प्रत्येक वर्ष भाद्रपद महीने में रक्षाबंधन के तीन दिन बाद तथा जन्माष्टमी से पांच दिन पहले कृष्णा पक्ष की तृतीया तिथि को कजरी तीज (Kajari Teej Vrat) का त्यौहार मनाया जाता है । इस कजरी तीज को बड़ी तीज, सातुड़ी तीज, बूढ़ी तीज, कज्जली एवं कजली तीज के नाम से भी जाना जाता है । यह एक कठिन त्योहार है जिसमें व्रती दिन भर उपवास के दौरान पानी भी नहीं पीता है । सावन तथा भादों मास में मनाई जाने वाली मुख्य तीज हरियाली तीज, कजरी तीज, हरतालिका तीज भारतीएं महिलाओं के बीच अत्यधिक प्रसिद्ध हैं ।
इस दिन श्री विष्णु की पूजा की जाती है । मान्यताओं में इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती के भवानी स्वरूप की भी पूजा की जाती है । इस दिन महिलाएं अपने सुहाग के लिए व्रत करती हैं, जबकि कन्याएं मनाचाहा वर पाने के लिए कजरी तीज के दिन उपवास रखती हैं । कजरी तीज के दिन सारे दिन व्रत रहकर कर शाम को चंद्रोदय होने पर ही इस व्रत का पारण किया जाता है ।
कजरी तीज व्रत तिथि और मुहूर्त (Kajari Teej Vrat Date and Shubh Muhurt)
पंचांग के अनुसार, इस बार भाद्रपद महीने में कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि 21 अगस्त को शाम 5:15 से शुरू होगी । वही इस तिथि का समापन अगले दिन यानी 22 अगस्त को दोपहर 01 बजकर 46 मिनट पर होगा । उदय तिथि के हिसाब से कजरी तीज का व्रत 22 अगस्त को किया जाएगा । इस दिन पूजा के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 5:50 से सुबह 7:30 के बीच रहेगा ।
Festival | Date |
कजरी तीज तिथि Kajari Teej Vrat Kab Hai | 22 अगस्त 2024, गुरुवार 22 August 2024, Thursday |
कजरी तीज तृतीया तिथि आरंभ Kajari Teej Vrat Start | 21 अगस्त 2024, बुधवार शाम 05:15 मिनट से 21 August 2024, Wednesday 05:15 pm |
कजरी तीज तृतीया तिथि समाप्त Kajari Teej Vrat End | 22 अगस्त 2024, गुरुवार शाम 01:46 मिनट पर 22 August 2024, Thursday 01:46 pm |
कजरी तीज पूजा का शुभ मुहूर्त Kajari Teej Vrat Puja Shubh Muhurt | सुबह 05:50 बजे से दोपहर 07:30 बजे तक 05:50 am to 07:30 am |
कजरी तीज का महत्व (Kajari Teej Vrat significance)
कजरी तीज का व्रत सभी महिलाएं अखंड सौभाग्य प्राप्त करने के लिए करती हैं । कुंवारी कन्या भी मनचाहा जीवनसाथी प्राप्त करने के लिए कजरी तीज का व्रत करती हैं । पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मध्य भारत में कजरी नाम का एक वन मौजूद था । वहां पर रहने वाले लोग कजली के नाम से बहुत सारे लोक गीत गाया करते थे । एक बार वहां के राजा मृत्यु को प्राप्त हो गए ।
जिसके पश्चात उस राज्य की रानी भी राजा के साथ ही सती होकर अपने प्राण त्याग दिए । इस घटना के बाद वहां के लोग बहुत ही दुखी रहने लगे । तब से वहां पर कजरी के गीत पति और पत्नी के प्रेम से जोड़कर गाए जाने लगे । कजरी तीज के पर्व पर गाय की पूजा का खास महत्व होता है । संध्या काल में व्रत तोड़ने से पहले महिलाएं गायों को सत्तू के साथ चना और गुड़ खिलाते हैं ।
