“जगजननी जय जय” आरती, जगदेवी माता की महिमा का गान करने वाला एक प्रमुख हिन्दू धार्मिक प्रथा है । यह आरती माता की महत्वपूर्ण भक्ति और पूजा का हिस्सा है और भक्तों के द्वारा उनके भव्य गुणों की महिमा का गुणगान करने का एक तरीका है ।
इस आरती के गान के द्वारा, भक्त जगदेवी माता की महिमा को याद करते हैं और उनके दिव्य शक्तियों की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करते हैं । यह आरती विशेष अवसरों पर, जैसे कि नवरात्रि, दुर्गा पूजा, और अन्य माता दुर्गा की पूजा के समय पढ़ी जाती है ।
“जगजननी जय जय” आरती का महत्व भक्तों के लिए इस बात का प्रतीक है कि माता दुर्गा उनके जीवन में सुख, समृद्धि, और सफलता की प्राप्ति करें । इसके अलावा, यह भक्तों को अपने आदर्शों के प्रति समर्पित रहने की भावना दिलाता है और माता के प्रति उनकी विश्वास और भक्ति को दर्शाता है ।
सम्पूर्ण रूप से, “जगजननी जय जय” आरती माता दुर्गा की पूजा के महत्वपूर्ण हिस्से के रूप में मानी जाती है और भक्तों के लिए एक मात्र विशेष समय नहीं, बल्कि उनके जीवन के हर क्षण में उनकी आदर्शों और मूल्यों के प्रति उनकी विश्वास की प्रतीक है ।
Jagjanani Jai Jai-Aarti
जगजननी जय जय आरती हिंदी में
जगजननी जय जय !
माँ ! जगजननी जय ! जय !!
भयहारिणि, भवतारिणि,
माँ भवभामिनि जय ! जय ॥
जगजननी जय जय ॥
तू ही सत-चित-सुखमय,
शुद्ध ब्रह्मरूपा ।
सत्य सनातन सुन्दर,
पर-शिव सुर-भूपा ॥
जगजननी … ॥
आदि अनादि अनामय,
अविचल अविनाशी ।
अमल अनन्त अगोचर,
अज आनँदराशी ॥
जगजननी … ॥
अविकारी, अघहारी,
अकल, कलाधारी ।
कर्त्ता विधि, भर्त्ता हरि,
हर सँहारकारी ॥
जगजननी … ॥
तू विधिवधू, रमा,
तू उमा, महामाया ।
मूल प्रकृति विद्या तू,
तू जननी, जाया ॥
जगजननी … ॥
राम, कृष्ण तू, सीता,
व्रजरानी राधा ।
तू वांछाकल्पद्रुम,
हारिणि सब बाधा ॥
जगजननी … ॥
दश विद्या, नव दुर्गा,
नानाशस्त्रकरा ।
अष्टमातृका, योगिनि,
नव नव रूप धरा ॥
जगजननी … ॥
तू परधामनिवासिनि,
महाविलासिनि तू ।
तू ही श्मशानविहारिणि,
ताण्डवलासिनि तू ॥
जगजननी … ॥
सुर-मुनि-मोहिनि सौम्या,
तू शोभाऽऽधारा ।
विवसन विकट-सरुपा,
प्रलयमयी धारा ॥
जगजननी … ॥
तू ही स्नेह-सुधामयि,
तू अति गरलमना ।
रत्नविभूषित तू ही,
तू ही अस्थि-तना ॥
जगजननी … ॥
मूलाधारनिवासिनि,
इह-पर-सिद्धिप्रदे ।
कालातीता काली,
कमला तू वरदे ॥
जगजननी … ॥
शक्ति शक्तिधर तू ही,
नित्य अभेदमयी ।
भेदप्रदर्शिनि वाणी,
विमले! वेदत्रयी ॥
जगजननी … ॥
हम अति दीन दुखी माँ!,
विपत-जाल घेरे ।
हैं कपूत अति कपटी,
पर बालक तेरे ॥
जगजननी … ॥
निज स्वभाववश जननी ,
दयादृष्टि कीजै ।
करुणा कर करुणामयि,
चरण-शरण दीजै ॥
जगजननी … ॥
जगजननी जय ! जय !!
माँ ! जगजननी जय ! जय !!
भयहारिणि, भवतारिणि,
माँ भवभामिनि जय ! जय ॥
जगजननी … ॥
jagajanani jaya jaya aarti in English
jagajananī jaya jaya ma,
jagajananī jaya jaya ॥
bhayahariṇi bhavatariṇi,
bhavabhamini jaya jaya ॥
jagajanani jaya jaya ॥
tu hi sata cita sukhamaya,
suddha brahmarupa ।
satya sanatana suṃdara
paraśiva sura bhupa ॥
jagajanani… ॥
adi anadi anamaya,
avicala avinasi ।
amala anaṃta agocara,
aja anaṃdarasi ॥
jagajanani… ॥
avikari aghahari,
akala kaladhari ।
karta vidhi bharta hari,
hara saṃharakari ॥
jagajanani… ॥
tu vidhivadhu rama tu,
uma mahamaya ।
mula prakr̥ti vidya tu
tu janani jaya ॥
jagajanani… ॥
ram krisna tu sita,
brajarani radha ।
tu vanashakalpadruma,
harini saba badha ॥
jagajanani… ॥
dasvidya navadurga,
nanasastrakara ।
ast matrika yogini,
nava nava rupa dhara ॥
jagajanani… ॥
tu paradhamanivasini,
mahavilasini tu।
tu hi smasana viharini,
tandavalasini tu ॥
jagajanani… ॥
sura muni mohini saumya,
tu sobhadhara।
vivasana vikaṭa sarupa,
pralayamayi dhara ॥
jagajanani… ॥
tu hi sneha sudhamayi,
tu ati garalamana ।
ratnavibhusita tu hi,
tu hi asthitana ॥
jagajanani… ॥
muladhara nivasini,
iha para siddhiprade ।
kalatita kali,
kamala tu varade ॥
jagajanani… ॥
sakti saktidhara tu hi,
nitya abhedamayi ।
bheda pradarsani vaṇi,
vimale vedatrayi ॥
jagajanani… ॥
ham ati dina dukhi ma,
vipata jala ghere ।
hai kaputa ati kapati,
par balaka tere ॥
jagajanani… ॥
nija svabhava vasa janani,
daya dr̥iṣṭi kije ।
karuna kara karuṇamayi,
charana saraṇ dije ॥
jagajanani… ॥

धन्यवाद !
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