Santoshi Maa:- संतोषी माता की पूजा शुक्रवार के दिन की जाती है । ऐसी मान्यता है कि संतोषी माता का व्रत रखने से और पूजा करने से मनुष्य की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है । संतोषी मां की पूजा के बाद आरती उतारने से अत्यंत ही श्रेष्ठ फल की प्राप्ति होती है । अतः श्रद्धा भक्ति पूर्वक मां संतोषी की आरती करनी चाहिए ।
संतोषी माता संतोष, सुख और समृद्धि की देवी मानी जाती हैं और उन्हें खुशियाँ और समृद्धि की प्राप्ति के लिए पूजा जाता है । संतोषी माता की पूजा भक्तों के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति में मदद करने का माना जाता है ।
संतोषी माता का विशेष महत्व व्रतों के माध्यम से होता है । उनके व्रतों का आयोजन माता की कृपा प्राप्त करने और उनके आशीर्वाद से भरपूर जीवन पाने के लिए किया जाता है । संतोषी माता के व्रत में विशेष रूप से शुक्रवार को उनकी पूजा की जाती है और व्रत के दौरान व्रती उनकी भक्ति करते हैं और उनकी आराधना करते हैं ।
संतोषी माता की कथाएँ भक्तों को सिखाती हैं कि संतोष और आत्मनिर्भरता केवल भाग्य की बात नहीं है, बल्कि यह आपके विचारों, कर्मों और मानसिक स्थिति पर भी निर्भर करता है । भक्ति और आत्म-संयम के माध्यम से ही व्यक्ति संतोष और समृद्धि की प्राप्ति कर सकता है ।
॥ संतोषी माॅ की आरती | Jai Santoshi Maa Aarti in Hindi ॥
जय सन्तोषी माता ।
मैया सन्तोषी माता ॥
अपने सेवक जन की ।
सुख सम्पत्ति दाता ॥
॥ जय सन्तोषी माता ॥
सुन्दर चीर सुनहरी ।
माँ धारण कीन्हों ॥
हीरा पन्ना दमके ।
तन श्रृंगार कीन्हों ॥
॥ जय सन्तोषी माता ॥
गेरू लाल छटा छवि ।
बदन कमल सोहे ॥
मन्द हंसत करुणामयी ।
त्रिभुवन मन मोहे ॥
॥ जय सन्तोषी माता ॥
स्वर्ण सिंहासन बैठी ।
चंवर ढुरें प्यारे ॥
धूप दीप मधुमेवा ।
भोग धरें न्यारे ॥
॥ जय सन्तोषी माता ॥
गुड़ अरु चना परमप्रिय ।
ता मे संतोष कियो ॥
सन्तोषी कहलाई ।
भक्तन वैभव दियो ॥
॥ जय सन्तोषी माता ॥
शुक्रवार प्रिय मानत ।
आज दिवस सोही ॥
भक्त मण्डली छाई ।
कथा सुनत मोही ॥
॥ जय सन्तोषी माता ॥
मंदिर जगमग ज्योति ।
मंगल ध्वनि छाई ॥
विनय करें हम सेवक ।
चरनन सिर नाई ॥
॥ जय सन्तोषी माता ॥
भक्ति भावमय पूजा ।
अंगीकृत कीजै ॥
जो मन बसै हमारे ।
इच्छा फल दीजै ॥
॥ जय सन्तोषी माता ॥
दुखी, दरिद्री, रोगी ।
संकट मुक्त किये ॥
बहु धन-धान्य भरे घर ।
सुख सौभाग्य दिये ॥
॥ जय सन्तोषी माता ॥
ध्यान धर्यो जिस जन ने ।
मनवांछित फल पायो ॥
पूजा कथा श्रवण कर ।
घर आनन्द आयो ॥
॥ जय सन्तोषी माता ॥
शरण गहे की लज्जा ।
रखियो जगदम्बे ॥
संकट तू ही निवारे ।
दयामयी अम्बे ॥
॥ जय सन्तोषी माता ॥
सन्तोषी माता की आरती ।
जो कोई जन गावे ॥
ऋद्धि-सिद्धि, सुख-सम्पत्ति ।
जी भरकर पावे ॥
॥ जय सन्तोषी माता ॥
जय सन्तोषी माता ।
मैया सन्तोषी माता ॥
अपने सेवक जन की ।
सुख सम्पत्ति दाता ॥
॥ जय सन्तोषी माता ॥
॥ Santoshi Maa Aarti in English | संतोषी माॅ की आरती ॥
Jai Santoshi Maata ।
Maiyaa Jai Santoshii Maata ॥
Apane Sevaka Jana Kii ।
Sukha Sampati Daataa ॥
॥ Jai Santoshi Maata ॥
Sundara Chira Sunaharii, Maan Dhaarana Kiinhon ।
Hiiraa Pannaa Damake, Tana Shringaara Liyo ॥
Geruu Laala Chataa Chavi, Abdana Kamala Sohe ।
Manda Hansata Karunaamayii, Tribhuvana Mana Mohe ॥
॥ Jai Santoshi Maata ॥
Svarna Sinhaasana Baithi Chanvara Dhare Pyaare ।
Dhuupa Diipa Mevaa Bhoga Dhare Nyaare ॥
Guda Aur Chanaa Parama Priya, Taamei Santosha Kiyo ।
Santoshii Kahalaaii Bhaktana Vibhava Diyo ॥
॥ Jai Santoshi Maata ॥
Shukravaara Priya Maanata, Aaja Divasa Sohii ।
Bhakta Mandalii Chaaii, Kathaa Sunata Mohii ॥
Mandira Jagamaga Jyoti, Mangala Dhvani Chaaii ।
Vinaya Karein Tere Baalaka Charanana Sira Naaii ॥
॥ Jai Santoshi Maata ॥
Bhakti Bhaavamayii Puujaa Angikruta Kiijai ।
Bahu Dhan -Dhaanya Bhare Ghar Sukh Saubhaagya Diye ॥
Dhyaana Dharo Tero Manavaanchita Phala Paayo ।
Puujaa Kathaa Shravana Kara Ghara Aananda Aayo ॥
॥ Jai Santoshi Maata ॥
Sharana Gahe Kiilaaja Rakhiyo Jagadambe ।
Sankata Tuu Hii Nivaare Dayaamayii Ambe ॥
Santoshii Maa Ki Aaratii, Jo koi Jana Gaavai ।
Riddhi Siddhi Sukha Sampatti, Ji Bhara Ke Paavai ॥
॥ Jai Santoshi Maata ॥

धन्यवाद !
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