Jab Ram Chale Gaye Vanvas | राम वनवास भजन लिरिक्स
Jab Ram Chale Gaye Vanvas
छूटी आस, नगर उदास,
जब राम चले गए वनवास,
छूटी आस, नगर उदास,
जब राम चले गए वनवास ।
उन्हें मनाये घर ले आये,
दशरथ भरत सब उदास,
छूटी आस, नगर उदास,
जब राम चले गये वनवास ।
राम राम हे राम राम,
राम राम हे राम राम ।
कैकई को लगा संताप,
उन्होंने अपयश जग में लिया,
दशरथ ने तज दिए प्राण,
विधि ने ऐसा विधान किया,
भरत राजा बनकर भी,
कुछ भी न आया रास,
छूटी आस, नगर उदास,
जब राम चले गए वनवास ।
उन्हें मनाये घर ले आये,
दशरथ भरत सब उदास,
छूटी आस, नगर उदास ।
जब राम चले गये वनवास,
राम राम हे राम राम,
राम राम हे राम राम ।
भरत ने त्यागा महल,
बना कर कुटिया में रहने लगे,
गये राम जी को मनाने,
मिलकर सभी भाई बन्धु सगे,
पर राम किसी की न माने,
सब ने छोड़ दी अब आस,
छूटी आस, नगर उदास,
जब राम चले गए वनवास ।
उन्हें मनाये घर ले आये,
दशरथ भरत सब उदास,
छूटी आस, नगर उदास,
जब राम चले गये वनवास ।
राम राम हे राम राम,
राम राम हे राम राम ।
छूटी आस, नगर उदास,
जब राम चले गए वनवास,
छूटी आस, नगर उदास,
जब राम चले गए वनवास ।
उन्हें मनाये घर ले आये,
दशरथ भरत सब उदास,
छूटी आस, नगर उदास,
जब राम चले गये वनवास ।
राम राम हे राम राम,
राम राम हे राम राम ।

धन्यवाद !
Follow Me On:-
इन्हें भी पढ़े !