Ganesh Chaturthi 2022: why do we celebrate Ganesh Chaturthi? Know about the Date, Time, Auspicious Time, and Worship Method:-
गणेश चतुर्थी / विनायक चतुर्थी का पर्व हिंदुओं का एक प्रमुख त्योहार है । यूं तो यह त्योहार भारत के विभिन्न भागों में मनाया जाता है किंतु इसकी पूजा महाराष्ट्र के पुणे में बड़े ही धूमधाम से की जाती है । महाराष्ट्र के सभी त्योहारों में ये त्योहार प्रमुख माना जाता है । पुणे का यह गणेश उत्सव पूरे जग में प्रसिद्ध है ।
हिंदू पुराणों के अनुसार गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश का जन्म हुआ था । इसीलिए पूरा भारत वर्ष इस दिन को बड़े ही धूमधाम से मनाते हैं और भगवान गणेश की पूजा याचना करते हैं ।
पुराणों के अनुसार, शिवपुराण में कहां गया है की भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मंगलमूर्ति श्री गणेश जी ने अवतार लिया है । जबकि वहीं गणेशपुराण में बताया गया है, की यह गणेशावतार भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को हुआ था ।
गणेश चतुर्थी कब और कहां मनाई जाती है? (Ganesh Chaturthi kab or kaha manai jati hai)
गणेश चतुर्थी भारत के सभी राज्यों में मनाया जाता है, किंतु महाराष्ट्र के पुणे में यह उत्सव जगप्रसिद्ध है । इतिहास के अनुसार गणेश चतुर्थी 1630 से 1680 के दौरान छत्रपति शिवाजी महाराज (मराठा साम्राज्य के स्थापक) के समय में एक सार्वजनिक समारोह के रूप में मनाया जाने लगा । शिवाजी महाराज के समय यह गणेश उत्सव उनके साम्राज्य के कुलदेवता के रूप में नियमित रूप से मनाया जाने लगा ।
फिर पेशवाओं के अंत के बाद यह एक पारिवारिक उत्सव बनकर रह गया । वापस 1893 में लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक के द्वारा पुनः स्थापित किया गया ।
यह गणेश चतुर्थी (गणेश उत्सव) महाराष्ट्र के लोगों ने ब्रिटिश शासन के क्रूर व्यवहार से मुक्त होने के लिए और अपनों के बीच प्यार, आत्मविश्वास, और साहस बनाए रखने के लिए राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनाना आरंभ कर दिया ।
गणेश चतुर्थी के दिन से 10 दिनों तक भगवान गणेश की पूजा की जाती है । भगवान गणेश की मूर्ति को एक विशेष स्थान पर स्थापित किया जाता है । वही 10 दिनों तक पूरे विधि विधान से गणपति जी की आराधना की जाती है ।
10 दिनों बाद यानी अनंत चतुर्दशी तक गणेश पूजन किया जाता है । इसके बाद अनंत चतुर्दशी को भगवान गणेश जी का विसर्जन कर उन्हें अगले वर्ष फिर आने की नेवता दी जाती है ।
गणेश चतुर्थी 2022 का दिनांक और समय! (Ganesh Chaturthi 2022 Date and Time)
गणेश चतुर्थी का यह महापर्व उदय तिथि के आधार पर बुधवार 31 अगस्त 2022 से शुरू हो रहा है । गणेश चतुर्थी तिथि की शुरुआत मंगलवार 30 अगस्त 2022 के दोपहर 3:33 से आरंभ होगी । वही शुक्रवार 09 सितंबर को अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान श्री गणेश जी की मूर्ति विसर्जित की जाएगी ।
