गुरु ब्रह्मा गुरु विष्णु, गुरु देवो महेश्वरा ।
गुरु साक्षात परब्रह्म, तस्मै श्री गुरुवे नमः ॥
अर्थात- गुरु ही ब्रह्मा हैं, गुरु ही विष्णु हैं और गुरु ही देवों के देव महादेव है ।
गुरु ही साक्षात् परब्रह्म हैं । ऐसें गुरु को मैं प्रणाम करता हूं ।
Guru purnima 2023: सनातन धर्म में गुरु के महत्व का विशेष रुप से वर्णन किया गया है । सतगुरु से ही गुरु का स्थान देवताओं से भी ऊपर बताया गया है । श्रीमदभगवतगीता में, संत कबीर दास जी ने, गुरुगीता में भी गुरु के स्थान व गुन का वर्णन किया गया है।
आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि पर गुरु पूर्णिमा का त्यौहार मनाया जाता है धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गुरु पूर्णिमा का पर्व महर्षि वेदव्यास जी की जयंती के रूप में मनाया जाता है पौराणिक मान्यता के अनुसार इस दिन महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ था इसलिए इसे व्यास पूर्णिमा या गुरु पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है ।
सनातन धर्म में गुरुओं को भगवान से भी श्रेष्ठ माना जाता है, क्योंकि गुरु ही हमें भगवान के बारे में बताते हैं और उनसे रूबरू कराते हैं । इसके बिना ब्रह्म ज्ञान और मोक्ष की प्राप्ति नहीं हो सकती ।
प्रथम गुरु
आषाढ़ पूर्णिमा के दिन वेदव्यास जी का जन्म हुआ था । इसलिए गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा और वेदव्यास जयंती के नाम से जाना जाता है । ‘वेद व्यास’ महर्षि पराशर और सत्यवती के पुत्र हैं । महर्षि वेदव्यास जी ने मानव जाति को पहली बार 4 वेदों का ज्ञान दिया था । इसलिए उनको मानव जाति का प्रथम गुरु माना जाता है ।
शास्त्रों के अनुसार, व्यास जी को तीनों काल का ज्ञाता माना जाता है, और उन्होंने महाभारत ग्रंथ, ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद, अट्ठारह पुराण, श्रीमद्भागवत और मानव जाती को अनगिनत रचनाओं का समन्दर दिया है । वेद व्यास का पूरा नाम कृष्णद्वैपायन है लेकिन वेदों की रचना करने के बाद से उन्हें वेद व्यास के नाम से जाना जाने लगा । गुरु पूर्णिमा की शुरुआत वेद व्यास जी के पांच शिष्यों ने की थी ।
Fastival | Dates |
Guru purnima 2023 Date Guru purnima 2023 मे कब है ? | 2nd July, Sunday 2023 2 जुलाई, रविवार 2023 |
Guru Purnima 2023 Tithi Begins Guru purnima 2023 शुभ मुहूर्त | 6:02 PM on July 2nd, 2023 शाम के 6:02 पर होगी |
Guru purnima 2023 Tithi Ends Guru purnima 2023 तिथि का समापन | 11:08 PM on 3 July, Monday 2023 3 जुलाई, सोमवार 2023 को रात 11:08 पर होगा |
हिंदू पंचांग के अनुसार, 2 जुलाई रविवार की शाम 6:02 पर आषाढ माह की पूर्णिमा तिथि की शुरुवात हो जाएगी । जबकि यह 3 जुलाई सोमवार की रात 11:08 पर खत्म हो रही है । लेकिन उद्दयातिथि के अनुसार गुरु पूर्णिमा 3 जुलाई को ही मनाई जाएगी । इस दिन प्रत्येक मानव जाति को स्नान ध्यान करने के बाद गुरु के पास जाकर उनकी विधिवत पूजा करनी चाहिए यदि आप गुरु के पास नहीं जा सकते तो आप अपने घर में हैं उन्हें स्मरण कर श्रद्धा और विश्वास के साथ उनकी पूजन करें ।
गुरु पूर्णिमा (Guru purnima) के दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु की पूजा की जाती है । इस दिन प्रत्येक व्यक्ति को अन्न दान किया जाता है । मान्यता है कि अन्न दान करने से लोगों को सारे कष्टों से मुक्ति मिल जाती है । इस दिन भगवान विष्णु की प्रार्थना करने का सबसे अच्छा तरीका विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना है । जो कि भगवान विष्णु के 1000 नाम की सूची है ।
गुरु पूर्णिमा का महत्व (Guru Purnima ka Mahatva)
