Madhushravani puja vrat katha in Maithili- day 2

Madhushravani puja:- मधुश्रावणी पूजा – दोसर दिन क कथा :

Madhushravani Puja Day- 2:- मधुश्रावणी पूजा कथा के दोसर दिन क कथा मे बिहुला आ मनसा क कथा और मंगला गौरी क कथा कहि ।

Madhushravani puja day 2 | मधुश्रावणी पूजा

Madhushravani puja:- बिहुला आ मनसा क कथा !

मनसा शिव के मानस पुत्री रहथिन .जन्म होईते वो युवती भई गेली I लाज क रक्षा हेतु हुनका शरीर पर नाग लेपटा गेलनि I गौरी हुनका पसंद नय केलखिन त महादेव क कृपा सं ओ धरती पर निवास लेल चलि एलिह I ओहि समय चंद्रधर (चंदू) नामक पैघ सौदागर धरती पर रहैत छल I जे पैघ लोक करैत अछि तकरे अनुसरण सब लोक करैत अछि I तें मनसा चंदू क कहलखिन जे अहाँ हमार पूजा करू I चंदू महादेव क परम भक्त I

ओ कहलैथ -दहिना हाथ त हम महादेव क द देने छिएन आ अहाँ बामा हाथे पूजा ग्रहण करब त हम कए सकैत छी I ताहि पर मनसा क्रोधित भय गेली आ हुनकर छबो जवान बेटा के डँसि के मारि देलखिन I चंदू के बुढारि में फेर एकटा बेटा भेल I जखन बालक क टिप्पनि देखल गेल त हुनको आयु अल्पछल आ ई छल जे हुनको विवाह क दिन कोहबर में साँप डँसि लेत I ओहि बेटा क नाम लक्ष्मीधर (लखंदर ) परल I लक्ष्मीधर जखन छबे मास क भेला त चंदू अपना कनिया क आग्रह पर पुत्र क विवाह एहन कनिया सं करेवा लेल प्रस्स्तुत भय गेला जकरा टिप्पनि में चिर- सोहागिन क योग छलैक I

ओ पहाङ पर एकटा एहन कोठा बनबौलेथ जाहि में कतओ सं साँप नहीं प्रवेश कय सकें I ओहि कोठा में लखंदर क विवाह बारह वर्ष क कन्या बिहुला सं भेल I जखन ओ अपना कनिया संगे कोहवर में छलैथ तखन कोना ने कोना कतउ सं साँप आवि हुनका डँसि लेलकनि आ ओ तुरंत मरि गेला I हुनकर दाह संस्कार हेतु हुनका गंगा कात आनल गेल संगहि परम सती बिहुला सेहो एलि I मुदा ओ अपना पति के गाङय नय देलखिन त लोक सब हुनका दुनू के श्मशान में छोङि घुरि अयलाह I बिहुला केरा क थम्हक एक टा नाव बना ओहि पर मुर्दा संगे अपनहूँ बैस गंगा धार में बह लागलि I

बिना अन्न- जल अहिना कय दिन तक बहैत रहलि , शव गलि- गलि खस लागल, केरा क थम्ह टुट लागल आ भसिआइत -भसिआईत ओ बेढ -प्रयाग पहुँचली त ओतय त्रिवेणी घाट पर एकटा धोबिन क कपङा खिचैत देखलखिन I ओकरा संगे एकटा छोट बच्चा छलैक जे बर तंग करैत छल I धोबिन ओकरा जान सं मारि क कपङा तर में झाँपि के राखि देलकैक आ जखन कपङा सब धोआ गेलइ तँ बच्चा क जिया क कोङा में ल विदा भ गेल I बिहुला ओहि धोबिन के शरण में गेलखिन आ अपना पति के जियेवाक लेल आग्रह करय लगलि I धोबिन बिहुला के सुंदरता , धैर्य आ साहस देखि द्रवित भई गेलि I