यह 10 दिनों तक बप्पा की पूरे धूम धाम से भक्त उनकी आराधना करेंगे और हर वर्ष की भांति अगले वर्ष भी पुनः अपने साथ सुख- समृद्धि और शांति लेकर आने की न्योता देंगे ।
गणेश चतुर्थी 2022 शुभ मुहूर्त (गणेश उत्सव की तिथि) (Ganesh Chaturthi 2022 Subha muhurt)
गणेश स्थापना मुहूर्त | सुबह 11:05 – दोपहर 1:38 (बुधवार 31 अगस्त 2022) |
विजय मुहूर्त | दोपहर 2:34 से 3:25 (बुधवार 31 अगस्त 2022) |
अमृत काल मुहूर्त | शाम 5: 42 से 7:20 (बुधवार 31 अगस्त 2022) |
गोधूलि मुहूर्त | शाम 6:36 से 7:00 (बुधवार 31 अगस्त 2022) |
रवि योग | बुधवार 31 अगस्त 2022 के सुबह 6:06 से बृहस्पतिवार 1 सितंबर 2022 सुबह 12:12 |
गणेश विसर्जन तिथि | 9 सितंबर 2022 (अनंत चतुर्दशी) |
गणेश चतुर्थी बप्पा की स्थापना का मंत्र (Ganesh Chaturthi Bappa ki mantra)
बप्पा की मूर्ति की स्थापना शुभ मुहूर्त में घर या मंदिर किसी भी स्थल पर करते समय इस मंत्र का उच्चारण करें ।
अस्य प्राण प्रतिषठन्तु अस्य प्राणा: क्षरंतु च ।
श्री गणपते त्वम सुप्रतिष्ठ वरदे भवेताम ॥
क्षमा मंत्र:-
बप्पा के इन 10 दिनों की पूजन में यदि कोई भूल चूक हो जाए तो यह मंत्र के द्वारा हम उनसे माफी मांगते हैं यह मंत्र का उच्चारण पूजा और आरती के बाद करके पूजा को समाप्त करते हैं ।
गणेशपूजने कर्म यत् न्यूनमधिकम कृतम ।
तेन सर्वेण सर्वात्मा प्रसन्न अस्तु गणपति सदा मम ॥
गणेश चतुर्थी व्रत पूजा (Ganesh puja)
गणेश चतुर्थी व्रत पूजा विधि (Ganesh Chaturthi vrat puja vidhi in hindi)
- गणेश चतुर्थी के दिन सुबह उठकर स्नान आदि करने के बाद पीले रंग के साफ- सुथरे वस्त्र को धारण करें ।
- उसके बाद ईशान कोण में चौकी लगाकर पीले वस्त्र को बिछा दे, फिर उस पर केले का पत्ता रख भगवान गणेश के शुभ मुहूर्त में मूर्ति की स्थापना करें ।
- फिर भगवान गणेश की मूर्ति पर गंगाजल से अभिषेक करें और उन्हें पान, फूल, अक्षत, मेवा, धूप, दूध, दुब, मोदक, वस्त्र आदि अर्पित करें ।
- इसी के साथ ही एक पान के पत्ते पर सवा रुपये रख पूजा की सुपारी रखी जाती है ।
- फिर एक कलश लेकर उसमें जल को भर ले, फिर उसके मुंह पर लाल धागे को बांध दें । जहां भी कलश को स्थापित करना है, वहां थोड़ी सी चावल रखकर उसके ऊपर कलश को रख दें, कलश के ऊपर एक नारियल को रखा जाता है ।
- पूरे 10 दिन तक यह कलश ऐसे ही रहता है दसवे दिन इस पर रखे नारियल को फोड़ कर प्रसाद के रूप में खाया जाता है ।
- भगवान गणेश को लड्डू का भोग लगाएं और अपनी पूरी परिवार के साथ उनकी आरती गाए गणेश जी के मंत्रों का जाप करें । इसके बाद प्रसाद वितरित करें ।
गणेश चतुर्थी व्रत का महत्व (Ganesh Chaturthi Importance (Significance)
सभी देवी देवताओं में सर्वप्रथम भगवान गणेश की पूजा की जाती है । जीवन में सुख- शांति, संतान की प्राप्ति, कोई भी शुभ कार्य, से पहले भगवान गणेश की आराधना की जाती है । भगवान अपने भक्तों के सभी कष्टों को हर कर उन्हें मनवांछित फल को प्राप्ति कराते हैं ।
भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के अलावा हर महीने के चतुर्दशी का व्रत भी किया जाता है, जिसे विनायक चतुर्दशी कहते हैं । इस चतुर्दशी को वरद विनायक चतुर्दशी भी कहते हैं । ‘वरद का मतलब’ भगवान से किसी भी इच्छा को पूर्ण करने के लिए पूछना ।
जो भी भक्त इस व्रत को पूरे भक्ति भाव से पूरा करता है, उस भक्त को भगवान गणेश ज्ञान, बुद्धि, विवेक और धैर्य रखने की साथ आशीर्वाद देते हैं ।
भगवान गणेश को बुद्धि और धैर्य के लिए जाना जाता है । मानव जाति इनकी महानता को युगो- युगो से सुनता आया है । जो भी भक्त इन गुणों को प्राप्त कर लेता है, वह अपने जीवन में बहुत प्रगति करता है ।
चंद्र दर्शन दोष से बचाव (Chandra Darshan Dose Nivaran Mantra)
प्रत्येक शुक्ल पक्ष चतुर्थी को चन्द्रदर्शन के पश्चात् व्रती को आहार का ग्रहण कर ले ना चाहिए, किंतु इसके पूर्व नहीं । भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को रात्रि में चन्द्र- दर्शन करना मना किया गया है ।
जो भी व्यक्ति इस रात्रि को चन्द्रमा का दर्शन करता हैं, उन्हें झूठा- कलंक की प्राप्ति होती है । ऐसा शास्त्रों का निर्देश है । यह अनुभव किया गया है । यदि जाने- अनजाने में चन्द्रमा का दर्शन हो जाए तो निम्न मंत्र का पाठ अवश्य रूप से कर लेना चाहिए-
‘सिहः प्रसेनम् अवधीत्, सिंहो जाम्बवता हतः ।
सुकुमारक मा रोदीस्तव ह्येष स्वमन्तकः ॥

धन्यवाद !
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गणेश चतुर्थी FAQ:-
गणेश चतुर्थी 2022 मे कब है ?
गणेश चतुर्थी का यह महापर्व उदय तिथि के आधार पर बुधवार 31 अगस्त 2022 से शुरू हो रहा है। गणेश चतुर्थी तिथि की शुरुआत मंगलवार 30 अगस्त 2022 के दोपहर 3:33 से आरंभ होगी।
गणेश चतुर्थी व्रत क्यों मनाया जाता है?
इतिहास के अनुसार गणेश चतुर्थी 1630 से 1680 के दौरान छत्रपति शिवाजी महाराज (मराठा साम्राज्य के स्थापक) के समय में एक सार्वजनिक समारोह के रूप में मनाया जाने लगा। शिवाजी महाराज के समय यह गणेश उत्सव उनके साम्राज्य के कुलदेवता के रूप में नियमित रूप से मनाया जाने लगा।
गणेश चतुर्थी कब मनाई जाती है ?
भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को इसी दिन भगवान गणेश का जन्म हुआ था।
गणेश चतुर्थी के व्रत को क्या खा कर तोरना चाहिए?
उबले हुये आलू पर काली मिर्च डालकर खा सकते हैं। इसके अलावा कुट्टू के आटे की रोटी भी खा सकते हैं। व्रत खोलने के लिए, बादाम के दूध का सेवन कर सकते है।मखाना का खीर भी खाया जा सकता है।
गणेश जी का सबसे प्रिय भोजन कौन सा है?
'मोदक' भगवान गणेश के सबसे प्रिय भोजन मे से एक हैं, इसलिए हम उन्हें 'मोदप्रिया' के नाम से भी जानते है।
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