इस दिन प्रत्येक महिला झूला झूलतीं हैं तथा अपनी सहेलियों के साथ एक जगह समूह में भजन, कीर्तन एवं झूला के गीतों के साथ नाच गाने करती हैं । त्योहार के दिन महिलाएं अपनी हथेलियों पर मेहंदी लगाती हैं और नए वस्त्र पहनती हैं । यह त्यौहार ज्यादातर राजस्थान, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों में मनाया जाता है ।
कजरी तीज व्रत पूजा सामग्री (Kajari Teej Vrat Puja Samagri)
कजरी तीज का व्रत करने के लिए आप पीला वस्त्र, कच्चा सूत, नए वस्त्र, केला के पत्ते, बेलपत्र, भांग, धतूरा, शमी के पत्ते, जनेऊ, जटा नारियल, सुपारी, कलश, अक्षत या चावल, दूर्वा घास, घी, कपूर, अबीर-गुलाल, श्रीफल, चंदन, गाय का दूध, गंगाजल, दही, मिश्री, शहद, पंचामृत रखें. इसके साथ ही मां पार्वती को सुहाग का सामान अर्पित करने के लिए एक हरे रंग की साड़ी, चुनरी और सोलह श्रृंगार से जुड़े सुहाग के सामान में सिंदूर, बिंदी, चूड़ियां, माहौर, कुमकुम, कंघी, बिछिया, मेहंदी, दर्पण और इत्र जरूर लाएं ।
कजरी तीज व्रत पूजा विधि (Kajari Teej Vrat Puja Vidhi)
कजरी तीज का व्रत रखने के लिए सुहागिन महिलाएं सुबह ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें और नए वस्त्र पहने । इसके बाद भगवान सूर्य को जल चढ़ाएं और मंत्रों का जाप करें । फिर मंदिर की साफ-सफाई करें और चौकी पर लाल या पिले रंग का वस्त्र बिछाएं । अब चौकी पर भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति स्थापित करें । इसके बाद शिवजी को अभिषेक करें । इसके बाद दूध, दही, शहद चढ़ाएं । मां पार्वती को सिंदूर और शिवजी को रोड़ी अर्पित करें । अब बेलपत्र, दूर्वा और धतूरा अर्पित करें ।
मां पार्वती को सोलह श्रृंगार चढ़ाएं, फूल चढ़ाए, अबीर-गुलाल अर्पित करें । इसके बाद पूजा घर के पूर्व दिशा की ओर मिट्टी और गोबर से तालाब की तरह एक छोटा सा घेरा बना ले । अब इस घेरे के अंदर कच्चा दूध और जल डालें । अब इस घेरे के किनारे एक दीपक प्रज्वलित करके रख दें ।
अब एक थाली में केला, सेब, सत्तू, रोली, मौली, अक्षत आदि रख लें । अब इस घेरे के किनारे नीम की एक डाल तोड़कर लगा दे । अब इस नीम की डाल पर लाल चुनरी चढ़ाएं और पूजा करें । कजरी तीज की कथा का पाठ और आरती करें । संध्या काल में चंद्रमा को जल अर्पित करने के बाद अपने पति के हाथ से जल ग्रहण करके व्रत तोड़े ।
रात में ऐसे करें पूजा
कजरी तीज में चंद्रोदय होने पर पूजा करें । इस दौरान हाथ में एक चांदी की अंगूठी और गेहूं के कुछ दाने लेकर चंद्रदेव की पूजा करें । इसके बाद उन्हें अर्घ्य दें । पूजा समाप्त होने के बाद किसी सौभाग्यवती स्त्री को सुहाग की चीजें दान में देकर उनसे आशीर्वाद लें ।
कजरी तीज के लाभ