धोबिन बिहुला क लय इन्द्र क दरवार में गेलैथ जतय सब भगवान सेहो छलैथ I बिहुला अपन सब टा वृतांत सुनेलखिन त सब देवता द्रवित भय मनसा क बजा चंदू के क्षमा करवाक लेल आग्रह केलखिन I बिहुला सेहो बिसहारा क पैर पकङि विनती केलनि आ कबूला केलैथ जे यदि पति सहित हुनकर छबो भैंसुर जीवि उठताह तँ ओ अपना ससुर क मना क पूर्ण समारोह संग बिसहारा क पूजा करतीह तथा मृत्यु- भुवन में हुनक प्रचार करतीह I बिसहारा प्रसन्न भय लक्ष्मीधर आ हुनकर छबो भाई के जीवित कय देलखिन I बिहुला क संगे सातो भाई नव शरीर लय यमलोक सं धरती पर आबि गेला I

जखन मरणाशन्न चंदू अपना सातो बेटा आ पुतोहु क देखलखिन त आनंदविभोर भय गेलाह I सब गोटा धूमधाम सं बिसहारा क पूजा कएलानि आ एहि प्रकारे मनसा के पूजा धरती पर प्रारंभ भेल II

Madhushravani puja:- मंगला गौरी क कथा :

श्रुतिकर नामक एकटा राजा छलैथ , जिनका संतान नहि छेलैन I निरन्तर भगवती क आराधना सं भगवती हुनका पर प्रसन्न भई हुनका वरदान माँगए कहलखिन I राजा भगवती सं अपना लेल जखन पुत्र मगलखिन त भगवति कहलखिन- हे राजा तोरा सं हम अत्यंत प्रसन्न छी, परन्तु तोरा भाग्य में पुत्र नहि लिखल छह ! तथापि हम तोरा बेटा देबह I यदि सर्वगुणी चाहि त ओ मात्र सोलह वर्ष जीउतह आ यदि चिरंजीव बेटा लेबह त ओ महामूर्ख होयतह I राजा रानी सं विचार करि सर्वगुणी बेटा माँगलखिन I

भगवती हुनका एकटा आम देलखिन जकरा सेवन सं रानी के गर्भ रहलें आ नियत समय पर हुनकर कोखि सं एकटा सुन्दर बालक क जन्म भेल जाकर नाम चिरायु राखल गेल I भगवती कह्लानुसार चिरायु विलक्षण छलैथ I देखैत देखैत सोलहम वर्ष नजदीक आबि गेल I राजा रानी चिंता में पङि गेला कि अपना आगु में बेटा क मृत्यु केना देखता ते श्रुतिकर अपना पुत्र क अपना सार के सुपुर्द कय कहखिन जे – जावैत चिरायु जिता,हिनकर सुख- सुविधा क ध्यान राखब आ मरणोपरांत राजकुमार योग्य सम्मान सहित मणिकर्णिका पर दाह- संस्कार करि अहाँ घुरि आयब I

दुनू मामा- भगिना काशी दिस बिदा भय गेला I रस्ता में एकटा नगर आनंदनगर आयल जतय क राजा बीरसेन क सुलक्षिणी बेटी मंगलागौरी क आई विवाह छल I जाहि फुलबारी में मामा भागीन विश्राम करैत छलैथ ताहि में राजकुमारी सखि सब संगे फुल तोरबाक लेल ऐली I गप्पे गप्पे में एक सखि तमसा क मंगला गौरी के ‘राँङी’ कहि देलखिन ताहि पर सब सखि बाज लागलि कि एहि शुभ दिन पर एहन अशुभ बात केना I

ताहि प्रतिउत्तर में मंगला गौरी कहलखिन –दूर,एकरा राँङी कहने कि हम विधवा भए सकत छी ? हमरा कुल में आई धरि कियो विधवा नहीं भेल अछि I हमरा ओहिठाम सबकेओ गौरी के तेना क गोहरौने रहेत अछि जे विधवा होएबे असंभव I हमरा हाथ क अक्षत जाहि वर पर पङत ओ यदि अल्पायुओ रहत त चिरायु भय जायत I