गुरु पूर्णिमा का त्यौहार हमारे अज्ञान को दूर करने वाले शिक्षकों के सम्मान में मनाई जाती है । प्राचीन काल से ही शिष्यों के जीवन में गुरुओं का विशेष स्थान रहा है । हिंदू धर्म की सभी पवित्र पुस्तकों में गुरु के महत्व और एक गुरु और उनके शिष्य के बीच असाधारण बंधन को दर्शाती हैं । एक सदियों पुराना प्रसीद्ध संस्कृत वाक्यांश माता-पिता, गुरु दैवम कहता है कि पहला स्थान माता का, दूसरा पिता का, तीसरा गुरु के लिए और आगे भगवान के लिए आरक्षित है ।
इस प्रकार, हिंदू परंपरा में शिक्षकों को देवताओं से ऊंचा स्थान दिया गया है । गुरु पूर्णिमा (Guru purnima) का त्यौहार मुख्य रूप से दुनिया भर में हिंदू, जैन, सिख और बौद्ध धर्म के समुदायों द्वारा गुरुओं या शिक्षकों के सम्मान में मनाई जाती है । भारत देश में, गुरु जन एक सम्मानित स्थान रखते हैं, क्योंकि वे अपने शिष्यों को ज्ञान और शिक्षा प्रदान करते हैं । किसी मनुष्य के जीवन में गुरु की उपस्थिति उसे सही दिशा की ओर लेकर जाने का काम करती है, ताकि वह एक सैद्धांतिक जीवन जी सके ।
बौद्ध धर्म के अनुयायी भी गुरु पूर्णिमा के दिन का सम्मान करते हैं, क्योंकि भगवान बुद्ध ने सारनाथ में अपना पहला उपदेश इसी गुरु पूर्णिमा के दिन दिया था । गुरु पूर्णिमा के इस पवित्र दिन पर, भारत के लोग इस त्योहार को अत्यधिक धार्मिक महत्व देते हैं । और पुरी श्रद्धा से मनाने हैं ।
गुरु पूर्णिमा 2023 पूजा विधि (Guru purnima 2023 puja vidhi)
सबसे पहले सुबह जल्दी उठकर स्नान और ध्यान करते हुए । अपने गुरु के प्रति आस्था भाव दिखाते हुए उनके पास जाकर उनकी पूजा करे । उनके चरण छूकर उनसे आशीर्वाद लें । यदि आप गुरु के पास नहीं जा सकते हैं, तो आप अपने गुरु को मन ही मन ध्यान करे, और भगवान विष्णु की पुजा करे । उनकी प्रतिमा पर फूल और दीप जलाकर पूजन-आरती करें।
गुरु पूर्णिमा पर गुरु दीक्षा कैसे लें (Guru purnima guru diksha significance)
यदि आपने पहले से ही गुरु दीक्षा ली है, तो उस समय उन्होंने आपके कान में जो गुप्त, गुरु मंत्र बताया है, उसे नियमित 5 या 11 बार जप करें । साथ ही गुरु पूर्णिमा के दिन उस मंत्र का जाप विशेष तौर पर करें ।
अगर आपने किसी को आध्यात्मिक गुरु नहीं बनाया है, मतलब किसी से गुरु दीक्षा, या मंत्र नहीं लिया तो भगवान विष्णु को गुरु मानकर प्रणाम करें । गुरु पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु की भी पूजा अर्चना की जाती है ।
गुरु पूर्णिमा के दिन करें ये उपाय (Do these step on the day of Guru Purnima)
- यदि कुंडली में गुरु ग्रह को मजबूत करने के लिए गुरु पूर्णिमा के दिन ‘ॐ बृ बृहस्पतये नमः’ मंत्र का जाप कम से कम 108 बार जरूर से करें । फिर प्रत्येक गुरुवार के दिन इस क्रिया को दोहरायें।
- गुरु दोष के दुष्प्रभाव से मुक्ति या प्रभाव को कम करने के लिए गुरु पूर्णिमा के दिन शुभ मुहूर्त पर घर में गुरु यंत्र की स्थापना करें । ऐसा करने मात्र से व्यक्ति को बहुत ही लाभ मिलता है ।
- व्यक्ति का यदि कोई गुरु नहीं है, यानी आपने कभी तक किसी से भी मंत्र नहीं लीया हैं तो भगवान विष्णु को अपना गुरु मान कर उनकी पूजा-अर्चना करें । मान्यता है कि श्री हरिविष्णु की उपासना करने से गुरु दोष से मुक्ति मिल जाती है ।
- पढ़ाई में उत्तीर्ण परिणाम प्राप्त करने के लिए गुरु पूर्णिमा के दिन गौ माता की सेवा करें और शुभ मुहूर्त में गुरु और माता – पिता का आशीर्वाद लें । साथ ही इस विशेष दिन पर गीता के पाठ को भी बहुत फलदाई माना जाता है ।
- गुरु पूर्णिमा के दिन स्नान -दान का विशेष महत्व बताया गया है । इसलिए इस विशेष दिन पर किसी जरूरतमंद व्यक्ति या ब्राह्मणों को पीली दालें, पीले रंग का वस्त्रों या पीले रंग की मिठाईयों का दान करें । ऐसा करने से आपके जीवन में कई सकारात्मक बदलाव आते हैं ।

धन्यवाद
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