Complete Durga Saptashati Path | सम्पूर्ण दुर्गा सप्तशती पाठ | मां दुर्गा के 9 शक्ति रूप

“दुर्गा सप्तशती” या “चण्डी पाठ” मां दुर्गा की महिमा और शक्तियों की प्रशंसा के लिए एक महत्वपूर्ण पाठ है । Complete Durga Saptashati Path मां दुर्गा के विभिन्न रूपों की महिमा का वर्णन करता है और उनके भक्तों को संयम, संकल्प और आत्मविश्वास में वृद्धि करने का मार्ग प्रदान करता है ।

“Durga Saptashati Path” का त्रिदेवी मां दुर्गा की महाकाव्यिक रचना है, जो त्रिदेवी की एकादशी रूपाणियों के बारे में विस्तार से वर्णन करती है । इस पाठ में 700 श्लोक होते हैं, जिन्हें सप्तशती कहा जाता है, क्योंकि इसमें सात सौ श्लोक होते हैं ।

इस पाठ को करने से जीवन में उत्तरोत्तर सफलता प्राप्ति, शत्रुओं का नाश, संकटों का दूर होना और आत्मिक शक्ति की वृद्धि होती है । इसके माध्यम से भक्त अपनी आत्मा को मां दुर्गा के दिव्य शक्तिस्वरूप से जोड़कर उनके करिश्मा और आशीर्वाद में भरपूर विश्वास प्राप्त कर सकते हैं । Durga Saptashati Path को अभ्यास भक्ति और श्रद्धा के साथ किया जाना चाहिए, ताकि भक्त को मां दुर्गा के प्रति अधिक समर्पण और आत्मा में नवीनतमता की प्राप्ति हो ।

Complete Durga Saptashati Path का अध्ययन करने के विभिन्न तरीके होते हैं, जैसे कि एक बार बिना विचलित होकर पूरा पाठ करना, या तीनों खण्डों को तीन दिनों में अलग-अलग दिनों पर पाठ करना (ब्रह्मकाण्ड, मार्कण्डेयकाण्ड, चामुण्डेयकाण्ड) । यह पाठ श्रद्धालु को मां दुर्गा के सात मुखों की प्रतिनिधित्व में कवच बनाने में मदद करता है, जो उन्हें आवश्यक शक्तियों से संपन्न करता है । इस पाठ को नियमित रूप से करने से भक्त का मानसिक और आत्मिक स्वास्थ्य भी सुधरता है । यह पाठ संकटों का नाश करने, रोगों की शीघ्र चिकित्सा करने और परिवार में सुख-शांति की प्राप्ति में मदद करता है ।

Durga Saptashati Path को करने से भक्त की आत्मा में साहस और निरंतरता की भावना विकसित होती है । इसके माध्यम से विशेष रूप से व्यक्तिगत और पेशेवर लक्ष्यों की प्राप्ति होती है और उन्हें अपने उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए सहायता मिलती है । Durga Saptashati Path का महत्वपूर्ण तत्व भक्ति, शक्ति, सफलता, आत्म-संवाद और आत्म-विकास में होता है । यह एक उद्गारणात्मक पाठ है जो मां दुर्गा के अद्वितीय स्वरूप को समझने और उनके शक्तिस्वरूप की पूर्णता को प्राप्त करने में मदद करता है ।

इसलिए, दुर्गा सप्तशती का पाठ धार्मिक और मानसिक दृष्टि से महत्वपूर्ण होता है और इसे यदि संभाव हो तो नियमित रूप से पढ़ने का प्रयास करना चाहिए ।

Complete Durga Saptashati Path in Hindi | सम्पूर्ण दुर्गा सप्तशती पाठ


Complete Durga Saptashati Path | सम्पूर्ण दुर्गा सप्तशती पाठ (1 – 13 अध्याय)

