेलनि । चुट्टी सब एक धारी स जाइत छलाह । जखन राजा ओकरा देखलनि ‘त देखैत छथि जे चुट्टोक मुँहमे साग आ भात छेक़ ।
राजा के विश्वास भेलनि जे एहि लग -पासमें कियो मनुष्य रहैत अछि । ओ चुट्टी धारीक अन्त तक गेलाह । आओ देखैत छथि जे एक झाड़ी में गिदर वा साहीक-बिल सन सोन्हि छैक, ओहिस चुट्टीक धारी बहरेलैक अछि – राजा सोन्हिसे पैसि गेलाह । भीतर गेलाक बाद देखैत छथि एकटा बढियाँ आँगन आ एक इनार । ओ हाक् ल॒गौलनि- “कियो एतए छी हमरा बड़ जोर पियास लागल अछि ! कनेक पानि पिआउ ।”
हाक सुन राजकुमारी एक पात्र में शीतल जल अपन चेसियाक हाथें पठा देलनि । राजा जल पीलनि, किन्तु पियास लगले रहलनि । ओ पुन: पानि माँग पीलनि । ओतेए हुनका चेरियास ज्ञात भेलनि जे एक सुन्नरि राजकुमारी एहि सोन्हिमे रहेत छथि, आ!” ओ कुमारिये छथि । ओहि राति राजा ओतए रहि गेलाह, आ राजकुमारक सुन्दरता देखि राजकुमारी मोहित भए गेलीह । ओ राजकुमारीस विवाह कए लेल ओ सुख-खिलास करैत किछु दिन ओतए बिताओला ।
राजा अपन राजधानी घुरबाक विचार करए लगलाह।राजकुमारी कहलनि-““जाइत छी त॑ जाउ, मुदा ई बात मोन राखंब जे साओन सूदि तृतीयाकों मधुश्रावणी पाबन्नि होएतैक । ओहि दिन नवंविवाहिता कनियाँ पावनति करैत अछि । ओहि दिन कनियाँ सब सासुरक वस्त्र पहिरैत अछि आ सासुरेकः अन्न खाइत अछि । ते मोन पारि कए ककरो द्वारा से सब पंठा देब ॥ “राजा अपन राजधानी घुरि अयलाह । कारीगर के बजबाओल, आ एक खूब सुन्दर चुनरी-बुनिकए देबए लेल आज्ञा देलनि । ई बात जेठकी रानी बूझि गेलीह ॥
रानी सोचल जे राजा फेर कतहु दोसर विवाह कएलनि अछि तैं ने जोलहा के चुनरी बुनि देबाक लेल कहलतनि अछि ।एतेक दिन जे राजा निपत्ता छलाह त्तकर इएह कारण थीक । रानी चुपचाप जोलहा के बजबाओल आ कहल – तुई ओहि:चुनरीमे छाती लात आ झोंटा हाथ ” लिखि दिहैक आ ओकरा तेना -कए चौपेति दिहे, जे कियो बुझौक नहि । राजा के एकर खबरि नहि होइन । यदि तो हमर कहला कइर देबैं तैँ तोरा डाला भरि सोना इताममे देबौ । जोलहा आमदनी देखि रानीक बात मानि गेल ।पूर्व समयमे राजा लोकनि चिडै- चुनमुनी पोसैठ छलाह । ओक़रा सबके प्रशिक्षित कए गुप्त काज लैत छलाह ।
राजा सुवर्णके सेहो एकटा कौआ:छलनि । राजा चुनरी एकटा बाँसक चोंगामे दए ओकर मुह बन्द क’ देलनि आ मधु श्रावणी से एकः दिन पूर्व कौआ के देलथिन आ नव कनिआक पता बुझा क दय एबाक आदेश देलनि । कौआ चलाकः रहितहुँ छल त कौए बाटमें एकटा कुम्हारके ओत भोज रहैक, ओतय ओ चोंगा राखि ऐँठ -कूठ खाय लागल ओकरा चोंगा ओतहि बिसरि गेलैक । मधुश्रावणी दिन राजकुमारीके सासुरसँ कोनो वस्तु नहि अयलनि ओ तमसा कए उजरा चानन से गौरीक पूजा कयलनि आ कर जोरि वर माँग ली जे जहिया हमरा राजासँँ भेंट हो त हम बौक’ भ जाइ राजकुमारीक भाय चन्द्रकरके जखन पता लागल जे हुनकर बहिन विवाह कए लेलक त’ ओ तमसा कए खर्चा पठायब बन्द कए देलनि ।
खर्ची बन्द भेलासँ राजकुारीक साँझक -साँझ उपास परय लगलनि । चेरियाक राजकुमारीक कष्ट नहि देखल जाइक । लग -पासमे एकटा पोखरि खुनाइत छलैक ओहिमे माटि उघक काज करए लागल । साँझमे बोनी आनि दुनू गोटे उपास तोर्य । ईं काज चेरिया नित दिन करए लागलि । ओहि बोइन स दुनू गोटेक गुजर नहि जानि । राजकुमारी सेहो ‘फाटल -पुरान पहिरि चेरियाक संग बोनि करय लेल गेलीह । ओतय हुनका पता लागि गेलनि जे ई पोखरि हुनकर सौतिनक खुना रहल छई । ई बुझितहिं हुनका टिपनिक बात मोन पड़लनि । ओ सोचलनि लिखलाहाके कियो नहि मेटि सकैत अछि । जखन ओ पथियामे माटि उठेलनि आ भारी लागल-त बाजि उठलीह-