मामा मंगला गौरी क बात सुनैत छलाह ,ओ सोचलैथ कि कहुना ने कहुना मंगलागौरी सं अपना भगिना क विवाह करैल जा I संयोगवश मंगला क विवाह बाह्वीक देश क राजा दृढवर्मा क बेटा सुकेतुवर्मा सं छल जे परम कुरूप आ मुर्ख छल I बर क बाप- काका सब विचारलेथ कि ज्यो येहन कुरूप बर मङवा पर जाएत त कन्या पक्ष बर के घूरा देत I तें सुन्दर बर के लय क मङवा पर जयबाक चाहि आ विवाह क बाद ओकरा भगा क कोहवर में सुकेतुवर्मा क बैसा देबनि I ताबत बरियाती क नजर चिरायु पर परल I ओ सब हुनकर मामा लग अपन प्रस्ताव राखलखिन I

मामा त मने मन प्रसन्न भेला आ प्रस्ताव मानि बरियअति संगे विदा भेला I शुभ लग्न में मंगला गौरी के विवाह मङनी क बर सं भय गेल आ दुनू बर-कनियाँ कोहबर में सूतलाह I आईए राति चिरायु क सोलह वर्ष पूरा भेलैन I निशा राति में काल गहुमनसाँप क रूप में कोहवर में पैसल I राजकुमारी जगले छेलिह,भयंकर साँप क देखि साहस कय साँप क आगु भरि बाटी दूध राखि देलखिन का कल जोङी प्रार्थना करय लागलि जे –हे नाग राज ! हमरा पति के प्राण जुनी लिअ ,वरन् हुनका चिरंजीवी बना दिअ त हम आजीवन नाग राज पूजा करब आ व्रत राखब I

नागराज मानि गेलखिन आ दूध पीवि ओतहि राखल पुरहर में पैस गेलैथ I ताबत चिरायु क नींद टूटलनि आ ओ किछु खेबाक लेल मंगलैथ I मंगला हुनका खीर आ लड्डू खेबाक लेल देलखिन I बर क हाथ धोबाक काल हुनकर हाथ सं पञ्चरत्नक अंगूठी खसि पङलनि जे कनियाँ अपना आंगुर में पहिर लेलि I बर पान सुपारी खा सूति रहला I बाद में जखन कनियाँ साँप बला पुरहर के फेकय गेलि त साँप क स्थान पर रत्नहार देखलखिन जकरा ओ अपना गरदनि में पहिर लेलि I

भोर भेला पर चिरायु अपना मामा संगे गाम छोङि बिदा भय गेला आ सुकेतु कोहबर में प्रवेश कर लगला I परन्तु मंगला हुनका मुंहे पर रोकि लेलखिन I बरियाती सब हुज्जत कर लागल त मंगला बर सुकेतु सं रात्रि में कोहबर बला खिस्सा पुछलखिन ,जकर कुनु जबाब सुकेतु लग नहि छेलनि आ पञ्चरत्न अँगूठी सेहो सुकेतु के आंगुर में नहि अंटल तखन बरियाती सब सुकेतु क लय घुरि गेला I

चिरायु अपना मामा संगे काशी, प्रयाग आदि होईत एक साल बाद वोहि बाटें घुरला ,त अपना छत सं मंगला हुनका देखते चिन्ह गेलखिन I हुनका सादर बजायल गेल आ पुछला पर सबटा सही सही जबाब देलखिन I राजा तखन धूम धाम सं विवाह उत्सव मना ,गाजा बाजा संगे दुनू के बिदा केलखिन I
जखन चिरायु अपना पत्नी संगे अपना राजधानी पहुँचला ,त हुनकर जीवित रहवाक समाचार सुनि राजा रानी के आनंद क कुनु सीमा नहि रहल आ ओ अपना पुतहु के भरि- भरि आशीर्वाद देलखिन II


परानाम

धन्यवाद !


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