Guru Purnima 2024: A celebration of sacred knowledge, divine guidance and gratitude to all who illuminate our path | गुरु पूर्णिमा का त्योहार कब है?

चंद्र मास आषाढ़ के शुक्ल पक्ष में आने वाली पहली पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima) के रूप में मनाया जाता है । संस्कृत में गुरु शब्द का अर्थ- गू का अर्थ है अंधकार, अज्ञान और रु का अर्थ है दूर करना या हटाना । तो गुरु वह है, जो हमारे जीवन से अज्ञानता के अंधकार को दूर कर करता है हमें ज्ञानी बनता है और हमारे जीवन और मन में सकारात्मक लाता है । हमें इस काबिल बनता है कि हम अपने जीवन की प्रत्येक चुनौतियों का सामना कर सके ।

गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima) का पर्व गुरु एवं शिक्षकों के प्रति उनका सम्मान व्यक्त करने के लिए मनाते है । गुरु पूर्णिमा का महत्व गुरु और शिष्य के पवित्र संबंध का प्रतीक है । इस दिन शिष्य अपने गुरु के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हैं और उनके ज्ञान और मार्गदर्शन के लिए उनका सम्मान करते हैं ।

गुरु गोविंद दोउ खड़े काके लागू पाय ।
बलिहारी गुरु आपने, गोविन्द दियो बताय ॥

कबीरा ते नर अंध हैं, गुरु कों कहते औंर ।
हरि रूठे गुरु ठौर हैं, गुरु रूठे नहीं ठौर ॥

सब धरतीं कागज़ करूं, लेंखनी सब बनराय ।
सात समुंदर की मसि करूं, गुरु गुण लिखा न जाये ॥

संत कबीर दास जी की यह कविता पूरे विश्व में विख्यात है, जिसमें उन्होंने गुरु का पद गोविंद अर्थात परमात्मा से भी ऊपर बताया है । उन्होंने बताया की गुरु का स्थान गोविंद से भी ऊंचा होता है । उनका मानना है कि वे सभी लोग अंधे हैं, जो गुरु को परमात्मा से अलग समझते हैं अगर भगवान रूठ जाते हैं तो गुरु का आश्रय है, पर यदि गुरु ही रूठ जाए तो कहीं शरण नहीं मिलेगा ।

उन्होंने इस कविता में गुरु के बारे में उल्लेख करते हुए कहा है कि, अगर संपूर्ण धरती को कागज बना लिया जाए, समस्त जंगल की लड़कियों का कलाम बना लिया जाए और सातों समुद्र की जल को स्याही बना लिया जाएगा तो भी गुरु की महिमा का वर्णन करना संभव नहीं है ।

इस तिथि पर महाभारत के रचयिता ऋषि वेदव्यास जी का भी जन्म हुआ था, इसलिए इस दिन को गुरु पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है । साथ ही इस तिथि को व्यास पूर्णिमा और वेद पूर्णिमा भी कहा जाता है । सनातन धर्म में गुरुओं को भगवान से भी श्रेष्ठ माना जाता है, क्योंकि गुरु ही हमें भगवान के बारे में बताते हैं और उनसे रूबरू कराते हैं । इसके बिना ब्रह्म ज्ञान और मोक्ष की प्राप्ति नहीं हो सकती ।

गुरु पूर्णिमा 2024 तिथि (Guru Purnima 2024 Tithi)

21 जुलाई 2024 रविवार के दिन गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima) का यह पर्व हिंदू धर्म और बौद्ध धर्म मे ना केवल महत्वपूर्ण माना गया है, बल्कि इसे पवित्र भी माना जाता है ।