“सिरकर सिरहि चढाओल, चन्द्रकर देल बनवास ।
राजा सुवर्ण वनहि बियाहल, लिखला नहिं परकार ॥”
जन सब ई सुनि अकचका गेल । राजकुमारी दोसर पथिया माँटि उठाओल आ ओएह फकरा बजलीह । वनमे राजा सुबर्णक विवाहक बात सुनि सभके आश्चर्य लगलैक । संयोगसँ राजा सेहों ओहि दिन पोंख़रिक काज देखबाक हेतु आयल छलाह । ओहो ई फकरा सुनलनि । फकरा सुनि हुनका सब बात मोन पड़ि गेलनि-कोना ओ प्यासें व्याकुल स राजकुमारीक ओतय गेलाह, केहन ओतय हुनका सत्कार भेलनि, फेर विवाहों कवलनि । सब बात राजाके स्मरण होय लगलनि । तकर बाद ओ अपन राजधानी आबि ओहि राजकुमारीके विसरि गेलाह ।
राज़ाकँ लाज ओ आत्मग्लानि भेलनि । राजकुमारी तेसर पथिया माँटि फेकबाक लेल उठैलनि एहि बेर ओ आधे पथिया फेकि सकलीह ता बीचे मे राजा सुवर्ण हुनका आगाँ मे ठाढ भर गेलाहः। राजकुमारी के राजा चिन्हि गेलाह आ पुछलनि जे ई काज किएक कय रहल छी । राजकुमारी गौरीक वरदानक अनुसार बौकि भ गेलीह । ओ राजाके किछु उत्तर नहि द् सकलीह बौकि भेलि ठाढ़ि रहलीह । राजा सवारी मँगाय चेरियाक संग राजकुमारीके राजमहल लय गेलाह ।
ओतय स्नान कराय सुन्दर पटोर आ गहना सब पहिरा रानीके सम्मान देलथिन । तहन राजाके एहि बातक दुख होइन जे बजैत किएक नहि छथि । चेरिया्स पुछला पर ओ कहलक “मधुश्रावणी दिन अपने पाबनि हेतु किछू नहिं पठेलिअनि ओहि तामसे राजकुमारी उजरा फूल आ उजरा चाननस गौड़ीकः पूजा कयलनि आ गौड़ी सँ वरदान मगलनि जे जहन हमरा राजासँ भेंट हुअथ त हम बौक भ’ जाइ । तैं ओ नहि बजैत छथि” ।
राजा जहन सब बात सुनलनि त दुःखक पारावार नहि रहल । ओ कौआ के बजा चोडाक खोज कयलनि । कौआके ई बात ध्यानसँ उतरि गेल रहैक । खोज करिते ओकरा कुम्हार ओहिठामक बात मोन पड़ि गेलैक । राजा अपन दूत पठा कुम्हार के बजबोलखिन तहन ओ कहलकनि जे हमरा एकर जानकारी नहि अछि तहन हम अपना ओहिठाम खोज करैत छियैक ।
कुम्हरा तहन आगन गेल आ खोज केलक त पता लगलै जे भोजक दिन ई चार परंस खसल आ ओकर पुतहु ओ चोडग उठा कोठीमे राखि देलक से रखले रहैक । ओ आनि राजा के देलकनि आ क्षमा याचना केलक । राजकुमारीक तहन सन्तोष भेलनि जे एहिमे राजाक कॉनो दोष नहि । कौआक चंचलता स ई सब फसाद भेल ।
चोडा आनि जखन राजा देखलनि तहन सब वस्तु आहिना अनामति छल चोडामें सँ पटोर निकालि जहन देखलनि त देखेत छथि जे ओहिं पर लिखल अछि “छाती लात आ झोंटा हाथ” राजाके ई देखिते देहमे जेना आगि लॉग गेल औ जोलहाके बजाय पुछलंखिन जे ई कोना लिखल गेल ? जोलहा सब सविस्तर कहिं देलक । राजां रानी के बजबाय दू खण्ड कऽ काटि गड़बा देलनि ।
राजकुमारीके आब बुझा गेलनि जे एहिमे राजाक कोनो दोष नहिं। कौआंक गलती सँ एतेक फसाद भेल । राजकुमारी अगिला साल मधुश्रावणी दिन ललका फूल आ चाननस गौरी पूजा कयलनि आ बोल फूटबाक वरदान मँगलनि रानीक बोल फटलनि आ तखन ओ राजाक संग रानी बनि सुखसे जीवन बितबय लगलीह ।

धन्यवाद !
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