Govardhan Puja 2023
Govardhan Puja 2023 की तिथि 14 नवंबर मंगलवार के दिन है । हर साल Govardhan Puja हमारे देश में कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष के प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है ।
सामान्य रूप से हर साल या दीपावली के अगले दिन मनाया जाता है परंतु इस वर्ष 2023 में गोवर्धन पूजा दीपावली के 2 दिन बाद मंगलवार 14 नवंबर को मनाया जाएगा । इस दिन गोधन की और गोबर की पूजा का विशेष महत्व है ।
गोवर्धन पूजा 2023 शुभ मुहूर्त एवं तिथि (Govardhan Puja 2023 Muhurt and Tithi)
सामान्य रूप से Govardhan Puja हर वर्ष दीपावली के अगले दिन मनाया जाता है इस वर्ष 2023 में Govardhan Puja दीपावली के 2 दिन बाद को मनाया जाएगा । गोवर्धन पूजा तिथि 14 नवंबर 2023 को मंगलवार के दिन है । गोवर्धन पूजा के मुहूर्त सुबह 6:29 से लेकर 8:45 तक रहेगा । प्रतिपदा तिथि प्रारंभ हो रहा है सोमवार 13 अक्टूबर को दोपहर 2:55 से, प्रतिपदा तिथि का अंत होगा मंगलवार 14 नवंबर को दोपहर 2:40 पर ।
Festival | Date |
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Govardhan Puja 2023 me kab hai ? गोवर्धन पूजा 2023 मे कब है ? | 14 November 2023, Tuesday 14 नवंबर 2023 को मंगलवार के दिन |
Govardhan Puja Muhurt गोवर्धन पूजा मुहूर्त | 6:29 am to 8:45 pm सुबह 6:29 से लेकर 8:45 तक |
Govardhan Puja Tithi Start गोवर्धन पूजा तिथि प्रारंभ | Monday 13 October, 2023 at 2:55 pm सोमवार 13 अक्टूबर 2023 को दोपहर 2:55 से |
Govardhan Puja Tithi End गोवर्धन पूजा तिथि का अंत | Tuesday 14 October, 2023 at 2:40 pm मंगलवार 14 नवंबर 2023 को दोपहर 2:40 पर |
गोवर्धन पूजा का नियम और विधि (Govardhan Puja Vidhi)
हमारे देश में Govardhan Puja का बड़ा ही महत्व है इस दिन मुख्य रूप से केंद्र हगने वरुण आदि देवताओं की पूजा की जाती है । Govardhan Puja के दिन गोवर्धन पर्वत और गौ माता की भी पूजा का विधान है । इस पूजा में मुख्य रूप से भगवान श्री कृष्ण की पूजा किया जाता है । यह पूजा मानव जाति को यह संदेश देता है कि हम प्रकृति पर बहुत गहराई से निर्भर है । हमें प्रकृति का सम्मान करना चाहिए और उनके द्वारा प्रदत संसाधन के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करना चाहिए ।
- गोवर्धन पूजा के दिन गाय के गोबर से गोवर्धन बनाया जाता है और फिर उसे फूलों से सजा कर उसकी पूजा की जाती है ।
- गोवर्धन पूजा सुबह या शाम किसी भी समय की जा सकती है । पूजा के दौरान गोबर से बने गोवर्धन पर धूप दीप नैवेद्य पुष्प आदि चढ़ाया जाता है । इस दिन गाय और बैल एवं अन्य कृषि में कार्य आने वाले पशुओं की भी पूजा की जाती है ।
- गोवर्धन पूजा के दिन गोबर से पुरुष की आकृति में लेटे हुए गोवर्धन का आकृति बनाया जाता है और इस आकृति के नाभि पर एक मिट्टी का दिया रखा जाता है ।
- गोवर्धन पूजा के दौरान इसी दिए मैं दूध दही गंगाजल शहद बतासे आदि रखकर पूजा किया जाता है । बाद में इन्हीं वस्तुओं को प्रसाद के रूप में बाटा जाता है ।
