madhushravani puja vrat katha in maithili day-7

Madhushravani puja:- मधुश्रावणी पूजा – सातम दिन क कथा:

madhushravani puja vrat katha in maithili day- 7:- मधुश्रावणी पूजा कथा के सातम दिन क कथा मे गौरी क तपस्या और आखरी मे बाचो बीनी कहि ।

madhushravani puja vrat katha in maithili day-7 | मधुश्रावणी पूजा

Madhushravani puja:- गौरी क तपस्या

काम – दहन आ महादेव त रूद्र रूप देखि गौरी डेरा गेली आ नादर सं महादेव क पएबाक उपाय पुछ्हखिन त नारद कहलखिन बिना तपस्या महादेव क पेनाइ कठीन I तखन गौरी अपना माता-पिता सं आज्ञा ल अपना सखि सब संगे वन दिश बिदा भेलि I ओ अपना पटोर आ गहना खोलि कृष्णाजिन आ बल्कल पहिर गौरी शिखर पर कठोर तपस्या कर लागलि I

गौरी क तपस्या सं प्रभावित भय ऋषि सब आ नारद महादेव लग जा कहलखिन –हे महादेव ,गौरी तेहन तपस्या क रहल छैथ जेहन आन ककरो लेल असंभव तेँ अहाँ हुनका पर प्रसन्न भय एही जग क कल्याण करू I महादेव एकटा बुढवा क रूप धय गौरी क आश्रम में गेला I गौरी हुनकर खूब स्वागत सत्कार केलखिन तखन प्रस्सन भय बुढा गौरी सं पुछलखिन – कि हे गौरी अहाँ कुन कामना सं एहन कठीन तप क रहल छी I

त सखि सब गौरी क कामना बतेलखिन ताहि सुनि ओ बुढा उठ क विदा भ गेलखिन I
गौरी कहलखिन जे – हमरा सं कुन अपराध भेल जे अहाँ एना जाइत छी ।

बुढा कहलखिन – हमरा अहाँ पर पहिने श्रद्धा भेल छल मुदा अहाँ क अभीष्ट बुझि अपार दुःख भ रहल अछि I अहाँ अशर्फी बेचि माटि किन निकललौ हं I हाथी सवारी छोङि ,बङद पर चढ चाहैत छी ,सूर्य क रोशनी छोर भगजोगनी आ कोठा सोफा छोरि मरघट में रहब I अहाँ अतेक सुन्दर आ ओ शरीर में साँप लपटोने कारि खट-खट बुढवा I अहाँ मंगल कारी ओ अमंगल I बर में जे जे गुण चाहि ओहिमें यको टा हुनका में नहीं छनि I ओ अहाँ क योग्य कदापि नहि छैथ I

गौरी ताहि प्रत्युत्तर में कहलखिन – महादेव निर्गुण ब्रह्म थीका I ओहए ब्रह्मा बनि संसार क सृष्टि करैत छैथ ,सबहक आदिपुरुष सेहो ओहए छैथ I हुनकर लीला अपरम्पार I सुंदरता आ कुरूपता हुनके रूप छनि I अहाँ अपने पापी थिकौं ,अहाँ इ रहस्य नहि बुझवई I

इ कहि गौरी तमसा विदा भय गेलि I बुढा तुरत महादेव क रूप धरि हुनका आगु रस्ता रोकि ठाढ़ भय गेला, आ कहलखिन जे गौरी हम अहाँ क तपस्या सं प्रस्सन छी चलु कैलाश ओतय हम अहाँ सं विवाह करब I

गौरी लजा गेली आ अपना सखि सं कहलवेलखिन – हे आदिनाथ यदि अहाँ हमरा पर प्रस्सन छी त विवाह के प्रचलित नियमानुसार अहाँ कुनु गोटा दिया हमरा पिता ओहिठाम अपनान विवाह क प्रस्ताव पठाऊ जाहि सं हमरा पिता क गृहस्थाश्रम सफल होईन आ यश पसरनि I महादेव मानि गेला आ गौरी अपना पिता घर वापस आबि गेली II


बाचो बीनी

“पुरैनिक पत्ता ,झिलमिल लत्ता ताहि चढ़ी बैसली बिसहरी माता I
हाथ सुपारी खोईंछा पान ,बिसहरी माता करती शुभ कल्याण “II


परानाम

धन्यवाद


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