  • आषाढ़ माह की पूर्णिमा तिथि 20 जुलाई, शनिवार के दिन शाम 5.59 मिनट पर लग जाएगी ।
  • इस तिथि का समापन 21 जुलाई, रविवार को दोपहर 3.46 मिनट पर होगा ।
  • इसी कारण पूर्णिमा का व्रत 21 जुलाई, 2024 रविवार के दिन रखा जाएगा ।
FastivalDates 
Guru purnima 2024 Date
गुरु पूर्णिमा 2024 मे कब है ?
21 July, Sunday 2024
21 जुलाई, रविवार 2024
Guru Purnima 2024 Tithi Begins
गुरु पूर्णिमा 2024 तिथि शुरू
5:59 PM on July 20, 2024
शाम के 5:59 पर होगी
Guru purnima Udaya Tithi
गुरु पूर्णिमा 2024 उदयातिथि
21 July, Sunday 2024
21 जुलाई, 2024 रविवार
Guru purnima 2024 Tithi Ends
गुरु पूर्णिमा 2024 तिथि का समापन
03.46 PM on 21 July, Sunday 2024
21 जुलाई, रविवार 2024 को दोपहर 03.46 पर होगा

क्या है गुरु पूर्णिमा का इतिहास (History of Guru Purnima)

माना जाता है कि गुरु पूर्णिमा के दिन ही वेदव्यास जी जिन्हें हिंदू धर्म का आदि गुरु माना जाता है उनका जन्म हुआ था । वेदव्यास जी ने महाभारत, वेदों और पुराणों सहित अन्य कई महत्वपूर्ण धार्मिक ग्रंथो की रचना की थी । इसके अलावा गुरु पूर्णिमा के दिन ही भगवान कृष्ण ने अपने गुरु ऋषि शांडिल्य को ज्ञान प्रदान करने के लिए चुना था । इस दिन भगवान बुद्ध ने भी अपने पहले पांच शिष्यों को उपदेश दिया था । 

इसी पावन दिवस पर भगवान शिव ने,जिन्हें आदियोगी या पहले गुरु कहते हैं- उन्होंने अपने पहले सात शिष्यों, सप्तर्षियों को सर्वप्रथम योग का विद्या प्रदान किया था । इस प्रकार आदियोगी इस दिन आदिगुरु यानी पहले गुरु बने । सप्तऋषि इस ज्ञान को लेकर पूरी दुनिया में गए और आज भी धरती पर प्रत्येक आध्यात्मिक प्रतिक्रिया आदियोगी द्वारा दिए गए ज्ञान के मूल से जन्मी है ।

गुरु पूर्णिमा की पूजा विधि (Guru Purnima Puja Vidhi)

  • गुरु पूर्णिमा के दिन प्रातःकाल स्नान आदि नित्यकर्मों से निवृत होने के बाद शुद्ध वस्त्र धारण करने चाहिए ।
  • पूजा स्थल को गंगा जल छिड़क कर शुद्ध करने के बाद व्यास जी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें । 
  • अब व्यास जी के चित्र पर ताजे फूल या माला चढ़ाएं और इसके बाद अपने गुरु के पास जाना चाहिए । 
  • अपने गुरु को ऊँचे सुसज्जित आसन पर बैठाकर फूलों की माला अर्पित करनी चाहिए ।
  • अब वस्त्र, फल, फूल व माला अर्पण करने के बाद अपने सामर्थ्य अनुसार दक्षिणा देकर उनका आशीर्वाद लेना चाहिए ।

गुरु पूर्णिमा पर गुरु दीक्षा कैसे लें (Guru purnima guru diksha significance)

यदि आपने पहले से ही गुरु दीक्षा ली है, तो उस समय उन्होंने आपके कान में जो गुप्त, गुरु मंत्र बताया है, उसे नियमित 5 या 11 बार जप करें । साथ ही गुरु पूर्णिमा के दिन उस मंत्र का जाप विशेष तौर पर करें । 

अगर आपने किसी को आध्यात्मिक गुरु नहीं बनाया है, मतलब किसी से गुरु दीक्षा, या मंत्र नहीं लिया तो भगवान विष्णु को गुरु मानकर प्रणाम करें । गुरु पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु की भी पूजा अर्चना की जाती है ।