- गोवर्धन पूजा के बाद गोवर्धन जी के 7 या 11 परिक्रमा लगाई जाती है करिश्मा लगाते समय लोटे में जल लेकर उसे चारों ओर गिराते हुए परिक्रमा पूरी की जाती है ।
- गोवर्धन गिरी को भगवान के रूप में माना जाता है और इस दिन उनकी पूजा करने से धन-धन संतान और गौरस की वृद्धि होती है ।
गोवर्धन पूजा के पौराणिक कहानी (Govardhan Puja Katha)
पुरानी कथाओं के अनुसार देवराज इंद्र को अपनी शक्ति और वैभव का बड़ा ही गर्व था । भगवान श्री कृष्ण ने देवराज इंद्र के किसी घमंड को तोड़ने के लिए गोवर्धन पूजा की लीला रची थी ।
एक बार की बात है जब सभी बृजवासी भगवान इंद्र की पूजा की तैयारी कर रहे थे । तो भगवान श्री कृष्ण ने अपनी माता से पूछा की यह सभी लोग भगवान इंद्र की पूजा क्यों करते हैं? इस बात पर माता यशोदा ने श्री कृष्ण को बताया कि हमारे गांव में अच्छी बारिश और फसल की कामना के लिए ही सभी लोग देवराज इंद्र की पूजा करते हैं ।
ताकि हमारे गांव में हरियाली बनी रहे और अच्छी पैदावार हो । इस पर भगवान श्री कृष्ण ने माता यशोदा से कहा कि गोवर्धन पर्वत भी तो हमारे गायों के लिए घास देती है और बादलों को रोक कर बारिश कराती है तो क्यों ना हम भगवान इंद्र को छोड़कर गोवर्धन पर्वत की ही पूजा करें ।
भगवान श्री कृष्ण की बात सुनकर सभी बृजवासी गोवर्धन पर्वत की पूजा करने लगे । देव राज इंद्र को यह बात पता चला तो वह अत्यंत क्रोधित हो उठे । और पूरे ब्रज में मूसलाधार बारिश शुरू कर दी जिससे कि वहां पर बाढ़ जैसी स्थिति पैदा हो गई । सभी बृजवासी अपनी रक्षा के लिए गोवर्धन पर्वत की ओर भागे और उसी समय भगवान श्री कृष्ण ने अपनी छोटी उंगली पर गोवर्धन पर्वत को उठा लिया ।
जब भगवान श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठाया तो सभी बृजवासी उस पर्वत के नीचे आकर शरण लिए । देवराज इंद्र लगातार 7 दिन तक बारिश करते रहें । परंतु किसी भी बृजवासी का बाल भी बांका नहीं हो पाया । अंत में देवराज इंद्र को हार मानना पड़ा और उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण से आकर क्षमा मांगी । उसी के बाद से हर वर्ष भगवान श्री कृष्ण की और गोवर्धन की पूजा का विधान शुरू हो गया ।
गोवर्धन पूजा के समय ध्यान देने योग्य बातें (Things to be noted during Govardhan Puja)
- गोवर्धन पूजा के दिन तेल से मालिश करके नहाने की पौराणिक मान्यता है और यह काफी शुभ माना जाता है ।
- गोवर्धन पूजा के दिन गोबर से गोवर्धन बनाकर उसका पूजा किया जाता है । गोबर से जो गोवर्धन बनाया जाता है उसकी आकृति एक लेटे हुए पुरुष के समान होनी चाहिए ।
- गोबर के बने गोवर्धन के बीच में भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति रखकर उनकी पूजा की जाती है ।
- गोवर्धन पूजा में पूजा समाप्त होने के उपरांत पंचामृत का भोग लगाना चाहिए ।
- पूजा समाप्त होने के पश्चात गोवर्धन जी के कथा सुनाना चाहिए और उसके बाद प्रसाद बांटना चाहिए ।
गोवर्धन पर्वत को छप्पन भोग क्यों लगाया जाता है? (Why is Chappan Bhog offered to Govardhan Parvat?)