कजरी तीज का व्रत रखने और पूजा करने से सुहागिन महिलाओं को कई लाभ मिलते हैं, जैसे:
- सुखी वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद मिलता है ।
- पति की दीर्घायु और कल्याण होता है ।
- संतान सुख की प्राप्ति होती है ।
- घर में सुख-समृद्धि आती है ।
- मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं ।
- मान-सम्मान बढ़ता है ।
कजरी तीज कथा (Kajari Teej Vrat Katha)
प्राचीन काल में एक गांव में एक बहुत ही गरीब ब्राह्मण रहा करता था । ब्राह्मण की पत्नी ने भाद्रपद माह में आने वाली कजरी तीज का व्रत किया । ब्राम्हण की पत्नी ब्राम्हण से कहा कि आज मेरा कजरी तीज का व्रत है, पूजा के लिए थोड़ा सा चने का सत्तू ले आओ ।
ब्राह्मण ने कहा मैं सत्तू कहां से लाऊं, तब ब्राम्हण की पत्नी ने कहा कि कहीं से भी मुझे थोड़ा सा सत्तू ला कर दो । चाहे तुम्हें इस के लिए चोरी ही क्यों न करनी पड़े । रात्रि काल में ब्राम्हण अपने घर से बाहर निकल कर साहूकार की दुकान में चुपके से घुस गया । दुकान में जाकर ब्राह्मण ने चने की दाल, शक्कर तोल कर सवा किलो सत्तू बना लिया और चुपचाप घर जाने लगा ।
आवाज सुनकर दुकान में मौजूद नौकरों की नींद खुल गई और वो जोर-जोर से चिल्लाने लगे । आवाज सुनकर साहूकार आया और ब्राह्मण को जाते हुए पकड़ लिया । तब ब्राह्मण ने कहा मैं चोर नहीं हूं, मैं एक बहुत ही गरीब ब्राम्हण हूं । आज मेरी पत्नी ने कजरी तीज का व्रत किया है । इसलिए मैंने सिर्फ सत्तू ही लिया है । साहूकार ने ब्राह्मण की तलाशी ली । उसके पास सत्तू के अलावा और कुछ भी नहीं मिला । चांद निकल आया था और ब्राम्हणी अपने पति का इंतजार कर रही थी ।
ब्राह्मण की बात सुनने के बाद साहूकार ने कहा तुम्हारी पत्नी को आज से मैं अपनी बहन मानता हूं । ऐसा कह कर साहूकार ने ब्राह्मण को सत्तू, गहने, रुपए, मेहंदी, लच्छा और बहुत सारा धन देकर विदा किया । ब्राह्मण ने सभी चीजें लाकर अपनी पत्नी को दी और उसकी पत्नी ने खुशी-खुशी पूरी श्रद्धा के साथ कजरी माता की पूजा की । इसके पश्चात ब्राह्मणों के दिन बदल गए उसके घर में धन-संपत्ति बरसने लगे ।
अशुभ मानी जाती हैं ये चीजें
कजरी तीज के दिन व्रत करने वाली महिलाओं को सफेद और काले रंग के वस्त्र पहनने से बचना चाहिए, ऐसा करना अशुभ होता है । इस दिन मुख्य रूप से हरे, पीले और लाल रंग के कपड़े पहनने शुभ माने जाते हैं । वहीं व्रत के दिन महिलाओं को हाथों में मेहंदी जरूर लगानी चाहिए । साथ ही हाथ में चूड़ियां भी जरूर पहननी चाहिए, क्योंकि इस दिन खाली हाथ रखना अशुभ होता है ।
इन बातों का रखें ध्यान
कजरी तीज व्रत के दिन महिलाओं को अपने पति से लड़ाई-झगड़ा नहीं करना चाहिए । इस दिन किसी का अपमान न करें और न ही किसी से अपशब्द कहें । इस दिन गुस्सा आदि करने से भी बचना चाहिए, वरना इससे व्रत का पूर्ण फल प्राप्त नहीं होता है ।
धन्यवाद !
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