ब्रह्मा आरती | ब्रह्मा गायत्री मंत्र | Brahma Aarti | Gayatri Mantra

ब्रह्मा आरती का सम्पूर्ण श्रद्धा और भक्ति के साथ करने से ब्रह्मा जी अति प्रसन्न होते है, और वह अपने भक्तों की सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करते हैं । ब्रह्मा जी की आराधना और स्तुति करना हमेशा ही शुभ फलदायक होता है । ब्रह्मा गायत्री मंत्र भगवान ब्रह्मा की स्तुति और आराधना करने का बहुत ही अच्छा और सही माध्यम है । ब्रह्मा जी की ‘ब्रह्मा गायत्री मंत्र’ सिद्ध और शक्तिशाली मंत्र माना जाता है ।

ब्रह्मा गायत्री मंत्र | Brahma Gayatri Mantra

ॐ वेदात्मने विद्महे ।
हिरण्यगर्भाय धीमहि ।
तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् ॥

ॐ चतुर्मुखाय विद्महे ।
कमण्डलु धाराय धीमहि ।
तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् ॥

ॐ परमेश्वर्याय विद्महे ।
परतत्वाय धीमहि ।
तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् ॥

ॐ तत्पुरुषाय विद्महे ।
चतुरमुखाय धीमही ।
तन्नो ब्रह्मा प्रचोदयात् ॥


ब्रह्मा आरती | Brahma Aarti

पितु मातु सहायक स्वामी सखा ।
तुम ही एक नाथ हमारे हो ॥

जिनके कुछ और आधार नहीं ।
तिनके तुम ही रखवारे हो ॥

सब भांति सदा सुखदायक हो ।
दुःख निर्गुण नाशन हारे हो ॥

प्रतिपाल करो सिधारे जग को ।
अतिशय करुणा उर धारे हो ॥

भूलें है हम तो तुमको ।
तुम तो हमारी सुधि नाही बिसारे हो ॥

उपकरण को कछु अंत नहीं ।
छीन ही छीन जो विस्तार हो ॥

महाराज माह महिमा तुम्हारी ।
मुझे बिरले बुधवार हो ॥

शुभ शांति निकेतन प्रेमनिधि ।
मन मंदिर के उजियारे हो ॥

इस जीवन के तुम जीवन हो ।
इन् प्रानन के तुम प्यारे हो ॥

तुम सो प्रभु पाए,’ प्रताप हरी’ ।
केहि के अब और सहारे हो ॥


परानाम

धन्यवाद !


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