गोवर्धन पर्वत को छप्पन भोग लगाने के पीछे बड़ी ही रोचक कथा है । ऐसा माना जाता है कि भगवान श्री कृष्ण प्रत्येक दिन 8 बार भोजन करते थे । जब भगवान श्री कृष्ण ब्रिज वासियों को देवराज इंद्र के क्रोध से बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी कनिष्ठा उंगली से उठा लिए थे । तो उस समय भगवान श्री कृष्ण पूरे 7 दिनों तक बिना कुछ खाए पिए भूखे ही गोवर्धन पर्वत को उठाए रहे थे ।
चुकि भगवान श्रीकृष्ण 7 दिन तक लगातार भूखे प्यासे रहकर गोवर्धन पर्वत को उठा रहे थे और दिन में वह 8 बार भोजन किया करते थे । इसी हिसाब से गोवर्धन पूजा पर भगवान श्री कृष्ण को छप्पन भोग का प्रसाद लगाया जाता है । वैसे भी छप्पन भोग प्रसाद का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है । माना जाता है कि किसी भी देवी देवता को छप्पन भोग प्रसाद चढ़ाने से वह शीघ्र प्रसन्न होते हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं ।
गोवर्धन पूजा पर अन्नकूट उत्सव (Annakoot festival on Govardhan Puja)
गोवर्धन पूजा के अवसर पर मंदिरों में अन्नकूट उत्सव का भी आयोजन किया जाता है अन्नकूट का अर्थ होता है कई प्रकार के अन्य को कूटकर मिश्रण बनाना और इस मिश्रण से भगवान श्री कृष्ण के लिए भोग तैयार किया जाता है । कई स्थानों पर इस उत्सव के दौरान बाजरे की खिचड़ी बनाई जाती है साथी पूरी बनाने की भी परंपरा प्रचलित है ।
अन्नकूट उत्सव में अन्य के पकवान के अलावा दूध की मिठाइयां और अन्य पकवान भी भोग के रूप में भगवान को चढ़ाया जाता है । भगवान को भोग लगाने के उपरांत इन पकवानों को भक्तों में प्रसाद के रूप में बांट दिया जाता है ।
गोवर्धन पूजा के दिन इन मंत्रों का जाप करें ।(Chant these mantras on the day of Govardhan Puja)
गोवर्धन पूजा के दिन मुख्य रूप से भगवान श्री कृष्ण की पूजा अर्चना की जाती है । यहां कुछ मंत्र दिए जा रहे हैं जिनके जाप और पूजन से भगवान श्री कृष्ण अति शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं :-
महामंत्र : हरे कृष्णा हरे कृष्णा कृष्णा कृष्णा हरे हरे हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे
विष्णु सहस्त्रनाम : इसमें भगवान विष्णु के 1000 नामों की सूची है जो कि अत्यंत ही प्रभावशाली माना जाता है । इसके जाप और पाठ से भगवान भक्तों की समस्त मनोकामना को पूर्ण करते हैं ।
गोविंद नामावली : यह भगवान श्री कृष्ण के 108 नामों की सूची है जोकि बेहद ही पवित्र माना जाता है ।
Govardhan Puja FAQ
गोवर्धन पूजा 2023 में कब है?
गोवर्धन पूजा 2023 में 14 नवंबर 2023 को है ।
गोवर्धन पूजा में क्या होता है?
गोवर्धन पूजा में लोग गाय के गोबर का गोवर्धन पर्वत बनाकर उसकी पूजा करते हैं और पशुपालक लोग अपने पशुओं का श्रृंगार करते हैं ।

धन्यवाद !
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