Bhai Dooj 2023 | भाई दूज 2023 | जाने कब है भाई दूज 2023 मे ।

Bhai Dooj 2023 में 14 नवंबर को मंगलवार के दिन है । इस लेख में हम Bhai Dooj 2023 के शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, पौराणिक कथा, महत्व और विधि विधान को देखेंगे । Bhai Dooj 2023 के तिथि और मुहूर्त के बारे में कही 14 नवंबर को मानने की बात आ रही है तो कही कही Bhai Dooj 2023 कि तिथि 15 नवंबर को बताई जा रही है । हिंदू पंचांग के अनुसार Bhai Dooj 2023 कि तिथि 14 नवंबर को ही है । 

Bhai Dooj या Bhaiya Dooj का त्योहार भाई बहन के प्यार और विश्वास का प्रतीक है । भैया दूज को यम द्वितीया और भ्रातृ द्वितीय नाम से भी जाना जाता है । भाई दूज हर वर्ष दिवाली के 2 दिन बाद मनाया जाता है । जिस प्रकार रक्षाबंधन भाई बहन के प्यार का प्रतीक है उसी प्रकार भाई दूज भी भाई बहन के प्यार और स्नेह का प्रतीक है । 

हमारे देश में हिंदू पंचांग के हिसाब से भैया दूज का पर्व हर वर्ष कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है । बहने सालों भर इस पर्व का बड़े उत्साह से इंतजार करती है । भैया दूज के दिन मृत्यु के देवता यमराज की भी पूजा की जाती है एक कहावत है कि इस दिन यमराज अपनी बहन यमुना के घर भोजन करने आए थे इसीलिए उस दिन हेमराज की भी पूजा होती है ।

भैया दूज 2023 की तारीख और मुहूर्त (Bhai Dooj 2023 Date and Muhurt)

द्वितीया की तिथि का प्रारंभ 14 नवंबर 2023 को दोपहर 2:36 से हो कर द्वितीया तिथि का अंत 15 नवंबर 2023 को दोपहर 1:47 तक है । भाई दूज मनाने का दिन 14 नवंबर 2023 मंगलवार को है । जिसका शुभ मुहूर्त 14 नवंबर 2023 को दोपहर 1:09 से लेकर 3:19 तक है ।

FestivalDate
Bhai Dooj 2023 me kab hai ?
भाई दूज 2023 मे कब है ?
14 November 2023, Tuesday
14 नवंबर 2023 को मंगलवार के दिन
Bhai Dooj 2023 Tithi Start
भाई दूज 2023 तिथि का प्रारंभ
14 November 2023, Tuesday 2:36 pm
14 नवंबर 2023 को दोपहर 2:36 से
Bhai Dooj 2023 Tithi End
भाई दूज 2023 तिथि का अंत
15 November 2023, Wednesday 1:47 pm
15 नवंबर 2023 को दोपहर 1:47 तक
Bhai Dooj 2023 Muhurt
भाई दूज 2023 शुभ मुहूर्त
14 November 2023, Tuesday 1:09 to 3:19 pm
14 नवंबर 2023, दोपहर 1:09 से 3:19 तक
Bhai Dooj 2023 Time
भाई दूज 2023 शुभ घड़ी
2 hr 9 min
2 घंटा 9 मिनट

भाई दूज का महत्व (Bhai Dooj Mahatv)

भैया दूज का पर्व हिंदुओं का बहुत ही महत्वपूर्ण त्यौहार है जो पूरे देश में भाई और बहन के प्रेम और स्नेह के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है । भैया दूज का पर्व पांच दिवसीय दिवाली उत्सव के पर्व का अंतिम दिन मनाया जाता है । यह पर्व भाई-बहन का एक दूसरे के प्रति प्यार और सम्मान को प्रकट करने का पर्व है ।

इस दिन बहनें अपने भाइयों के लिए सुख स्वास्थ्य और समृद्ध जीवन की प्रार्थना करती है वही दूसरी ओर भाई अपनी बहनों के प्रति अपना स्नेह और प्रेम को उन्हें उपहार देकर प्रकट करते हैं । यह पर्व हमें यह सिखाता है कि हम जीवन में कितनी भी व्यस्त क्यों ना हो हमें विशेष अवसर और पर्व पर अपने परिवार के साथ अवश्य समय बिताना चाहिए ।