  1. First Chapter of Durga Saptashati Path in Hindi| दुर्गा सप्तशती पाठ – पहला अध्याय
  2. Second Chapter of Durga Saptashati Path in Hindi | दुर्गा सप्तशती पाठ – दूसरा अध्याय
  3. Third Chapter of Durga Saptashati Path in Hindi | दुर्गा सप्तशती पाठ – तीसरा अध्याय
  4. Fourth chapter of Durga Saptashati Path in Hindi | दुर्गा सप्तशती पाठ – चौथा अध्याय
  5. Fifth chapter of Durga Saptashati Path in Hindi | दुर्गा सप्तशती पाठ – पाँचवा अध्याय
  6. Sixth chapter of Durga Saptashati Path in Hindi | दुर्गा सप्तशती पाठ – छठा अध्याय
  7. Seventh chapter of Durga Saptashati Path in Hindi | दुर्गा सप्तशती पाठ – सातवाँ अध्याय
  8. Eighth chapter of Durga Saptashati Path in Hindi | दुर्गा सप्तशती पाठ – आठवाँ अध्याय
  9. Ninth chapter of Durga Saptashati Path in Hindi | दुर्गा सप्तशती पाठ – नौवाँ अध्याय
  10. Tenth chapter of Durga Saptashati Path in Hindi | दुर्गा सप्तशती पाठ – दसवाँ अध्याय
  11. Eleventh chapter of Durga Saptashati Path in Hindi | दुर्गा सप्तशती पाठ – ग्यारहवाँ अध्याय
  12. Twelfth chapter of Durga Saptashati Path in Hindi | दुर्गा सप्तशती पाठ – बारहवाँ अध्याय
  13. Thirteenth chapter of Durga Saptashati Path in Hindi | दुर्गा सप्तशती पाठ – तेरहवाँ अध्याय


॥ देवीमयी ॥

तव च का किल न स्तुतिरम्बिके ।
सकलशब्दमयी किल ते तनुः ॥ 
निखिलमूर्तिषु मे भवदन्वयो ।
मनसिजासु बहिःप्रसरासु च ॥ 
इति विचिन्त्य शिवे ! शमिताशिवे ! 
जगति जातमयलवशादिदम् ॥
स्तुतिजपार्चनचिन्तनवर्जिता ।
न खलु काचन कालकलास्ति मे ॥ 

अर्थ:- ‘हे जगदम्बिके! संसार में कौन-सा वाङ्मय ऐसा है, जो तुम्हारी स्तुति नहीं है; क्योंकि तुम्हारा शरीर तो सकलशब्दमय है । हे देवि! अब मेरे मन में संकल्पविकल्पात्मक रूप से उदित होने वाली एवं संसार में दृश्य रूप से सामने आने वाली सम्पूर्ण आकृतियों में आपके स्वरूप का दर्शन होने लगा है ।

हे समस्त अमंगलध्वंसकारिणि कल्याणस्वरूपे शिवे! इस बात को सोच कर अब बिना किसी प्रयत्न के ही सम्पूर्ण चराचर जगत्‌ में मेरी यह स्थिति हो गयी है कि मेरे समय का क्षुद्रतम अंश भी तुम्हारी स्तुति, जप, पूजा अथवा ध्यान से रहित नहीं है । अर्थात् मेरे सम्पूर्ण जागतिक आचार-व्यवहार तुम्हारे ही भिन्न-भिन्न रूपों के प्रति यथोचित रूप से व्यवहृत होने के कारण तुम्हारी पूजा के रूप में परिणत हो गये हैं ।


मां दुर्गा के नौ शक्ति रूप | नवदुर्गा | Maa Durga Nine (9) Name

नवदुर्गा

प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्मचारिणी ।
तृतीयं चन्द्रघण्टेति कूष्माण्डेति चतुर्थकम् ॥
पंचमं स्कन्दमातेति षष्ठं कात्यायनीति च ।
सप्तमं कालरात्रीति महागौरीति चाष्टमम् ॥
नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गा: प्रकीर्तिता: ।
उक्तान्येतानि नामानि ब्रह्मणैव महात्मना ॥

  1. Mata Shailpitri- माता शैलपुत्री कवच | स्तोत्र | स्तुति |आरती
  2. Mata Brahmacharini- माता ब्रह्माचारिणी | कवच | स्तोत्र | स्तुति | आरती
  3. Mata Chandraghanta- माता चंद्रघंटा देवी | कवच | स्तोत्र | स्तुति | आरती
  4. Mata Kushmanda- माता कुष्मांडा देवी | कथा | कवच | स्तोत्र | स्तुति | आरती
  5. Mata Skandamata- स्कंदमाता कवच | स्तोत्र | स्तुति | आरती
  6. Mata Katyayani- माता कात्यायनी मंत्र | कवच | स्तोत्र | स्तुति | आरती
  7. Mata Kalratri- माता कालरात्रि मंत्र | कवच | स्तोत्र | स्तुति | आरती
  8. Mata Mahagauri- माता महागौरी मंत्र | कवच | स्तोत्र | चालीसा | आरती
  9. Mata Siddhidatri- माता सिद्धिदात्री मंत्र | कवच | स्तोत्र | आरती

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परानाम

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