कैसे मनाया जाता है गुरुपूर्णिमा ? (How to Celebrate Guru Purnima)

गुरु पूर्णिमा के दिन सभी लोग अपने गुरुओं के प्रति कृतज्ञता को व्यक्त करते हैं और उनके चरण स्पर्श कर उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं । उन्हें मिठाई और फूल भेंट करते हैं । कई जगह पर गुरु शिष्य परंपरा को दर्शाने वाले नाटक और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं ।

गुरु पूर्णिमा से जुड़ीं विशेष बातें (Other Interesting Facts About Guru Purnima)

गुरु पूर्णिमा उत्सव के इतिहास में वेद व्यास की कहानी बहुत महत्व रखती है। हालाँकि, इस त्योहार को मनाने के कुछ अन्य दिलचस्प पहलू भी हैं। आइये इन तथ्यों पर एक नजर डालते हैं। गुरु पूर्णिमा के बारे में कुछ और तथ्य इस प्रकार हैं:

  • गुरु पूर्णिमा का दिन न केवल वेद व्यास को श्रद्धांजलि देता है बल्कि भगवान शिव और भगवान बुद्ध जैसे अन्य गुरुओं का भी सम्मान करता है । 
  • यह उस तिथि को दर्शाता है जिस दिन भगवान शिव ने आदि गुरु या मूल गुरु के रूप में सप्तर्षियों को योग की शिक्षा दी थी । 
  • यह दिन उस दिन से भी संबंधित है जिस दिन भगवान बुद्ध ने सारनाथ में अपना पहला उपदेश दिया था । 
  • यह दिन हमारे शिक्षकों और अनगिनत अन्य लोगों का सम्मान करता है जिन्होंने हमारे जीवन में गुरु के रूप में कार्य किया ।
  • गुरु के ज्ञान से ही विद्यार्थी को विद्या की प्राप्ति होती है और उसके ज्ञान से ही अज्ञान एवं अंधकार दूर होता है ।
  • गुरु की कृपा ही शिष्य के लिए  ज्ञानवर्धक और कल्याणकारी सिद्ध होती है । संसार की सम्पूर्ण विद्याएं गुरु के आशीर्वाद से ही प्राप्त होती है ।
  • हिंदू धर्म में, सभी पवित्र पुस्तकें गुरुओं के महत्व को बताती हैं ।
  • यह दिन गुरु से मंत्र प्राप्त करने के लिए श्रेष्ठ होता है ।
  • इस दिन गुरुजनों की सेवा करना अत्यंत शुभ होता है ।
  • किताबें गुरु और उनके शिष्य या शिष्य के बीच साझा किए गए सुंदर बंधन को भी उजागर करती हैं ।
  • एक पुराना संस्कृत वाक्यांश, ‘माता पिता गुरु दैवम’, किसी व्यक्ति के जीवन में इन लोगों की स्थिति को दर्शाता है । सबसे ऊपर माँ को रखा गया है, उसके बाद पिता को । फिर एक स्थान गुरु के लिए आरक्षित है और चौथा स्थान भगवान के लिए है ।
  • गुरु पूर्णिमा के दिन केवल गुरुओं का ही नहीं, बल्कि परिवार के सबसे बड़े सदस्य जैसे माता-पिता, भाई-बहन आदि को भी गुरु तुल्य ही मानना चाहिए ।
  • इस त्योहार की तिथि बौद्ध धर्म के अनुयायियों और भक्तों के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है । ऐसा इसलिए है क्योंकि गौतम बुद्ध (बौद्ध धर्म के संस्थापक) ने ज्ञान प्राप्त करने के बाद अपना पहला उपदेश सारनाथ में दिया था । इसलिए, बौद्ध इसे गौतम बुद्ध को श्रद्धांजलि देने के लिए मनाते हैं ।
  • यह वाक्यांश बताता है कि गुरु को भगवान से भी ऊंचा स्थान प्राप्त है, और इसलिए उनके साथ सम्मानपूर्वक व्यवहार किया जाना चाहिए । 
  • संक्षेप में, गुरु पूर्णिमा का शुभ दिन पवित्र समय की शक्ति और गुरुओं की महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाता है ।