भाई दूज से जुड़ी पौराणिक कथाएं (Bhai Dooj Katha)

भैया दूज से संबंधित अनेक पौराणिक और मिथक कथाओं का उल्लेख मिलता है । इनमें से दो प्रमुख कथाएं इस प्रकार हैं: 

यम और यमदेव की पौराणिक कथा (Yam or Yamdev Katha)

प्राचीन काल में एक बार की बात है जब यमराज अपनी बहन यमुना के निमंत्रण पर उनके घर पहुंचे थे उसी दिन से भाई दूज का त्यौहार मनाया जाता है और इसीलिए भाई दूज को यम द्वितीया भी कहा जाता है ।यमराज भगवान सूर्य देव के पुत्र थे और देवी यमी इनकी बहन थी ।

देवी यमुना के बार-बार निमंत्रण देने पर 1 दिन यमराज अपनी बहन यमुना के घर पहुंच गए । जब यमराज अपनी बहन के घर पहुंचे तो देवी यमुना ने उनके माथे पर तिलक लगाने के बाद उन्हें खूब शानदार भोजन कराया और उनके लंबी आयु के लिए और खुशहाली के लिए प्रार्थना की । 

इस बात पर प्रसन्न होकर यमराज ने अपनी बहन यमुना से वरदान मांगने के लिए कहा तब यमुना जी ने कहा कि हर साल इस दिन आप मेरे घर आया कीजिए और जो बहन इस दिन अपने भाई का तिलक करेगी उसके भाई को मृत्यु का भय नहीं होगा ।  इस प्रकार अपनी बहन यमुना के बात को सुनकर यमराज को काफी प्रसन्नता हुई और उन्होंने अपनी बहन को आशीर्वाद दिया । उसी दिन से आज तक भाई दूज का यह त्यौहार निरंतर मनाया जाता है ।

भगवान श्री कृष्ण और सुभद्रा की कहानी (Bhagwan Shree Krishna or Subhadra Katha)

पुराणों के अनुसार भैया दूज के तिथि पर ही भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर राक्षस का वध किया था और नरकासुर का वध के बाद अपने द्वारिका नगरी को वापस आए थे । जब वह द्वारिका वापस आए तो भगवान कृष्ण की बहन सुभद्रा ने उनके माथे पर तिलक किया और फल फूल मिठाई से उनका स्वागत किया । इसी दिन से भाई दूज का त्योहार हर वर्ष मनाया जाने लगा ।

भाई दूज मनाने की विधि (Bhai Dooj Puja Vidhi)

भाई दूज का त्योहार पूरे धूमधाम से हर 1 वर्ष मनाया जाता है इस त्यौहार को पारंपरिक तौर पर मनाने की विधि इस तरह से है:-

  • भाई दूज के दिन बहन सुबह-सुबह स्नान करके पवित्र वस्त्र धारण करें । भाई भी स्नान करके साफ और स्वच्छ कपड़े पहने ।
  • इसके बाद बहन अपने भाई का तिलक करने के लिए पूजा की थाली को सजाएं ।
  • पूजा की थाली में सिंदूर कुमकुम चंदन फल फूल मिठाई सुपारी और पान इत्यादि वस्तुओं को रखना चाहिए ।
  • अपने भाई का तिलक करने से पहले चावल के  मिश्रण से एक चौक का निर्माण करना चाहिए ।
  • चावल के मिश्रण से बने चौक पर बहन अपने भाई को बैठाए और फिर शुभ मुहूर्त में अपने भाई का तिलक करें ।
  • भाई का तिलक करने के बाद बहन भाई को फूल पान सुपारी बतासे आदि हाथ में दें और भाई का पूजन करें और भाई की लंबी उम्र की कामना करें ।
  • उसके बाद बहन को अपने भाई की आरती करनी चाहिए ।
  • आरती करने के उपरांत भाई को अपनी बहन को उपहार देना चाहिए साथ ही उसकी रक्षा का वचन देना चाहिए ।

Bhai Dooj 2023 FAQ

भाई दूज भाई-बहन के प्यार का और स्नेह का प्रतीक है । इसी उपलक्ष में हर साल यह पर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है ।

भाई दूज को यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है ।


परानाम

धन्यवाद !


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