गुरु पूर्णिमा का महत्व (Guru Purnima Mahatva)

शिष्यों द्वारा आध्यात्मिक गुरुओं और अकादमिक शिक्षकों को नमन और धन्यवाद करने के लिए गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima) के पर्व को मनाया जाता है । सभी गुरु अपने शिष्यों की भलाई के लिए अपना पूरा जीवन न्योछावर कर देते है । हमेशा से आध्यात्मिक गुरु संसार में शिष्य और दुखी लोगों की सहायता करते आये हैं और ऐसे ही कई उदाहरण हमारे सामने मौजूद है जब गुरुओं ने अपने ज्ञान से अनेक दुखी लोगों की समस्याओं का निवारण किया है । 

स्वामी विवेकानंद और गुरु नानक ऐसे ही गुरु थे जिन्होंने हमेशा संसार की भलाई के लिए काम किया हैं । गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima) को भारत के अतिरिक्त भूटान और नेपाल आदि देशों में भी मनाया जाता है । हमारे देश की गुरु-शिष्य परंपरा भारत से चलकर दूसरे देशों में गई है । हमेशा से ही आध्यात्मिक गुरु प्रवास पर रहते थे और इसी प्रवास के कारण भारत की ये परम्पराएं दूसरे देशों में भी फैली ।

गुरु पूर्णिमा के दिन क्या करें? (What to do on the day of Guru Purnima?)

  • गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima) के दिन आप अपने गुरु से मिलें, और उनका आशीर्वाद ग्रहण करें ।
  • वैदिक शास्त्रों के अनुसार श्री आदि शंकराचार्य को जगतगुरु (सभी का शिक्षक) माना जाता है । आप इस दिन उनकी पूजा कर सकते हैं ।
  • गुरु के गुरु– गुरु दत्तात्रेय– की भी पूजा करनी चाहिए । इसके अलावा आप दत्त बावनी का पाठ भी कर सकते हैं ।
  • वैदिक ज्योतिष में, बृहस्पति ग्रह को गुरु कहा जाता है– शिक्षक या उच्च शिक्षा और आदर्शों के संकेतक– आप इस दिन भगवान बृहस्पति की पूजा कर सकते हैं ।

FAQ:-

गुरु पूर्णिमा एक ऐसे त्योहार के रूप में महत्व रखती है जो अपने गुरुओं का सम्मान करता है। यह त्यौहार अपने गुरुओं और बड़ों की पूजा करने और कृतज्ञता और सम्मान दिखाने के लिए समर्पित है।

गुरु पूर्णिमा के अवसर पर वेद व्यास की पूजा की जाती है। उन्हें भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है।

गुरु पूर्णिमा एक हिंदू त्योहार है। हालाँकि, विभिन्न धर्म इस दिन अपने गुरुओं की पूजा करते हैं। इस प्रकार, इसकी कई व्याख्याएँ हैं।

कोई भी उस वास्तविक तारीख को नहीं जानता जिस दिन यह त्योहार पहली बार मनाया गया था। हालाँकि, प्राचीन हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, गुरु पूर्णिमा का उत्सव लगभग 15000 साल पहले का है।

गुरु पूर्णिमा मनाने का एक बहुत ही सरल और सर्वोत्तम तरीका है अपने बड़ों और गुरुओं का आशीर्वाद लेना। यह सबसे अच्छी चीजों में से एक है जो कोई भी व्यक्ति त्योहार मनाने के लिए कर सकता है। साथ ही अपने बड़ों और गुरुजनों का सम्मान अवश्य करें।


धन्यवाद !

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